Year Ender 2017: मेरी फिल्मों से ही मेरी शख्सियत को दिलों में जिंदा रखना

Year Ender 2017: मेरी फिल्मों से ही मेरी शख्सियत को दिलों में जिंदा रखना

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-27 10:28 GMT
Year Ender 2017: मेरी फिल्मों से ही मेरी शख्सियत को दिलों में जिंदा रखना

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉलीवुड एक ऐसी दुनिया जहां इंसान पर्दे पर कितने ही काल्पनिक और असल जिंदगी पर आधारित किरदार निभाता है। इन्हीं किरदारों में कभी उसे पर्दे पर मरता हुआ भी दिखाया जाता है तो कभी मौक के मुंह से बाहर आते भी दिखाया जाता है। ऐसे में किसी कलाकार की जब मौत होती है तो फिल्मी पर्दे पर एक सूनापन छा जाता है। ऐसा सूनापन जिसे अब कभी खुशनुमा नहीं बनाया जा सकता है। बस इन कलाकारों को सिर्फ फिल्मी रीलों में कैद रहकर ही लोगों के दिलों में रहना पड़ता है। हालांकि एक कलाकार की मौत कभी होती नहीं है, वह मरकर भी अपनी फिल्मों के जरिए अपने फैंस के दिलों-दिमाग में जिंदा रहता है। जब कभी उस कलाकार की फिल्में आती हैं तो ऐसा लगता ही नहीं कि अब वह इस दुनिया में नहीं रहा। ऐसा लगता है मानो अभी फिर से उन्हें किसी फिल्म में एक्टिंग करते देखेंगे। 

 

 

ओम राजेश पुरी (18 अक्टूबर 1950-6 जनवरी 2017)

साल 2017 खत्म होने को आया है, इस साल बॉलीवुड से लेकर टॉलवुड तक कई बुरी खबरें आईँ। जिनमें हमारे चहेते कलाकारों ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। साल की शुरुआत ही हुई थी कि जिसदुखद समाचार की उम्मीद नहीं थी, वह सूचना अचानक से मिली कि दिग्गज अभिनेता ओम पुरी साहब का निधन हो गया है। यह खबर पूरे बॉलीवुड के लिए ऐसी थी जैसे बॉलीवुड ने किसी नगीने को खो दिया हो। 6 जनवरी को कार्डियक अटैक के कारण ओम पुरी हम सभी को छोड़कर चले गए। कला फिल्मों से चमका एक सितारा ओम राजेश पुरी अब दूर कहीं सितारा बन चुका था। उन्होंने फिल्मी पर्दे पर अपने हर किरदार को यादगार बना दिया। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को देखते हुए 1990 में उन्हें पद्मश्री से अलंकृत किया गया। ओमपुरी ने अपने चार दशक लंबे सिने करियर में लगभग 200 फिल्मों में अभिनय किया. उनके करियर की उल्लेखनीय फिल्मों में कुछ है, अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है, स्पर्श, कलयुग, विजेता, गांधी, मंडी, डिस्को डांसर, गिद्ध, होली, पार्टी, मिर्च मसाला, कर्मयोद्धा, द्रोहकाल, कृष्णा, माचिस, घातक, गुप्त, आस्था, चाची 420, चाइना गेट, पुकार, राफेरी, कुरूक्षेत्र, सिंह इज किंग आदि है। हाल ही में उनकी बजरंगी भाईजान, हो गया दिमाग का दही फिल्म रिलीज हुई है।

 

 

विनोद खन्ना (6 अक्टूबर 1946-27 जुलाई 2017)


बॉलीवुड के मोस्ट हैंडसम अभिनेता कहे जाने वाले विनोद खन्ना की इस साल 27 जुलाई को कैंसर के कारण मृत्यु हो गई थी। वह 70 सालों तक वे लोगों के दिलों पर राज करते रहे। 70 साल की उम्र में, वह कैंसर से लड़ाई हार गए। वह लंबे समय से अपने जीवन में संघर्ष कर रहे थे, लेकिन अंततः इस बीमारी से उनका निधन हो गया और इस वर्ष वह अपने परिवार और इस दुनिया को छोड़ गए। विनोद खन्ना ने हमें "अमर अकबर एंथनी", "चांदनी", "इंसाफ", "मुकाधार का सिकंदर" और कई और कई तरह की यादगार फिल्मों की यादें दी हैं। उन्होंने अपने फ़िल्मी सफर की शुरूआत 1968 मे आई फिल्म “मन का मीत” से की जिसमें उन्होने एक खलनायक का अभिनय किया था। कई फिल्मों में उल्लेखनीय सहायक और खलनायक के किरदार निभाने के बाद 1971 में उनकी पहली एकल हीरो वाली फिल्म ‘हम तुम और वो’ आई। विनोद खन्ना ने ‘मेरे अपने’, ‘कुर्बानी’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘रेशमा और शेरा’, ‘हाथ की सफाई’, ‘हेरा फेरी’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’ जैसी कई शानदार फिल्में की हैं। कुछ वर्ष के फिल्मी सन्यास, जिसके दौरान वे आचार्य रजनीश के अनुयायी बन गए थे, के बाद उन्होने अपनी दूसरी फिल्मी पारी भी सफलतापूर्वक खेली और अभी तक भी फिल्मों में सक्रिय थे। विनोद खन्ना का नाम ऐसे एक्टर्स में शुमार था जिन्होंने शुरुआत तो विलेन के किरदार से की थी, लेकिन बाद में हीरो बन गए।

 

 


इंदर कुमार (26 अगस्त 1973-जुलाई -28, 2017)

इंदर कुमार बॉलीवुड का एक प्रसिद्ध अभिनेता जिसने सलमान खान के साथ कई फिल्मों में काम किया। उन्हें "वांटेड", "कहीं प्यार ना हो जाए" में अपनी भूमिकाओं के लिए खूब जाने गए, "" तुमको ना भूल पाएंगे"", खिलाड़ियों का खिलाड़ी आदि फिल्मों के लिए जाना जाता है। उन्होंने अन्य भाषाओं की कई फिल्मों में भूमिका निभाईं। कथित यौन उत्पीड़न के मामलों में उनका नाम कई बार भी आया। इस साल 28 जुलाई को दिल का दौरा पड़ने के कारण उनकी मौत हो गई थी। इंदर कुमार ने सलमान के सामने ही उनसे ज्यादा बॉडी बनाकर लोगों को चौंका दिया था। इंदर कुमार ने बॉलीवुड में अपने करियर का आगाज 1996 में "मासूम" फिल्म से किया था. 2017 में आई "हु इज द फर्स्ट वाइफ ऑफ माई फादर" उनकी आखिरी फिल्म थी।

 


 

रीमा लागू (21 जून 1958-18 मई 2017)


बॉलीवुड फिल्मों में मातृत्व का प्रतीक बन चुकी रीमा लागू का निधन भी इसी साल मई में निधन हो गया। वह केवल 58 साल की थीं, दिल की विफलता के कारण इस साल मई में एक अस्पताल में भर्ती हुईं उन्होंने टीवी धारावाहिकों में भी अपने अभिनय के परचम लहराए। "तू-तू मैं-मैं" जैसे डेली सोप में उनहोंने बेहतरीन काम किया है बॉलीवुड के अलावा, उनहोंने मराठी फिल्मों में भी अपने अभिनय का जादू बिखेरा। उन्होंने ‘गुमराह’ (1993) और ‘जय किशन’ जैसी ड्रामा और थ्रिलर फिल्में भी कीं। ‘गुमराह’ अपने समय की सपुरहिट फिल्म रही थी और ज्यादा कमाई के भी कई रिकॉर्ड्स इस फिल्म ने अपने नाम किए थे। पारिवारिक फिल्मों में ये अभिनेत्री खूब पसंद कई गईं। ‘हम आपके हैं कौन’(1994), ‘ये दिल्लगी’ (1994), ‘दिलवाले’(1994), ‘कुछ कुछ होता है’(1998) और ‘कल हो ना हो’ (2003), ‘जिस देश में गंगा रहता है’ में इन्होंने यादगार भूमिकाएं निभाईं। ज्यादातर रीमा लागू ने मां की भूमिका की लेकिन इसके अलावा भी इन्होंने कई तरह के चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं की। फिल्म ‘आक्रोश’(1980) में इन्होंने डांसर की भूमिका की तो वहीं ‘ये दिल्लगी’ (1994) में इन्होंने एक बिजनेसवुमन की भूमिका निभाई। गौरतलब है कि रीमा की मां मन्दाकिनी भड़भाड़े भी एक जानी-मानी मराठी अभिनेत्री थीं। बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के लिए चार फिल्मफेयर अवार्ड जीत चुकीं रीमा लागू के अचानक मौत की ख़बर से बॉलीवुड सदमें में है।

 


 

टॉम ऑल्टर (22 जून 1950-29 सितंबर 2017)

हिंदी सिनेमा का मशहूर विदेशी चेहरा टॉम ऑल्टर भी इसी साल की कैंसर से जंग लड़ते लड़ते बॉलीवुड को अलविदा कह दिया। टॉम ऑल्टर ने मुंबई के सैफी हॉस्पिटल में दम तोड़ा। उन्हें चौथी स्टेज का कैंसर था।  उन्होंने 300 से अधिक फिल्मों में काम किया, जिसमें सत्यजीत रे की ‘शतरंज के खिलाड़ी’ और ‘जूनून’ जैसी फिल्में शामिल हैं। ऑल्टर ने अभिनेता धर्मेंद्र की फिल्म "चरस" और देव आंनद की "देस-परदेस" जैसी फिल्मों में काम किया है। इसके अलावा उन्हें शतरंज के "खिलाड़ी","गांधी","क्रांति", "बोसः द फोरगोटन हिरो" और "वीर-जारा" जैसी फिल्मों में अहम किरदार निभाए हैं। फिल्म जगत में उनके योगदान के लिए साल 2008 में उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। 

 

 

फिल्मकार लेख टंडन (13 फरवरी 1929-15 अक्टूबर 2017)
 
विख्यात फिल्मकार लेख टंडन भी इसी साल 88 साल की उम्र में इस दुनियो को छोड़कर चले गए। टंडन ने अपने परिवार की उपस्थिति में, अपने पवई निवास में अंतिम सांस ली। 1929 में लाहौर में पैदा हुए, टंडन ने कई बॉलीवुड दिग्गजों का निर्देशन किया, जैसे शम्मी कपूर ("प्रोफेसर", 1962, "प्रिंस", 1969), राजेंद्र कुमार, शशि कपूर, हेमा मालिनी, शबाना आज़मी, रेखा, राजेश खन्ना जैसे कुछ नाम हैं। उनकी फिल्म "अम्रापाली" (1 9 66), जिसमें सुनील दत्त और व्याजांतिमाला शामिल हैं, को 39 वें अकादमी पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा की फिल्म के लिए भारतीय प्रवेश के रूप में चुना गया था। उन्होंने 1978 में वर्जेंद्र गौर और मधुसूदन कालेकर के साथ उनकी फिल्म "दुल्हन वाही जो पिया मॅन भाये" के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ पटकथा पुरस्कार जीता। 1988 में अपना पहला टेलीविजन धारावाहिक "दिल दरिया" निर्देशित किया। जिसके माध्यम से उन्हें शाहरुख खान की खोज के लिए श्रेय दिया गया। टंडन ने "स्वदेस", "चेन्नई एक्सप्रेस", "रंग दे बसंती" जैसी फिल्मों में भी अभिनय किया।

 


 

शशि कपूर (18 मार्च 1938-4 दिसंबर, 2017)

बॉलीवुड के रोमांटिक एक्टर शशि कपूर सोमवार को 79 साल की उम्र में मुंबई के कोकिलाबेन धीरुबाई अंबानी अस्पताल में निधन हुआ। शशी कपूर 4 दिसंबर, 2017 को दुनिया छोड़कर चले गए। शशि कपूर ने 61 फिल्मों में शशि कपूर बतौर हीरो पर्दे पर आए और करीब 55 मल्टीस्टारर फिल्मों के हिस्सा बने थे। उनका "दीवार" फिल्‍म में डायलॉग "मेरे पास मां है" आज भी लोगों की जुबान पर रहता है। शशि कपूर का असली नाम बलबीर राज कपूर था, उन्होंने 175 से ज्यादा फिल्मों में काम किया था। शशि कपूर तीन बार नेशनल अवार्ड भी हासिल कर चुके हैं। 1961 में वह फ़िल्म "धर्म पुत्र" से बतौर हीरो बड़े पर्दे पर आए थे। शशि कपूर को फिल्म "जब जब फूल खिले" के लिए बेस्ट एक्टर, बांबे जर्नलिस्ट एशोसिएशन अवॉर्ड और फिल्म "मुहाफिज" के लिए स्पेशल ज्यूरी का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था।  


 


 

नीरज वोहरा (22 जनवरी 1963-14 दिसंबर 2017)


बॉलीवुड अभिनेता लेखक, निर्देशक और निर्माता नीरज वोरा का 14 दिसंबर 2017 का निधन हो गया। वह पिछले 10 महीने से कोमा में थे। मुंबई के क्रिटी केयर अस्पताल में उन्होंने अपनी आखिरी सांसे ली थी। नीरज को "फिर हेराफेरी" और "खिलाड़ी 420" जैसी फ़िल्मों के निर्देशक और मन, "अकेले हम अकेले तुम", "बादशाह", "आवारा पागल दीवाना", "अजनबी", "हेराफेरी" और "फिर हेराफेरी" के लेखक के तौर पर याद किया जाएगा। उन्होंने अपने कॉमिक अंदाज से लोगो के दिलों में एक खास जगह बनाई थी। उन्होंने सरस्वती ये तेरा घर है मेरा घर, वेलकम बैक, बोल बच्चन, कमाल धमाल मालामाल, डिपार्टमेंट, तेज, खट्टा मीठा, न घर के न घाट के, फैमिलीवाला, मैंने दिल तुझको दिया, कंपनी, धड़कन, जंग, पुकार, मस्त, सत्या जैसी कई फिल्मों में अपनी एक्टिंग से भी दर्शकों का दिल जीता। 
 

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