मानवाधिकार कार्यकर्ता को जेल में नहीं दी जा रही वैक्सीन, बेटी ने सोशल मीडिया पर उठाई आवाज

पाकिस्तान मानवाधिकार कार्यकर्ता को जेल में नहीं दी जा रही वैक्सीन, बेटी ने सोशल मीडिया पर उठाई आवाज

IANS News
Update: 2022-01-12 18:00 GMT
मानवाधिकार कार्यकर्ता को जेल में नहीं दी जा रही वैक्सीन, बेटी ने सोशल मीडिया पर उठाई आवाज
हाईलाइट
  • पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ता को जेल में नहीं दी जा रही वैक्सीन
  • बेटी ने सोशल मीडिया पर उठाई आवाज

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जेल में बंद पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ता इदरीस खट्टक की बेटी ने अपने पिता की सेहत पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि उनके 58 वर्षीय पिता एक भीड़-भाड़ वाली जेल की कोठरी में कैद हैं और उन्हें अभी तक वैक्सीन तक नहीं दी गई है।

फ्राइडे टाइम्स की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने आगे कहा कि अधिकारियों ने खट्टक के लिए कोविड-19 के खिलाफ टीका देने को लेकर उनके परिवार के कई अनुरोधों को अस्वीकार कर दिया है।

मानवाधिकार कार्यकर्ता की बेटी ने अब ट्विटर पर आवाज उठाई है। उनकी बेटी तालिया खट्टक ने कहा है कि वह अपने पिता के स्वास्थ्य के बारे में चिंतित है, विशेष रूप से पाकिस्तान में आ रही 5वीं लहर (कोरोनावायरस की) को लेकर उनकी चिंता बढ़ी हुई है। तालिया ने बताया कि उनके पिता को बिना किसी चार्जशीट के कैद में रखा गया हैं और उन्हें अभी भी आधिकारिक तौर पर उनके बारे में सूचित नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा, उन्हें उचित पोषण और दवाएं भी नहीं मिल रही हैं, जिनकी उन्हें रोजाना जरूरत होती है।खैबर पख्तूनख्वा के एक मानवाधिकार कार्यकर्ता इदरीस खट्टक नवंबर 2019 में स्वाबी में गायब हो गए थे। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय समूहों के दबाव में, उन्हें बाद में पाकिस्तान सरकार की हिरासत में पाया गया था। उन पर आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 के तहत राजद्रोह का आरोप लगाया गया है।

पिछले साल दिसंबर में, खट्टक को एक अज्ञात विदेशी खुफिया एजेंसी को कथित रूप से संवेदनशील जानकारी जारी करने के लिए जासूसी के आरोप में 14 साल कैद की सजा सुनाई गई थी।उनके वकीलों और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों के बार-बार अनुरोध के बावजूद कि उनके मामले को एक नागरिक अदालत में स्थानांतरित किया जाए, उन पर एक सैन्य अदालत में मुकदमा चलाया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राप्त सभी जानकारी और तथ्य देखे जाएं तो खट्टक एक नागरिक प्रतीत होते हैं और उनका सशस्त्र बलों के सदस्य या अन्य से कोई संबंध नजर नहीं आता है।

 

(आईएएनएस)

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