पीएम देउबा ने 100 दिनों में काठमांडू की विदेश नीति में किया बदलाव, पड़ोसियों से अच्छे संबंधों पर जोर

नेपाल पीएम देउबा ने 100 दिनों में काठमांडू की विदेश नीति में किया बदलाव, पड़ोसियों से अच्छे संबंधों पर जोर

IANS News
Update: 2021-10-21 17:30 GMT
पीएम देउबा ने 100 दिनों में काठमांडू की विदेश नीति में किया बदलाव, पड़ोसियों से अच्छे संबंधों पर जोर

महुआ वेंकटेश

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली: नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने असामान्य परिस्थितियों और कई चुनौतियों के बीच देश का शीर्ष पद संभालने के बाद अपने 100 दिन पूरे कर लिए हैं। तेजी से हो रहे भू-राजनीतिक बदलावों के बीच काठमांडू की विदेश नीति को फिर से स्थापित करने का श्रेय उन्हें जाता है।

गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने के बावजूद, वह भारत के साथ-साथ चीन के साथ भी संचार के चैनल खोलने में कामयाब रहे।

देउबा और उनकी पार्टी - नेपाली कांग्रेस - ने कहा है कि काठमांडू की विदेश नीति उसके राष्ट्रीय हित से संचालित होगी।

एक विश्लेषक ने इंडिया नैरेटिव को बताया कि देउबा के भारत और चीन दोनों के साथ नाजुक रूप से संतुलित संबंध हैं।

राइजिंग नेपाल को दिए एक साक्षात्कार में, देउबा ने कहा, भारत के साथ हमारी एक खुली सीमा है और बड़े स्तर पर लोगों का एक-दूसरे से मिलना होता है इसलिए दक्षिणी पड़ोसी के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना हमारे हित में है। नेपाली काम के लिए और तीर्थ यात्रा के लिए भारत जाते हैं।

उन्होंने आगे कहा, हमारे पास इसके साथ ही अधिक गहन सार्वजनिक, सांस्कृतिक और व्यावसायिक संबंध भी हैं।

वहीं करीब 6 लाख भारतीय नेपाल में रह रहे हैं, जबकि करीब 8 लाख नेपाली भी भारत में रहते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।

इस महीने की शुरुआत में, पूर्व विदेश मंत्री और पार्टी के अंतरराष्ट्रीय विभाग के प्रमुख प्रकाश शरण महत के नेतृत्व में सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भारत आया था।

इंडियानैरेटिव से बात करते हुए पूर्व वित्त राज्य मंत्री और नेपाली कांग्रेस के एक सदस्य उदय शमशेर राणा, जो प्रतिनिधिमंडल का भी हिस्सा हैं, ने कहा कि यह यात्रा दोनों पड़ोसियों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देने के लिए थी।

राणा ने कहा कि भारत और नेपाल में भूगोल, संस्कृति और धर्म के मामले में कई समानताएं हैं, इसके अलावा खुली सीमाओं के कारण सामाजिक संपर्क में वृद्धि हुई है। उन्होंने इससे पहले इंडिया नैरेटिव को बताया था, इन कारकों और एक-दूसरे पर परस्पर निर्भरता ने कई बाधाओं के बावजूद दोनों देशों को बांधने में मदद की है।

इस बीच, सरकार से सरकारी सौदों के अलावा, भारत और नेपाल पार्टी से पार्टी संपर्क के माध्यम से भी द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए तैयार हैं।

राणा ने अपनी भारत यात्रा के दौरान कहा कि इस तरह की पार्टी-टू-पार्टी बैठकें एक अधिक सामान्य और नियमित विशेषता बन जाएंगी।

नेपाल इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज के निदेशक भास्कर कोइराला ने कहा कि नेपाल और भारत को राज्य स्तर पर भी जुड़ना चाहिए।

उन्होंने एक ईमेल साक्षात्कार में कहा, नेपाल और भारत के पास वैश्विक इतिहास के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का एक अनूठा अवसर है, जब इतने सारे प्रणालीगत (राजनीतिक, तकनीकी, सामाजिक आदि) परिवर्तन क्षेत्रीय और वैश्विक प्रवृत्तियों को प्रभावित कर रहे हैं। इस संबंध का सबसे महत्वपूर्ण पहलू लोगों से लोगों के संबंधों पर केंद्रित होना चाहिए और इसका राज्य से राज्य के संबंधों पर प्रभाव पड़ता है।

(यह आलेख इंडियानैरेटिव डॉट कॉम के साथ एक व्यवस्था के तहत लिया गया है)

--इंडियानैरेटिव

(आईएएनएस)

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