अनोखा मंदिर, यहां महाकाल से पहले होती है रावण पूजा

अनोखा मंदिर, यहां महाकाल से पहले होती है रावण पूजा

Bhaskar Hindi
Update: 2018-02-23 04:13 GMT
अनोखा मंदिर, यहां महाकाल से पहले होती है रावण पूजा

 

डिजिटल डेस्क, उदयपुर। मोक्ष प्राप्ति की कामना से भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस बार यह 27 फरवरी मंगलवार को है। इसी दिन गोविंद द्वादशी का शुभ संयोग भी है। यहां हम आपको भगवान शंकर के ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो है तो भगवान शिव का किंतु यहां रावण की भी पूजा होती है। वह भी भगवान शंकर से पहले। यह अनोखा एवं अद्भुत मंदिर उदयपुर के पास झाडोली तहसील में आवारा गढ़ की पहाड़ियों में मौजूद है। 

 

प्रकाण्ड विद्वान था रावण 

रावण भगवान शिव का अनन्य भक्त एवं प्रकाण्ड विद्वान था। यह नाम भी उसे भगवान शिव ने ही दिया था। रावण ने भोलेनाथ की भक्ति से ढेरों शक्तियां अर्जित की थीं। जिस मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं उसे कमलनाथ महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसके संबंध में मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वयं लंकापति रावण ने अपने हाथों से की थी। 

 

नाभि में अमृत कुंड 

यह भी कहा जाता है कि यह वही स्थान है जहां लंकापति रावण ने अपने शीश भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अग्निकुंड को समर्पित किए थे। इसी वजह से उसे दशानन का नाम दिया गया और प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने रावण की नाभि में अमृत कुंड स्थापित किया था। 

 

 

विशेष अवसराें पर विशेष पूजा

इस मंदिर को लेकर स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि इस स्थान पर भगवान भोलेनाथ से पहले रावण की पूजा नही की जाए तो पूजा व्यर्थ मानी जाती है। इसी वजह से यहां भगवान महादेव से पहले रावण की पूजा की जाती है। इस मंदिर में विशेष अवसरों पर विशेष पूजा की जाती है। महाशिवरात्रि से लेकर प्रदोष व्रत तक भक्त यहां महादेव की पूजा करने आते हैं, किंतु उससे पूर्व वे रावण की पूजा भी करते हैं। यह स्थान बेहद अलौकिक माना जाता है। 

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