भगवान राम, इंद्र और पांडवों ने किया था इन स्थानों पर पिंडदान

भगवान राम, इंद्र और पांडवों ने किया था इन स्थानों पर पिंडदान

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-16 06:47 GMT
भगवान राम, इंद्र और पांडवों ने किया था इन स्थानों पर पिंडदान

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पितृपक्ष में गया में पितरों का पिंडदान करने का विशेष महत्व है। यहां आमदिनों में पितरों के पूजन के लिए लोगों का आगमन होता है। पितृ पक्ष के दौरान यहां हजारों की संख्या में लोग अपने पितरों का पिण्डदान करते है। बिहार की राजधानी पटना से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर फल्गु नदी के तट पर गया बसा हुआ है। ऐसी मान्यता है कि यदि इस स्थान पर पिण्डदान किया जाय तो स्वर्ग मिलता है। लेकिन इसके अलावा भी कुछ स्थान है जहां पिंडदान किया जा सकता है...

इलाहाबाद

तीर्थ राज प्रयाग को सभी तीर्थों में प्रमुख स्थान प्राप्त है। यहां गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है। माना जाता है भगवान राम ने अपने पितरों का श्राद्ध यहीं पर किया था जिसके कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

बद्रीनाथ

यह भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यह स्थान भगवान विष्णु का है जहां पर विराजते है। ऐसी मान्यता है यही पर पाण्डवों ने भी अपने पितरों का पिंडदान किया था। बद्रीनाथ के ब्रम्हाकपाल क्षेत्र में तीर्थयात्री अपने पितरों का आत्मा का शांति के लिए पिंडदान करते हैं। 

सिद्धनाथ मध्य प्रदेश

उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे लोग पितरों को श्राद्ध  करने पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि इसी स्थान पर एक वटवृक्ष है जिसे माता पार्वती ने अपने हाथो से स्वयं लगाया था।  पितृ पक्ष में बड़ी संख्या में यहां लोग पहुंचते हैं। 

नर्मदा का तट 

इसके अरिरिक्त जबलपुर स्थित लम्हेटाघाट में भी नर्मदा के तट पर पिंडदान किया जाता है। कहा जाता है कि इंद्रदेव ने इसी स्थान पर अपने पितरों का पिंडदान किया था। यहां इंद्रदेव के हाथी ऐरावत के पैरों के निशान भी देखने मिलते हैं।  

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