बढती बेरोजगारी: AICTE कम कर सकती है इंजीनियरिंग की एक लाख से ज्यादा सीटें

बढती बेरोजगारी: AICTE कम कर सकती है इंजीनियरिंग की एक लाख से ज्यादा सीटें

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-22 03:14 GMT

डिजिटल डेस्क, कानपुर। ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) इस साल जुलाई से शुरू होने वाले नए शैक्षणिक वर्ष से बी.टेक और एमटेक पाठ्यक्रमों में लगभग 1.3 लाख तक सीटों को कम करने की योजना बना रहा है। उत्तर प्रदेश के कानपुर में हार्कोर्ट बटलर तकनीकी विश्वविद्यालय के छात्रों ने इस निर्णय के लिए बढ़ती बेरोजगारी को दोषी ठहराया है।

विश्वविद्यालय के एक छात्र ने एआईसीटीई के इस कदम का स्वागत किया और एएनआई को बताया, "कई छात्र इंजीनियरिंग के लिए तैयारी कर रहे हैं। माता-पिता भी अपने बच्चों के पर्फारमेंस को लेकर चिंतित रहते है। यह अच्छा है कि सरकार कम सीटों के लिए दबाव डाल रही है ताकि बच्चों को अच्छे संस्थानों में भर्ती कराया जा सके और अच्छी और गुणवत्ता की शिक्षा मिल सके।"

इस बीच, हार्कोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने बी.टेक और एमटेक पाठ्यक्रमों में सीटों की संख्या को कम करने के लिए एआईसीटीई के फैसले पर चिंता व्यक्त की।

"इसके पीछे एक प्रमुख कारण यह है कि एआईसीटीई उन अनुपातों में नौकरी के अवसर प्रदान नहीं कर सका, जिनमें उन्होंने सीटों की संख्या में बढ़ोतरी की। ऐसी स्थिति केवल निजी कॉलेजों में है। सरकारी कॉलेजों ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए सभी मानकों का पालन किया है।

विश्वविद्यालय के एक अन्य प्रोफेसर ने कहा कि 96 प्रतिशत इंजीनियर मौजूदा उद्योग मानकों के मुताबिक, काम करने में सक्षम नहीं है। "इंजीनियरिंग के छात्र उद्योग मानकों के साथ आगे बढ़े नहीं हैं। इन्हें ज्यादा से ज्यादा प्रेक्टिकल एक्सपोजर की जरुरत है। यहीं वजह है कि छात्र इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश नहीं ले रहे हैं।"

एक और छात्र ने बी टेक और एम टेक कोर्स की सीट कम करने को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है। छात्र ने कहा, "भारत में, जब कोई बच्चा पैदा होता है, तो माता-पिता कहते हैं कि वह एक इंजीनियर बनेगा। लेकिन वह भविष्य की संभावनाएं नहीं देखते है। स्टूडेंट इंजीनियरिंग को पास कर लेता है, लेकिन उसे कही भी जॉब नहीं मिलती। तो उस स्टूडेंट की आईटी इंडस्ट्री में वेल्यू शून्य के बराबर है।

उन्होंने आगे कहा कि कई निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में एम.टेक छात्रों के लिए उचित प्रयोगशालाएं नहीं है। इतना ही नहीं इंजीनियरिंग का पाठ्यक्रम भी मौजूदा उद्योग मानकों के तहत नहीं है। यहीं कारण है कि कई लोग नौकरी की अलग-अलग संभावनाओं की तलाश करते है। जैसे कोई स्टार्ट अप ओपन करता है तो कोई यू ट्यूब पर वीडियो बनाता है। कुछ सालों से इंजीनियरिंग में छात्रों के प्रवेश कम हो गए है। साथ ही, प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज भी जॉब की गारंटी नहीं देते हैं।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, देश में कम से कम 83 शैक्षिक संस्थानों ने 24,000 सीटों को साथ स्थायी रुप से बंद करने के लिए आवेदन दिया है। इसके अलावा, 450 से ज्यादा कॉलेजों ने एआईसीटीई से कुछ स्नातक और स्नातकोत्तर इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों को बंद करने की अनुमति मांगी है।

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