जानिए वैशाख महीने में माधव पूजा और उनसे जुड़े तथ्य

जानिए वैशाख महीने में माधव पूजा और उनसे जुड़े तथ्य

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-24 10:47 GMT
जानिए वैशाख महीने में माधव पूजा और उनसे जुड़े तथ्य

डिजिटल डेस्क, भोपाल। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादश तिथि को माधव (मधुसूदन) पूजा की जाती है। इस बार यह तिथि 27 अप्रैल को पड़ रही है। वैशाख मास माधव अर्थात श्री कृष्ण का प्रिय मास है इसलिए इसे माधवमास भी कहा जाता है। इस मास में मधु दैत्य को मारने वाले भगवान मधुसूदन की यदि भक्ति-भाव से पूजा की जाए तो मनुष्य लौकिक व परलौकिक दोनों प्रकार के सुख प्राप्त करता है। बृज में वैशाख मास का बहुत महत्व है। बृज के लोग इस मास में वैशाख-स्नान करते हैं।

श्रीमाधव पूजन विधि

इनकी पूजा करने के लिए किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता नहीं है। माधव की श्रृद्धा-भाव से की गई पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है। आइये जानते हैं कैसे करें माधव की पूजा जिससे उनकी कृपा प्राप्त हो। 



 

  • श्रीमाधव की पूजा के लिए सबसे पहले उनकी एक प्रतिमा स्थापित करें।
  • प्रतिमा का पुष्प आदि से श्रृंगार कर उस पर जल अर्पण करें। 
  • शंख में जल भरकर " ॐ नमो नारायणाय" या "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः" इस मंत्र के उच्चारण के साथ प्रतिमा को स्नान करवाएं।
  • स्नान के बाद वस्त्र, यज्ञोपवीत और आभूषण धारण करवाकर, केसर-कपूर मिश्रित सुगन्धित चंदन का लेप भगवान के मस्तक पर लगाएं। 
  • भगवान को सुंदर और सुगंधित पुष्प चढ़ाकर, धूप-दीप, अगरबत्ती लगाएं। 
  • घी का दीपक जलाकर भगवान की आरती करें।
  • इसके बाद दूध-दही, माखन-मिश्री, फल का भोग लगाएं।


वैशाख मास में भगवान की विशेष सेवा के लिए हाथ से पंखा झलना और मिट्टी की छोटी सुराही में केवड़ा या खस का इत्र लगाकर जल भरकर रखा जाता है। भगवान को उनका सुन्दर श्रृंगार दर्पण में दिखाया जाता है। शंख में फूल, जल और अक्षत रखकर भगवान को अर्घ्य देने से अनन्त पुण्य की प्राप्ति होती है। 


तापत्रयहरं दिव्यं परमानन्दलक्षणम्। 
तापत्रयविमोक्षाय तवार्घ्यं कल्पयाम्यहम्।। 

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