पांचवा दिन: स्कंदमाता का होता है यह दिन, इस मंत्र से करें प्रसन्न

पांचवा दिन: स्कंदमाता का होता है यह दिन, इस मंत्र से करें प्रसन्न

Bhaskar Hindi
Update: 2019-04-07 06:15 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्रि का पांचवा दिन स्कंदमाता का होता है। इस दिन माता को इस खास मंत्र से प्रसन्न कर सकते हैं। स्कंदमाता कमल पर विराजमान होती हैं। इसी कारण इन्हें "पद्मासना" नाम से भी जाना जाता है। चैत्र नवरात्रे के पांचवे दिन, माता के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता की पूजा की जाएगी। नवरात्रि-पूजन के पांचवें दिन का शास्त्रों में पुष्कल महत्व बताया गया है। स्कंदमाता को सृष्टि की पहली प्रसूता स्त्री माना जाता है। भगवान स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। माता का पांचवा दिन 10 अप्रैल 2019 को पड़ रहा है। चैत्र नवरात्रि में आदि शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है। 

स्कंद का अर्थ भगवान कार्तिकेय और माता का अर्थ मां है, अतः इनके नाम का अर्थ ही स्कंद की माता है। चार भुजाओं वाली स्कंदमाता के दो हाथों में कमल, एक हाथ में कार्तिकेय और एक हाथ में अभय मुद्रा धारण की हुई हैं। स्कंदमाता कमल पर विराजमान होती हैं। जिस कारण इन्हें पद्मासना नाम से भी जाना जाता है।

नवरात्रि के पांचवे दिन लोग स्कंदमाता की पूजा अर्चना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस देवी का साधना व भक्ति करने से सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह देवी अग्नि और ममता की प्रतीक मानी जाती हैं। इसलिए अपने भक्तों पर सदा प्रेम आशीर्वाद की कृपा करती रहती है। स्कंदमाता शेर पर सवार रहती हैं। उनकी चार भुजाएं हैं। ये दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है।

मां को इस दिन भोग में ये चढ़ाएं:- यह भक्तों को सुख-शांति व मोक्ष प्रदान करने वाली देवी हैं। ऐसे में जो लोग पांचवे दिन देवी के इस स्वरूप की एकाग्रभाव से उपासना करते हैं। उनकी हर इच्छा पूरी होती है। कमल पर विराजती मां स्‍कंदमाता की उपासना करने के लिए कुश के पवित्र आसन पर बैठें। इसके बाद कलश और फिर स्‍कंदमाता की पूजा करें। पूजा में मां को श्रृंगार का सामान अर्पित करें और प्रसाद में केले या फिर मूंग के हलवे का भोग लगाएं।

पूजा:- मां के श्रृंगार के लिए खूबसूरत रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। स्कंदमाता और भगवान कार्तिकेय की पूजा विनम्रता के साथ करनी चाहिए। पूजा में कुमकुम, अक्षत से पूजा करें, चंदन लगाएं, तुलसी माता के सामने दीपक जलाएं, पीले रंग के कपड़़ें पहनें। स्कंदमाता की पूजा पवित्र और एकाग्र मन से करनी चाहिए। स्कंदमाता की उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। इसके अलावा जिनके संतान नहीं हैं उन्हें संतान की प्राप्ति होती है।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी। ऐसे मान्यता है कि माता स्कंदमाता को सफेद रंग बेहद ही पसंद है जो शांति और सुख का प्रतीक है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।

इस विधि से करें देवी को प्रसन्न:- नवरात्रि के पांचवे दिन यदि आप मां स्कंदमाता के नाम का व्रत और पूजन कर रहे हैं तो सुबह स्नानादि करके सफेद रंग के आसन पर विराजमान होकर देवी की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठ जाएं। हाथ में स्फटिक की माला लें और इस मंत्र का कम से कम एक माला यानि 108 बार जाप करें:

मंत्र:- ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥

प्रार्थना मंत्र:-

सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

स्तुति :-

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

सौम्या सौम्यतराशेष सौम्येभ्यस्त्वति सुन्दरी।
परापराणां परमा त्वमेव परमेश्वरी।।

या

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्‍कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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