वैज्ञानिकों की रिसर्च, ढूंढी 230 करोड़ वर्ष पुरानी अद्भुत पहाड़ी

वैज्ञानिकों की रिसर्च, ढूंढी 230 करोड़ वर्ष पुरानी अद्भुत पहाड़ी

Bhaskar Hindi
Update: 2017-07-14 07:55 GMT
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डिजिटल डेस्क,त्रिचि। मंदिरों पहाड़ों का इतिहास लाखों करोड़ों वर्ष पुराना है। लेकिन ये आपने अब जितने भी आश्चर्यचकित करने वाले स्थान देखे होंगे उनमें ये सबसे अद्भुत है। तमिलनाडु में कावेरी नदी के तट पर स्थापित तिरुचिरापल्ली (त्रिचि) में स्थित एक पहाड़ी को वैज्ञानिकों ने 230 करोड़ वर्ष प्राचीन माना है और इसकी प्राचीनता की तुलना ग्रीनलैंड (डेनमार्क) की इतनी ही वर्ष पुरानी पहाड़ी से की है। भारत में स्थित इस अति प्राचीन पहाड़ी से भगवान शिव-पार्वती और गणेशजी की पौराणिक कथाएँ जुड़ी हैं। 

एक पौराणिक कथा के अनुसार त्रिशिरा नामक राक्षस का ग्राम (पल्ली) होने के कारण ही यह त्रिशिरापल्ली या त्रिशिरापुरम (थिरिसिरपुरम) कहलाता था। इसी क्षेत्र में त्रिशिरा ने अनेक वर्षों तक भगवान शिव की तपस्या की, किंतु भगवान शिव ने परीक्षा लेने के उद्देश्य से उसे जानबूझकर दर्शन नहीं दिए। तब त्रिशिरा राक्षस ने अपने दो सिर अग्नि में काटकर शिवजी को समर्पित कर दिए। जब वह अग्नि में आहुति देने के लिए अपना तीसरा शीश काटने वाला था, उसी समय भगवान शंकर प्रसन्न होकर प्रकट हो गए। उन्होंने राक्षस के दोनों कटे सिर पुनः उसके धड़ से जोड़ दिए। उसकी प्रार्थना पर शिवजी त्रिशिरानाथ के रूप में उस स्थान पर विराजित हो गए। त्रिशिरापल्ली नाम से प्रसिद्ध यह स्थान कालांतर में तिरुचिरापल्ली और फिर त्रिचि हो गया।

इस पहाड़ी की तलहटी में गणेशजी का माणिक्क विनायकर मंदिर, आधे रास्ते ऊपर शिवजी का थायुमानवर स्वामी मंदिर और पहाड़ी की चोटी पर गणेशजी का उच्ची पिल्लयार मंदिर है। इन तीन मंदिरों के कारण इस इस पर्वत को मुथलै पर्वत (तीन मुखों वाला पर्वत) कहा जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि पर्वत के प्रथम शिखर पर भगवान शिव, दूसरे शिखर पर माँ पार्वती और तीसरे शिखर पर गौरीनंदन गणेश विराजमान हैं, जिसके कारण इसे थिरि-सिकरपुरम कहा जाता था, जो बाद में बदलकर थिरिसिरपुरम (त्रिशिरापुरम) हो गया।

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