जब कुंडली में बृहस्पति होते हैं सकारात्मक, तब होते हैं ये चमत्कार                   

जब कुंडली में बृहस्पति होते हैं सकारात्मक, तब होते हैं ये चमत्कार                   

Manmohan Prajapati
Update: 2019-03-06 08:43 GMT
जब कुंडली में बृहस्पति होते हैं सकारात्मक, तब होते हैं ये चमत्कार                   

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वैसे तो बृहस्पति आशावाद के प्रतीक गुरू ग्रह हैं तथा देवताओं के मुख्य सलाहकार हैं। ये उपदेशक हैं, प्रवाचक हैं तथा सन्मार्ग पर चलने की सलाह देते हैं। वे विज्ञान हैं, दृष्टा हैं तथा उपाय बताते हैं जिनसे मोक्ष मार्ग प्रशस्त हो। यदि गुरू अपने सम्पूर्ण अंश दे दें तो व्यक्ति महाज्ञानी भी हो जाता है। जब बृहस्पति नीच राशि में हों तब व्यक्ति की चर्बी कम होगी या अधिक होगी। जिन स्त्रियों की कुंडलियों में बृहस्पति नीच राशि में हैं उनमें मोटापा अधिक बढ़ता है। 

जिनमें बृहस्पति अत्यन्त शुभ अंशों में हों उनमें भी ऐसा कभी-कभी देखने को मिल सकता है। जो लोग बृहस्पति के लग्न में जन्म लेते हैं उनमे भी वसा तत्व अधिक मिलेगा और मोटापे को रोक नहीं पाता है। जिन लोगों की धनु या मीन राशि है उनको यह समस्या उत्पन्न होती ही है। बृहस्पति एक तरफ ज्ञान, विज्ञान व विद्वत्ता देते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कई प्रकार के कष्ट भी देते हैं।

उपाय होते हैं सफल
हम सब जानते हैं कि परिश्रम करने से या कसरत करने से मोटापा कम होता है अर्थात् बृहस्पति के अंश अधिक होने से कसरत करनी पड़ती है यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है। यदि बृहस्पति का पूजा-पाठ करेंगे तो अवश्य ही मोटापा घटाने के लौकिक उपाय सफल हो जाएंगे अन्यथा बार-बार व्यायाम शालाओं में जाना पडे़गा और खर्चे का मीटर भी बढे़गा। 

भाव की दिशा
जन्मचक्र में बृहस्पति का गोचर यह कि बृहस्पति किस भाव पर दृष्टि डाल रहे हैं तथा वह भाव किस दिशा में पड़ता है। उदाहरण के लिए जब बृहस्पति जन्म चक्र के तीसरे भाव में भ्रमण कर रहे हों तथा सातवें भाव पर, नवें भाव पर व एकादश भाव पर दृष्टि कर रहे हैं तो इनमें से सातवां भाव पत्नी से सम्बन्धित होता है एवं उसकी भाव की दिशा पश्चिम होती है। 

पुनर्विवाह के योग
बृहस्पति की अमृत दृष्टि है अत: वह सप्तम भाव पर शुभ प्रभाव डालते हुए पत्नी के जीवन में शुभ लाएंगे। पत्नी का पद बढे़गा, उसका सुख बढे़गा, उनके वस्त्राभूषण बनेंगे। साथ ही उनका स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। उनको भोजन भी अच्छा मिलेगा पति का सानिध्य अधिक मिलेगा। जिन लोगों के तलाक की स्थितियां हैं उनके तलाक रूक जाएंगे, लेकिन जिनके तलाक सम्बन्धित कार्यवाहियां सप्तम भाव पर बृहस्पति की दृष्टि से पूर्व ही हो चुकी हैं उनके पुनर्विवाह के योग बनेंगे।

जीवन स्तर में परिवर्तन
ठीक इसी समय आप पाएंगे कि मकान के पश्चिम दिशा में या तो निर्माण होंगे या निर्माण कराने जैसी परिस्थितियां नहीं हैं तो पश्चिम दिशा में स्थित शयन कक्षों में इन्टीरियर में परिवर्तन आएगा। इन कक्षों में रहने वालों के जीवन स्तर में परिवर्तन आएगा। उनके सुख में वृद्धि होगी और उसके परिणामस्वरूप उनके स्वास्थ्य में सुधार होगा। यह परिस्थितियां तब तक रहेंगी जब तक बृहस्पति देवता की दृष्टि सप्तम भाव पर अर्थात पश्चिम दिशा पर है।

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