चीन ने बनाई दुनिया की पहली स्मार्ट ट्रेन, बिना पटरी के सड़कों पर दौड़ेगी

चीन ने बनाई दुनिया की पहली स्मार्ट ट्रेन, बिना पटरी के सड़कों पर दौड़ेगी

Bhaskar Hindi
Update: 2017-10-25 10:21 GMT
चीन ने बनाई दुनिया की पहली स्मार्ट ट्रेन, बिना पटरी के सड़कों पर दौड़ेगी

डिजिटल डेस्क, टोक्यो। चीन ने एक बार फिर टेक्नोलीजी में विकास कर दुनिया को चौंका दिया है । वैसे तो चीन पहले ही टैक्नोलोजी डेवलपमेंट में अपना लोहा मनवा चुका है लेकिन ये नया आविष्कार वाकई गजब है। चीन ने हाल ही में दुनिया को बिना पटरी के रेल चला कर एक नायाब तोहफा दिया है, कुछ समय पहले ही इसका सड़क पर टेस्ट किया गया और जो रिजल्ट आए उसे देख कर सबके होश उड़ गए।

वर्चुअल पटरी पर चलेगी ये ट्रेन 

इस ट्रेन की सबसे बड़ी विशेषता है कि ये ट्रेन ट्रैक-लेस होगी, यानि की बिना पटरी के ये ट्रेन दौड़ती नजर आएगी। वैसे तो ये एक अजूबे से कम नहीं लग रहा लेकिन आपको बता दें ये ट्रेन वर्चुअल ट्रैक पर चलेगी। इसके लिए चीन के झूजो प्रांत में इन वर्चुअल ट्रैक का जाल बिछा दिया गया है। सोमवार को इसका सफल परिक्षण किया गया। इस ट्रेन के अस्तित्व में आते ही चीन दुनिया का पहला इंटेलिजेंट सिस्टम को डेवलप करने वाला देश बन जाएगा।

 

CRRC कॉरपोरेशन ने उठाया जिम्मा

इस ट्रेन को सीआरआरसी कॉरपोरेशन ने बनाया है। इस ट्रेन की खास बात ये है कि ये बिजली से चलेगी और एक बार फुल चार्ज होकर लगभग 40 किलोमीटर तक का सफर तय करेगी। ये एक पूरी तरह ईको-फ्रेंडली ट्रेन है जिससे किसी भी तरह का कोई प्रदूषण नहीं होगा।

 300 लोगों को एक साथ डेस्टिनेशन पहुंचाएगी ट्रेन

ये ट्रेन एक बार में 300 से 500 लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचा सकती है। इसमें फिलहाल 3 कोचों को आपस में मेट्रो रेल की तरह जोड़ा गया है, इसमें आसानी से एक कोच से दूसरे कोच में जाया जा सकता है। 

70 किमी की रफ्तार से दौड़गी

ये एक बहुत स्मार्ट टेक्नोलॉजी के साथ बनाई ट्रेन है जो एक सफल फ्यूचर ट्रांसपोर्ट सिस्टम बनकर उभरेगी।जैसे ही इसके रास्ते में कोई वाहन या गाड़ी आ जाएगी तो ये स्मार्ट ट्रेन उसकी जानकारी जीपीएस सिस्टम से लेकर खुद-ब-खुद रास्ता बदल लेगी, जिससे कि हादसे न हों।

ऑटोनॉमस रेपिड ट्रांजिट

इस ट्रेन का नाम दिया गया है ऑटोनॉमस रेपिड ट्रांजिट। मेट्रो और बुलेट ट्रेन का अगला चरण। आपको बता दें चीन के झूजो नामक इस शहर में लगभग 4 मिलियन लोग रहते हैं। जिनका सफर इस ट्रेन के आने से आसान होने वाला है। ये ट्रेन बिना किसी रेड लाइट और रुकावट के मंजिल तक पहुंचाने का काम करेगी। इसे लॉन्ग बस का भी नाम दिया जा रहा है।

सेंसर पर आधारित पूरी प्रणाली

इस ट्रेन की प्रति किलोमीटर लागत 17 से 23 मिलियन यूरो है। ये ट्रेन पूरी तरह से वर्चुअल सिस्टम पर काम करेगी। इसमें सड़क के नीचे सेंसर का जाल बिछाया जाएगा, जिससे ये अपने रास्ते की पहचान करेगी। ये ट्रेन अगले साल तक चीन की सड़कों पर आएगी।
 

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