चीन: वुहान की वायरोलॉजी लैब में मौजूद थे कोरोना वायरस के तीन जीवित स्ट्रेन, लेकिन...

चीन: वुहान की वायरोलॉजी लैब में मौजूद थे कोरोना वायरस के तीन जीवित स्ट्रेन, लेकिन...

Bhaskar Hindi
Update: 2020-05-25 02:47 GMT
चीन: वुहान की वायरोलॉजी लैब में मौजूद थे कोरोना वायरस के तीन जीवित स्ट्रेन, लेकिन...

डिजिटल डेस्क, वुहान। चीन के वुहान से कोरोना संक्रमण फैलने की शुरुआत होने के बाद से पूरी दुनिया चीन पर निशाना साध रही है। दुनिया में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के बाद से ही वुहान स्थित वायरोलॉजी इंस्टिट्यूट विवादों में है। कई देशों को यह संदेह है कि वायरस यहीं से फैला है। अब इंस्टिट्यूट ने दावा किया है कि, उनके पास चमगादड़ से निकले कोरोना वायरस के तीन जिंदा स्ट्रेन मौजूद थे लेकिन इनमें से कोई भी मौजूदा महामारी से मेल नहीं खाता। दरअसल वैज्ञानिकों को लगता है, चीन के वुहान शहर में पहली बार यह वायरस चमगादड़ों में उत्पन्न हुआ और एक अन्य स्तनीय जन्तु के माध्यम से लोगों में फैला। इस महामारी की वजह से अब तक दुनिया भर में लाखों लोगों की मौत हो चुकी है।

जिंदा वायरस के तीन स्ट्रेन मौजूद
वैज्ञानिकों का मानना है, कोरोना वायरस चमगादड़ से निकला था और बाद में इंसानों में फैला, लेकिन वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की निदेशक ने कहा है कि, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अन्य द्वारा वायरस के इंस्टिट्यूट से फैलने का दावा करना, पूरी तरह से मनगढ़ंत है। एक इंटरव्यू में निदेशक वांग येनी ने माना है कि लैब में चमगादड़ों से निकाले गए कोरोना वायरस के स्ट्रेन थे। उन्होंने कहा, हमारे पास जिंदा वायरस के तीन स्ट्रेन मौजूद हैं, लेकिन वर्तमान में पूरी दुनिया में कोहराम मचा रहे नोवेल कोरोना वायरस और उनमें सिर्फ 79.8 फीसदी ही समानता है।

दो दशक पहले फैली थी SARS महामारी
2004 से ही प्रोफेसर शी जेंग्ली के नेतृत्व में एक टीम चमगादड़ से निकले कोरोना वायरस पर रिसर्च कर रही है और वह सार्स (SARS) के स्रोत को ढूंढ रही है। प्रोफेसर शी ने बताया, नोवेल कोरोना वायरस के जीनोम SARS से सिर्फ 80 प्रतिशत ही मैच करते हैं। यह बड़ा अंतर है। करीब दो दशक पहले SARS महामारी फैली थी। इसकी वजह से दक्षिण कोरिया में बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे।

नोवेल वायरस की मौजूदगी से इनकार
वायरोलॉजी लैब की निदेशक का कहना है, उसे 30 दिसंबर को अज्ञात वायरस का सैंपल मिला था और इसके बाद 2 जनवरी को वायरस का जीनोम पता लगाा गया। 11 जनवरी को उसे डब्ल्यूएचओ को सौंपा गया। वांग ने दावा किया है कि, दिसंबर में सैंपल मिलने से पहले उनकी टीम का कभी भी ऐसे वायरस से सामना नहीं हुआ था। अन्य लोगों की तरह हमें भी वायरस की मौजूदगी के बारे में नहीं पता था। फिर ऐसे में वह कैसे लैब से लीक हो सकता है जब वह हमारे पास था ही नहीं।

अमेरिका ने लगाए चीन पर आरोप
बता दें कि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने दावा किया था कि, नोवेल कोरोना वायरस चीन के वायरोलॉजी इंस्टिट्यूट से फैला है। अमेरिका सहित कई देशों ने मांग की है, इसकी जांच की जाए कि कोरोना पूरी दुनिया में कैसे फैला।

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