चार दिवसीय पोंगल पर्व शुरू, जानिए किस दिन होगी किसकी पूजा

चार दिवसीय पोंगल पर्व शुरू, जानिए किस दिन होगी किसकी पूजा

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-13 04:35 GMT
चार दिवसीय पोंगल पर्व शुरू, जानिए किस दिन होगी किसकी पूजा

 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पोंगल, वैसे तो ये तमिलनाडु का सर्वाधिक प्रसिद्ध एवं प्रचलित त्योहार है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि तमिलनाड़ु के अलावा श्रीलंका, मलेशिया, मॉरिशस, अमेरिका, कनाडा, सिंगापुर आदि में भी मनाया जाता है। मुख्य रूप से फसल कटाई का त्योहार है। जिसे पारंपरिक रूप से मनाया जाता है। यह मकर संक्रांति के समान ही सूर्य के उत्तरायण होने पर मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से इंद्रदेव की पूजा की जाती है। साथ ही वर्षा, धूप, खेतिहर मवेशियों विशेषतः गाय, बैल के पूजन का विधान है। 


पोंगल की परंपराएं सबसे अलग ही देखने मिलती हैं। यह चार दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है। इसकी प्रत्येक परंपरा का अलग अर्थ और महत्व है। चार दिनों के दौरानी बारी-बारी से इन्हें मनाया जाता है और अच्छी फसल, मौसम के लिए देवताओं को धन्यवाद देने के साथ ही अगले मौसम के लिए भी प्रार्थना की जाती है। आन्ध्र प्रदेश, केरल तथा कर्नाटक में कई स्थानों पर संक्रान्ति के नाम से भी मनाया जाता है। 


पहला दिन
चार दिवसीय उत्सव पर्व में प्रथम दिवस भोगी पोंगल मनाया जाता है यह भगवान इंद्र को समर्पित है। इस दिन घरों का कूड़ा-करकट, पुराने वस्त्र इत्यादि अलग किए जाते हैं। 

 


दूसरा दिन
दूसरे दिन को सूर्य पोंगल कहा जाता है इस दिन खीर बनायी जाती है जिसका नाम ही पोंगल होता है। इसकी विशेषता इससे स्पष्ट है कि यह मिट्टी के बर्तन में नयी धान व गुड़ से बनायी जाती है। पोंगल का ही भोग सूर्यदेव और इंद्र को लगाया जाता है। 

 

तीसरा दिन
तीसरे दिन को मट्टू पोंगल नाम से जाना जाता है, इन्हें भगवान शंकर का बैल माना जाता है। इसके संबंध में मान्यता प्रचलित है कि एक भूल की वजह से भगवान शिव ने उन्हें पृथ्वी पर रहकर मनुष्यों के लिए अन्न पैदा करने का दंड दिया, जिसकी वजह से वह आज तक मनुष्यों के लिए अन्न पैदा करने का काम कर रहे हैं। 

 


चाैथा दिन
चैथे व अंतिम दिन को तिरूवल्लूर कहा गया है। इस दिन घर को नारियल के पत्तों का तोरण बनाकर सजाया जाता है। घर के सामने रंगोली, नवीन वस्त्र यह दिन लगभग दिवाली के समान ही होता है। सभी एक-दूसरे को पोंगल की बधाई देते हैं और मिठाई बांटकर खुशियां मनाते हैं।

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