इस विधि से करें पूजा, जानें विशेष उपाय

सोम प्रदोष इस विधि से करें पूजा, जानें विशेष उपाय

Manmohan Prajapati
Update: 2022-11-19 12:34 GMT
इस विधि से करें पूजा, जानें विशेष उपाय

डि​जिटल डेस्क, नई दिल्ली। देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए वैसे तो सोमवार का दिन पूजा के लिए श्रेष्ठ बताया गया है। लेकिन प्रदोष व्रत रखने से आपकी पूजा का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। प्रदोष अलग अलग दिन आने के अनुसार, विभिन्न नामों पहचाना जाता है। फिलहाल, यह व्रत सोमवार को है और इसलिए इसे सोमप्रदोष कहा गया है। यह व्रत 21 नवंबर को रखा जाएगा। प्रदोष के साथ सोमवार का दिन होना भी एक संयोग है।

माना जाता है कि इस दिन शिव जी की पूजा से मानसिक शांति मिलने के साथ ही कई प्रकार के कष्ट भी दूर हो जाते हैं। सूर्यास्त के बाद रात्रि के आने से पूर्व का समय प्रदोष काल कहलाता है। मान्यतानुसार प्रदोष के दिन शिवजी कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का बखान करते हैं।  

पूजा व उपाय
प्रदोष काल संध्या के समय स्नान कर मौन रहना चाहिए, क्योंकि शिवकर्म सदैव मौन रहकर ही पूर्णता को प्राप्त करता है। इसमें भगवान सदाशिव का पंचामृतों से संध्या के समय अभिषेक किया जाता है।
प्रदोष का सबसे बड़ा महत्व है कि सोम (चंद्र) को, कृष्णपक्ष में प्रदोषकाल में भगवान शंकर ने अपने मस्तक पर धारण किया था।
प्रदोष काल में उपासना करने वाले को एवं सोम प्रदोष करने वाले को उपवास प्रारंभ करना चाहिए।
प्रदोष काल में उपवास में सिर्फ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए, क्योंकि हरा मूंग पृथ्वी तत्व है और मंदाग्नि को शांत रखता है।

संध्या काल में शिवालय जाकर सफ़ेद शिवलिंग का विधिवत पूजन करें। गौघृत का दीप करें, चंदन की अगरबत्ती जलाएं, सफ़ेद कनेर के फूल चढ़ाएं, सफ़ेद चंदन से त्रिपुंड बनाएं, रातरानी का इत्र चढ़ाएं, चावल की खीर का भोग लगाएं, पूजन के बाद भोग किसी गरीब कन्या को दे दें। साथ ही इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें।

विशेष पूजा मंत्र:- 
श्रीं सुरेश्वराय नमः शिवाय श्रीं॥

 

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