पांचवें दिन 'स्कंदमाता', इनके पूजन से मिलती है अलौकिक शक्ति
पांचवें दिन 'स्कंदमाता', इनके पूजन से मिलती है अलौकिक शक्ति
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्र में पांचवा दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है। इस बार यह 24 सितंबर को है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं और अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं। नवरात्रि-पूजन के पांचवें दिन का शास्त्रों में पुष्कल महत्व बताया गया है। इस चक्र में अवस्थित मन वाले साधक की समस्त बाह्य क्रियाओं का लोप हो जाता है।
साधक का मन समस्त लौकिक, सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर स्कंदमाता के स्वरूप में पूर्णतः तल्लीन होता है। इस समय साधक को पूर्ण सावधानी के साथ उपासना की ओर अग्रसर होना चाहिए। उसे अपनी समस्त ध्यान-वृत्तियों को एकाग्र रखते हुए साधना के पथ पर आगे बढ़ना चाहिए। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अालौकिक तेज एवं कांति से संपन्न हो जाता है।
माता का स्वरूप
स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं जिनमें से माता ने अपने दो हाथों में कमल का फूल पकड़ा हुआ है, उनकी एक भुजा ऊपर की ओर उठी हुई है जिससे वह भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। सिंह इनका वाहन है और एक हाथ से उन्होंने गोद में बैठे अपने पुत्र स्कंद को पकड़ा है। इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है।
नवरात्रि के पांचवें दिन इन मंत्रों का जाप पुण्यकारी बताया गया है।
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमरू।।
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया । शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
मां को इन चीजों का भोग लगाएं
पंचमी तिथि के दिन पूजा करके भगवती को केले का भोग लगाना चाहिए और यह प्रसाद ब्राह्मण को दे देना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है।