विवादों को दूर कर संबंधों में मधुरता लाएंगे 12 भावों के ये उपाय, जानें इनके बारे में

विवादों को दूर कर संबंधों में मधुरता लाएंगे 12 भावों के ये उपाय, जानें इनके बारे में

Manmohan Prajapati
Update: 2019-07-02 06:54 GMT
विवादों को दूर कर संबंधों में मधुरता लाएंगे 12 भावों के ये उपाय, जानें इनके बारे में

डिजिटल डेस्क। आजकल जहां देखो वहीं छोटी छाटी बातों पर टकराव और विवाद नजर आते हैं। फिर चाहे स्थान आपका घर हो, ऑफिस या फिर व्यापारिक क्षेत्र, कारण मतभिन्नता हैं। जिसके चलते सास बहू के बीच खींचा तानी, पति पत्नी में बहस , पिता पुत्र का झगड़ा और चाहे बॉस एम्प्लौयी के बीच झड़प होती है। कई बार इन समस्याओं से परेशान होकर लोक रत्न धारण कर लेते हैं, लेकिन सिर्फ रत्न पहनने से या कोई जप करने मात्र से वे संबंध नही सुधर सकते। 

आपके संबंध अपने आचरण और अपने व्यवहार में परिवर्तन से सुधरेंगे, तभी हम संबंधों में मधुरता ला पाएंगे। आज हम पंडित सुदर्शन शर्मा शास्त्री के अनुसार जानेंगे, कि ज्योतिष के आधार पर लग्न से लेकर बारह भावों का संबंध किस संबंधित हैं और उसे सुधारने के लिए हमारे आचरण क्या होने चाहिए? आइए जानते हैं...

प्रथम भाव: प्रथम भाव पीड़ित है तो जातक स्वयं से परेशान होता हैं, जानबूझकर गलतियां दोहराता जाता है। 
उपाय-  जातक स्वयं से मैत्री करें, आत्मनिरीक्षण करें स्वयं की गलतियों और खूबीयों को पहचान कर जातक स्वयं की उन्नति कर सकता है।

दूसरा भाव: दूसरा भाव पीड़ित होने से कुटुंब परिवार में विवाद बने रहते हैं। बात बात पर कलह की स्थिति बनती रहती है।   उपाय- अहंकार दबाकर, सबसे विनम्रता से पेश आएं। छोटों से प्यार करें, बराबर वालों से मित्रता और बड़ों के प्रति सम्मान प्रदर्शित करें। 

तीसरा भाव: तीसरा भाव पीड़ित है तो छोटे भाई बहनों के सुख में कमी होती हैं। मधुर संबंध नहीं होते। 
उपाय-  जातक अपने से उम्र में छोटी लड़की को बहन बनाए और जातिका छोटी उम्र के लड़के को भाई बनाए।

चौथा भाव: यदि चतुर्थ भाव पीड़ित है तो जातक को माता के सुख में कमी का अनुभव होता हैं। माता का स्वास्थ्य खराब रहता हैं। ससुर से संबंध ठीक नहीं रहते।
उपाय-  माता का सम्मान करें मित्रवत व्यवहार करें। सुख सुविधाओं का ध्यान रखें। यदि मां को रोग परेशान कर करें हैं तो वृदिधाश्रम में दान करें।

पंचम भाव: पंचम भाव पीड़ित होने पर संतान सुख का अभाव या संतान का स्वास्थ्य हमेशा खराब रहता है। 
उपाय- प्रत्येक वर्ष 10 साल से कम उम्र के बच्चों को यथा संभव कपड़ोंं का दान करें। सात गुरूवार गरीब बच्चों को हवा भरे गुब्बारे खेलने को दें अवश्य ही लाभ होगा।

छठा भाव:  यदि छठा भाव पीड़ित हो तो जातक के अपने मामा से संबंध मधुर नही होते हैं या मामा का स्वास्थ्य खराब होता हैं। रोग,शत्रु व ऋण साये की तरह साथ लग जाते हैं।
उपाय-  मामा से संबंध मधुर बनाएं और अपने गुस्से पर नियंत्रण रखें।

सातवां भाव:  यदि सातवा भाव पीड़ित हैं तो जातक का वैवाहिक जीवन कष्टमय होता है या शादी में विलंब होता हैं। वहीं व्यापारिक साझेदारी में विवाद हो जाता है।
उपाय- स्त्री का सम्मान करें, यदि जातिका हो तो पुरूष को मान दें। सुख दुख में उसके कदम से कदम मिलाकर चलें। अपने जीवनसाथी की भावनाओं के साथ खिलवाड़ न करें।

आठवा भाव: यदि यह भाव पीड़ित है तो ससुराल पक्ष आपसी विवादों में फंसा रहता हैं। वहां सदा आर्थिक अभाव बना रहता है। कोई भी काम करने में अड़चनें आती हैं। 
उपाय - अपने ससुराल से संबंध मधुर बनाएं तथा सास ससुर का ध्यान रखें।

नवम भाव: नवम भाव पीड़ित होने पर जातक को पौत्र तथा साले का सुख कम मिलता है या दोनों से संबंध मधुर नहीं रहते हैं। भाग्योदय नहीं होता। 
उपाय- छोटे बच्चों से प्रेमपूर्वक व्यवहार करें अनाथ बच्चों की यथासंभव मदद करें। ईश्वरीय कृपा प्राप्त करने के लिए ह्रदय से प्रार्थना करें। 

दशम भाव: यदि दशम भाव पीड़ित हो तो जातक के पिता का जीवन कष्टमय होता है। जातक के कार्यो में असफलता का एक सिलसिला सा चलता रहता है। अपने पिता से संबंध मधुर नही होते हैं। व्यवसाय में स्थिरता नहीं रहती। 
उपाय - जातक पूर्ण श्रृद्धा से अपने पिता की सेवा करे उनका आदर करें पिता के अभाव में वृद्ध पुरूषों का आशीर्वाद लें और वृद्धाश्रम में जाकर यथा संभव दान करें।

एकादश भाव: यदि एकादश भाव पीड़ित है तो जातक को बड़े भाई का सुख नही होता हैं या उससे संबंध मधुर नहीं रहते हैं। जातक को मेहनत का प्रतिफल कम मिलता हैं।
उपाय - अपने बड़े भाई को आदर सम्मान दें। उससे संबंध मधुर बनाएं, बड़े भाई के अभाव में अपने से बड़े उम्र के व्यक्तियों का सम्मान करें तथा अपने खास कामो में उनकी सलाह लें, नहीं तो अनुभवहीनता के कारण आपकों नुकसान उठाना पड़ सकता है।

बारहवां भाव: यदि यह भाव पीड़ित हैं तो चाचा से संबंध मधुर नहीं होते। आय से अधिक व्यय हमेशा रहता है। नेत्र दोष भी होता हैं। 
उपाय- अपने चाचा से मधुर संबंध बनाए। उनका आदर सम्मान करें। सप्ताह में एक दिन जानवर को हरा चारा खिलाएं। अपने धन को अपने जीवनसाथी के नाम से जमा करें। आवश्यकता के अनुरूप ही पैसे अपने पास रखें। इस प्रकार से अपने आचरण व्यवहार में परिवर्तन लाकर संबंधो में मधुरता ला सकते हैं और खुशहाल जीवन जी सकते हैं।


साभार : पंडित सुदर्शन शर्मा शास्त्री

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