रोहिंग्या शरणार्थी कैंप पहुंचीं प्रियंका चोपड़ा, दुनिया से की मदद की अपील

रोहिंग्या शरणार्थी कैंप पहुंचीं प्रियंका चोपड़ा, दुनिया से की मदद की अपील

Bhaskar Hindi
Update: 2018-05-22 09:54 GMT
रोहिंग्या शरणार्थी कैंप पहुंचीं प्रियंका चोपड़ा, दुनिया से की मदद की अपील

डिजिटल डेस्क, ढाका। बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा बीते एक दशक से यूनिसेफ के साथ जुड़ी हुई हैं। प्रियंका चोपड़ा यूनिसेफ की ग्लोबल गुडविल एंबेसेडर भी हैं। इन दिनों वह बांग्लादेश के रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों के दौरे पर हैं। प्रियंका ने अपनी एक तस्वीर ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। इस तस्वीर में प्रियंका विमान की खिड़की से बाहर देख रही हैं। ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा कि "मैं यूनिसेफ फील्ड विजिट पर रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों के दौरे पर हूं, मेरे अनुभवों को साझा करने के लिए मुझे इंस्टाग्राम पर फॉलो करें। बच्चे बेघर हो गए हैं, दुनिया को ख्याल रखने की जरूरत है। हमें ख्याल रखना चाहिए।"

बता दें कि 2010 में प्रियंका को बाल अधिकारों के लिए यूनिसेफ का राष्ट्रीय और ग्लोबल गुडविल एंबेसेडर बनाया गया था। एक दूसरे ट्वीट में प्रियंका बच्चों के साथ दिख रही हैं। उन्होंने लिखा, "आज मैं यूनिसेफ के साथ फील्ड विजिट पर बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में हूं। ये दुनिया के सबसे बड़े शर्णार्थी शिविरों में से एक है।"

प्रियंका पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला अधिकारों से जुड़े कार्यक्रमों को प्रमोट करती रहती हैं। बता दें कि अगस्त 2017 से लेकर अब तक लगभग 7,00,000 शरणार्थी म्यांमार से पलायन कर बांग्लादेश के कॉक्स बाजार पहुंचे हैं। पिछले साल प्रियंका ने जॉर्डन में भी सीरियाई शरणार्थी बच्चों से भी मुलाकात की थी।

दूसरी तरफ तस्लीमा नसरीन ने प्रियंका के दौरे वाले पोस्ट पर ट्वीट करते हुए लिखा कि जिस्मफरोशी के लिए रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों में रह रहे बच्चों की तस्करी की जाती है, लेकिन किसे परवाह है? 

प्रियंका ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि ""2017 के उत्तरार्द्ध में, दुनिया ने म्यांमार (बर्मा) की रखाइन स्टेट की तरफ़ से की गयी एथनिक क्लीनज़िंग की भयावह तस्वीरें देखी थीं। इस हिंसा ने क़रीब सात लाख रोहिंग्या को सीमा पार करके बांग्लादेश में शरण लेने को मजबूर कर दिया था, जिनमें से 60 फीसदी बच्चे भी हैं। कई महीने बीत जाने के बाद भी आज वे असुरक्षित हैं। ऐसे शिविरों में रह रहे हैं, जहां पांव रखने की जगह नहीं है। उन्हें नहीं पता कि वे कहां जाएंगे या वे कहां के कहलाएंगे।""

प्रियंका लिखती हैं कि ""इससे भी बुरा ये है कि इन बच्चों को नहीं पता है कि, अगली बार खाना कब मिलेगा और कब तक उनके जीवन में थोड़ा ठहराव आएगा। ये बच्चों की पूरी पीढ़ी है, जिसका कोई भविष्य नहीं है। उनके चेहरों पर मुस्कान है, मगर मैं उनमें सूनापन देख सकती हूं। इस इंसानी संकट की अग्रिम पंक्ति में ये बच्चे ही खड़े हैं, जिन्हें मदद की सख़्त ज़रूरत है। दुनिया को परवाह करने की ज़रूरत है। हमें परवाह करने की ज़रूरत हैं। ये बच्चे ही भविष्य हैं।""  

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