राम नवमी 2021: मर्यादा पुरुषोत्तम की इस विधि से करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त 

राम नवमी 2021: मर्यादा पुरुषोत्तम की इस विधि से करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त 

Manmohan Prajapati
Update: 2021-04-19 06:25 GMT
राम नवमी 2021: मर्यादा पुरुषोत्तम की इस विधि से करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र नवरात्रि का समापन राम नवमी के साथ ही हो जाता है। इस वर्ष राम नवमी का पावन पर्व 21 अप्रैल, बुधवार को मनाया जाएगा। मान्‍यता है कि चैत्र माह की शुक्‍ल पक्ष की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्‍न में भगवान राम का जन्‍म हुआ था। राम नवमी के दिन मां दुर्गा के नवें रूप महागौरी की पूजा के साथ मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की पूजा की जाती है।

भगवान विष्णु ने अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करने के लिए हर युग में अवतार धारण किए। इन्हीं में एक अवतार उन्होंने भगवान श्री राम के रुप में लिया था। राम नवमी के दिन भगवान राम की पूजा अर्चना की जाती है, व्रत रख कर भगवान राम की आराधना करने से जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करने में मदद मिलती है। आइए जानते हैं इस पर्व का महत्व और पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में...

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महत्व
हिन्‍दू धर्म में राम नवमी का विशेष महत्‍व है। मान्‍यता है कि इसी दिन भगवान विष्‍णु ने अयोध्‍या के राजा दशरथ की पहली पत्‍नी कौशल्‍या की कोख से भगवान राम के रूप में मनुष्‍य जन्‍म लिया था। हिन्‍दू मान्‍यताओं में भगवान राम को सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु का सातवां अवतार माना जाता है। कहा जाता है कि श्री गोस्वामी तुलसीदास जी ने जिस राम चरित मानस की रचना की थी, उसका आरंभ भी उन्‍होंने इसी दिन से किया था।

भगवान श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते हैं, श्री राम की शिक्षाएं और दर्शन को अपनाकर जीवन को श्रेष्ठ बनाया जा सकता है। भगवान राम को मर्यादा पुरूषोत्तम कहा गया है। भगवान राम जीवन को उच्च आर्दशों के साथ जीने की प्रेरणा देते हैं।

रामनवमी शुभ मुहूर्त:
नवमी तिथि प्रारम्भ: 21 अप्रैल 2021 को रात 00:43 बजे से
नवमी तिथि समापन: 22 अप्रैल 2021 को राज 00:35 बजे तक
पूजा मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 02 मिनट से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक
पूजा की कुल अवधि: 02 घंटे 36 मिनट 

श्रीराम नवमी पूजा विधि
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्‍नान करें और स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें।
- इसके बाद भगवान राम का नाम लेते हुए व्रत का संकल्‍प लें। 
- फिर घर के मंदिर में राम दरबार की तस्‍वीर या मूर्ति की स्‍थापना कर उसमें गंगाजल छिड़कें। 
- तस्‍वीर या मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाकर रखें। 
- इसके बाद रामलला की मूर्ति को पालने में बैठाएं। 
- अब रामलला को स्‍नान कराकर वस्‍त्र और पाला पहनाएं। 
- इसके बाद रामलला को फल, मेवे और मिठाई अर्पित करें।
- श्री राम को खीर का भोग लगाएं।  
- अब रामलला को झूला झुलाएं. 
- इसके बाद धूप-बत्ती से उनकी आरती उतारें. 
- आरती के बाद रामायण और राम रक्षास्‍त्रोत का पाठ करें।

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श्री राम के मंत्र:
1. श्रीरामचन्द्राय नम:।
2. रामाय नम:।
3. ह्रीं राम ह्रीं राम।
4. क्लीं राम क्लीं राम।
5. फट् राम फट्।
6. श्रीं राम श्रीं राम।
7. ॐ राम ॐ राम ॐ राम।
8. श्रीराम शरणं मम्।
9. ॐ रामाय हुं फट् स्वाहा।
10. ‘श्रीराम, जयराम, जय-जय राम’।
 

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