चीन की नई चाल, 'ग्वादर पोर्ट' और 'चाबहार' के बीच भारत को घेरने की साजिश

चीन की नई चाल, 'ग्वादर पोर्ट' और 'चाबहार' के बीच भारत को घेरने की साजिश

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-29 11:23 GMT
चीन की नई चाल, 'ग्वादर पोर्ट' और 'चाबहार' के बीच भारत को घेरने की साजिश

डिजिटल डेस्क, तेहरान। चीन ने एक बार फिर अपनी नजरें भारत की ओर करते हुए नई चाल चली है। चीन ने इस बार भारत को "ग्वादर पोर्ट" और "चाबहार" के बीच घेरने की साजिश रची है। चीन की यह नई चाल भारत के सहयोग से बने चाबहार पोर्ट और पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को जोड़ने की है। इसके लिए चीन ने ईरान के सामने भी अपनी यह इच्छा जाहिर की है। इससे पहले भी चीन भारत को अपनी महत्वाकांक्षी वन बेल्ट वन रोड परियोजना से जोड़ने में विफल रहा है। यही कारण है कि चीन ने अब ईरान पर डोरे डालना शुरू कर दिया है।

पाकिस्तान मीडिया के अनुसार ईरान का कहना है, चीन ने ऐसी मांग रखी है कि चीनी कंपनियों द्वारा पाकिस्तान में बनाए जा रहे ग्वादर पोर्ट और ईरान के दक्षिणपूर्वी बंदरगाह चाबहार को आपस में जोड़ा जाए। चीन का कहना है कि उनकी इसमें कोई गलत मंशा नहीं है, बस व्यापार को बढ़ावा देने की एक पहल है। बता दें कि चाबहार बंदरगाह जाहेदान से 645 किलोमीटर दूर है और मध्य एशिया व अफगानिस्तान को सिस्तान-बलूचिस्तान से जोड़ने वाला एक मात्र बंदरगाह है।

चाबहार फ्री ट्रेड जोन के मैनेजिंग डायरेक्टर अब्दुलरहीम कोर्दी के हवाले से ईरानी मीडिया में यह खबर आई है कि चीन ने ईरान को जानकारी दी है कि वह ग्वादर पोर्ट से जाने वाले सामान को मंजिल तक पहुंचाने के लिए चाबहार बंदरगाह का इस्तेमाल करने का इच्छुक है। हालांकि कोर्दी ने यह भी कहा कि ईरान के चाबहार और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के बीच किसी तरह की प्रतिस्पर्धा नहीं है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बाजार तक पहुंच बनाने की क्षमता के मामले में दोनों बंदरगाह एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं। 

"चाबहार" भारत का प्रोजेक्ट
गौरतलब है कि चाबहार पोर्ट भारत की मदद से ईरान में बनाया जा रहा है। हाल ही में इसके पहले फेज का उद्घाटन किया गया है। भारत इस प्रॉजेक्ट में 50 करोड़ डॉलर का निवेश कर रहा है। वहीं, चीन ग्वादर बंदरगाह को चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर के हिस्से के रूप में विकसित कर रहा है, जिसे CPEC के नाम से भी जाना जाता है।

भारत के लिए यह चाबहार बंदरगाह इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे भारत के लिए पश्चिमी एशिया से जुड़ने का सीधा रास्ता उपलब्ध कराएगा और इसमें पाकिस्तान का कोई दखल नहीं होगा। चाबहार के खुलने से भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच व्यापार को बड़ा सहारा मिलेगा। पिछले महीने भारत ने अफगानिस्तान को गेहूं से भरा पहला जहाज इसी बंदरगाह के रास्ते भेजा था।

"ग्वादर बंदरगाह" बनाने के पीछे चीन का लक्ष्य
वहीं ग्वादर बंदरगाह बनाने के पीछे चीन का लक्ष्य है कि वह पश्चिमी चीन से जोड़ते हुए ग्लोबल ट्रेड के लिए पाकिस्तान के जरिये सुरक्षित रास्ते का निर्माण करे। इसके जरिए केंद्रीय एशियाई देशों और अफगानिस्तान में भी व्यापार किया जाएगा। ग्वादर बंदरगाह पर काम पूरा हो जाने के बाद चीन का माल ट्रकों के जरिए पाकिस्तान पहुंचाया जा सकेगा।

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