देवताओं को भी दुर्लभ, विष्णु शक्ति देवी एकादशी काे समर्पित है ये व्रत
देवताओं को भी दुर्लभ, विष्णु शक्ति देवी एकादशी काे समर्पित है ये व्रत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्पन्ना एकादशी इस वर्ष 14 नवंबर को मनाई जा रही है। सभी एकादशी उपवास देवी एकादशी को समर्पित हैं जो भगवान विष्णु के शक्तियों में से एक है। देवी एकादशी का जन्म भगवान विष्णु का वध करने के लिए दानव मूर का विनाश करने के लिए भगवान विष्णु की देह से हुआ था।
इसलिए देवी एकादशी भगवान विष्णु की सुरक्षात्मक शक्तियों में से एक है। इसलिए उत्पन्ना एकादशी को एकादशी का जन्मदिन माना जाता है। ऐसे भक्त जो वार्षिक उपवास का पालन करने की प्रतिज्ञा करते हैं उत्पन्ना एकादशी से एकादशी का उपवास शुरू करते हैं।
दोनों दिन सिर्फ ये लोग करते हैं व्रत
कभी-कभी एकादशी का उपवास लगातार दो दिनों में होता है। इस संबंध में विद्वान ऐसी सलाह देते हैं कि परिवार के साथ केवल पहले दिन उपवास का पालन करना चाहिए। वैकल्पिक एकादशी उपवास जो दूसरे दिन है संन्यासी विधवाओं सहित उनके लिए है जो मोक्ष चाहते हैं। दोनों दिन एकादशी का व्रत वही भक्त रखते हैं जो भगवान विष्णु के अखंड भक्त हैं और उनसे प्यार एवं स्नेह की मांग करते हैं।
सबसे अधिक पुण्यकारी है ये व्रत
एकादशी का व्रत अत्यंत ही पुण्यकारी बताया गया है। कहा जाता है कि जो फल अश्वमेध यज्ञ करने से सौ गुना, एक लाख साधु व तपस्वियों को 60 वर्ष तक भोजन कराने से प्राप्त होता है वह पुण्य इस व्रत को रखने से होता है। इसी प्रकार दस ब्राम्हणों तथा सौ ब्रम्हचारियों को भोजन कराने से हजार गुना पुण्य भूमि दान से होता है एवं कन्यादान का पुण्य इससे भी अधिक होता है, परंतु इन सभी पुण्यों में सबसे अधिक पुण्य एकादशी का बताया गया है।
भोजन से आधा हो जाता है व्रत का पुण्य फल
इस व्रत में यदि रात्रि में या दिन में एक बार भोजन कर लिया जाए तो आधा पुण्य ही प्राप्त होता है। जबकि निर्जला व्रतधारी का महत्म्य देवता भी वर्णन नहीं करते। इसका प्रभाव देवताओं को भी दुर्लभ है।