अफगानिस्तान में नई सरकार के गठन की तैयारी, मुल्ला बरादर संभालेंगे कमान

तालिबान के हाथों में सत्ता अफगानिस्तान में नई सरकार के गठन की तैयारी, मुल्ला बरादर संभालेंगे कमान

Bhaskar Hindi
Update: 2021-09-03 06:56 GMT
अफगानिस्तान में नई सरकार के गठन की तैयारी, मुल्ला बरादर संभालेंगे कमान
हाईलाइट
  • अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार
  • मुल्ला बरादर करेंगे नई सरकार नेतृत्व

डिजिटल डेस्क, काबुल। अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद तालिबान नई सरकार का गठन करने जा रहा है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक सत्ता की चाबी तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख मुल्ला बरादर के हाथों में होगी। बरादर ही नई सरकार का नेतृत्व करेंगे।सूत्रों ने मुताबिक तालिबान के दिवंगत संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला मोहम्मद याकूब और शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई सरकार में वरिष्ठ पद संभालेंगे।

अभी तक जो संकेत मिल रहे हैं, उसके मुताबिक तालिबान अफगानिस्तान में ईरान मॉडल के साथ सरकार बना सकता है। यानी अब एक सुप्रीम लीडर होगा और उसके अंतर्गत ही प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति अपनी सरकार चलाएगा। हालांकि, अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं की गई है।तालिबान के एक अधिकारी ने न्यूज वायर को बताया, सभी शीर्ष नेता काबुल पहुंच गए हैं, जहां नई सरकार की घोषणा करने की तैयारी अंतिम चरण में है।

बता दें कि तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लिया था, वह देश के अधिकांश हिस्सों में व्यापक रूप से अपना नियंत्रण स्थापित कर चुका है। हालांकि उसे भारी लड़ाई और हताहतों की रिपोर्ट के साथ, राजधानी के उत्तर में पंजशीर घाटी में प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है और अभी तक भी वह पंजीशीर घाटी पर अपना नियंत्रण स्थापित नहीं कर पाया है।

मुजाहिदीन के पूर्व कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद के नेतृत्व में क्षेत्रीय मिलिशिया के कई हजार लड़ाके और सरकार के सशस्त्र बलों के कुछ सैनिक बीहड़ घाटी में जमा हुए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि किसी समझौते पर बातचीत करने के प्रयास विफल हो गए हैं और प्रत्येक पक्ष विफलता के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहरा रहा है।

टोलो न्यूज ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय दाताओं और निवेशकों की नजर में सरकार की वैधता लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था और एक संघर्ष की तबाही को देखते हुए महत्वपूर्ण होगी, जिसमें अनुमानित 240,000 अफगान मारे गए हैं। मानवीय समूहों ने एक बुरी तबाही वाली स्थिति की चेतावनी दी है और कई लाखों डॉलर की विदेशी सहायता पर वर्षों से निर्भर अर्थव्यवस्था ढहने के करीब है। सहायता एजेंसियों ने कहा है कि कई अफगान तालिबान के सत्ता में आने से पहले भीषण सूखे के बीच अपने परिवारों को खाना खिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और लाखों लोग अब भुखमरी का सामना कर सकते हैं।

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