8 फरवरी को है तिलकूट चतुर्थी का व्रत, ऐसे मिलेगी श्रीगणेश की कृपा
8 फरवरी को है तिलकूट चतुर्थी का व्रत, ऐसे मिलेगी श्रीगणेश की कृपा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को तिलकुंद/ तिलकूट चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस विनायक चतुर्थी को वरद विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार यह व्रत 8 फरवरी 2019 को मनाया जा रहा है। इस दिन विशेष रूप से भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाती है, साथ ही विनायकी चतुर्थी भी मनाई जाती है। पुराणों में भी इस चतुर्थी का विशेष महत्व बताया गया है, विशेषकर महिलाओं के लिए इस व्रत को बहुत ही उपयोगी माना गया है।
शास्त्रों के अनुसार जो लोग नियमित रूप से विघ्नहर्ता श्रीगणेश की पूजा-अर्चना करते हैं, उनके जीवन के सभी प्रकार के कष्ट समाप्त होते जाते हैं। मंगलमूर्ति और प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश को "संकटहरण" भी कहा जाता है। तिलकुंद चतुर्थी के दिन व्रत रखकर भगवान श्रीगणेश का पूजन करने से सुख-समृद्धि, धन-वैभव तथा आत्मीय शांति की प्राप्ति होती है।
ज्ञान और धैर्य
हिन्दु कैलेण्डर के अनुसार विनायक चतुर्थी के दिन गणेश पूजा दोपहर को मध्याह्न काल के समय की जाती है। दोपहर के समय भगवान गणेश की पूजा का मुहूर्त विनायक चतुर्थी के दिनों के साथ दर्शाया गया है। इतना ही नहीं, व्यवसाय में बरकत तथा घर में हमेशा खुशहाली बनी रहती है। भगवान से अपनी किसी भी मनोकामना की पूर्ति के आशीर्वाद को वरद कहते हैं। जो श्रद्धालु विनायक चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं। ज्ञान और धैर्य दो ऐसे नैतिक गुण हैं जिसका महत्व सदियों से मनुष्य को ज्ञात है। जिस मनुष्य के पास यह गुण हैं वह जीवन में काफी उन्नति करता है और मनवान्छित फल प्राप्त करता है।
पूजन विधि :-
तिलकुंद चतुर्थी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर साफ-स्वच्छ वस्त्र पहनें।
इसके बाद आसन पर बैठकर भगवान श्रीगणेश का पूजन करें।
पूजा के दौरान भगवान श्रीगणेश को धूप-दीप दिखाएं।
फल, फूल, चावल, रौली, मौली चढ़ाएं, पंचामृत से स्नान कराने के बाद तिल अथवा तिल-गुड़ से बनी वस्तुओं व लड्डुओं का भोग लगाएं।
- श्रीगणेश की पूजा करते समय अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें।
- पूजा के बाद "ॐ श्रीगणेशाय नम:" का जाप 108 बार करें।
- शाम को कथा सुनने के बाद गणेशजी की आरती उतारें।
इस दिन गर्म कपड़े, कंबल, कपड़े व तिल आदि का दान करें। इस प्रकार विधिवत भगवान श्रीगणेश का पूजन करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि में निरंतर वृद्धि होती है।
विनायक चतुर्थी के लिए उपवास का दिन सूर्योदय और सूर्यास्त पर निर्भर करता है और जिस दिन मध्याह्न काल के समय चतुर्थी तिथि प्रबल होती है उस दिन विनायक चतुर्थी का व्रत किया जाता है।
पंचांग की तालिका के अनुसार हरेक शहर की भूगोलिक स्थिति को लेकर तैयार की जाती है इसीलिए यह अधिक शुद्ध है। अधिकतर पंचांग सभी शहरों के लिए एक ही तालिका को सूचीबद्ध करते हैं इसीलिए वो केवल एक ही शहर के लिए मान्य होते हैं।