26/11 हमले के 9 साल, चश्मदीद बोली- कसाब को कोर्ट में ही मार देना चाहती थी

26/11 हमले के 9 साल, चश्मदीद बोली- कसाब को कोर्ट में ही मार देना चाहती थी

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-26 08:09 GMT
26/11 हमले के 9 साल, चश्मदीद बोली- कसाब को कोर्ट में ही मार देना चाहती थी

डिजिट डेस्क, मुंबई। मुंबई आतंकी हमले को 9 साल बीत गए हैं, इन 9 सालों में बहुत कुछ बदला, लेकिन इस हमले के चश्मदीदों की जिंदगी वहीं ठहर गई है। 26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैएबा के 10 आतंकियों ने मुंबई की प्रमुख जगहों पर तबाई मचाई थी। इनमें छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रेलवे स्टेशन, ताज होटल, होटल ओबेरॉय, लियोपोल्ड कैफे, कामा अस्पताल जैसी जगहें थी। इस खौफनाक हमले में 166 लोगों  की मौत हो गई थी और 300 से अधिक लोग घायल हो गए थे। हमले में घायल हुई 9 साल की बच्ची ने कसाब के खिलाफ कोर्ट में गवाही दी थी। वो 9 साल की लड़की देविका रोटवान आज 18 साल की हो गई है। 

                           

मुंबई हमले में जिंदा बचीं और चश्मदीद देविका रोटवान ने बताया कि "जब मैंने अजमल कसाब को कोर्ट रूम में देखा पीली पड़ गई। काश! उस वक्त मेरे हाथ में बंदूक होती तो मैं उसे वहीं मार देती। वैसे भी कसाब एक मच्छर था। उम्मीद करती हूं, किसी दिन बड़े आतंकवादियों को भी सजा मिलेगी।"

26/11 हमले में गोली लगने के बाद जिंदा बची देविका के पिता ने कहा कि मेरी बेटी को जब गोली मारी गई उस वक्त वो सिर्फ 9 साल की थी। ये बहुत दर्दनाक था। हम खुश हैं कि आतंकी अजमल कसाब को फांसी पर लटका दिया गया, लेकिन हमें संतुष्टि तब ही मिलेगी जब तक पाकिस्तान में बैठे असली मास्टरमाइंड को सजा नहीं दी जाती।

6 ऑपरेशन करवा चुकी हैं देविका

                       

आतंकी की गोली लगने पर 6 ऑपरेशन करवा चुकी देविका पिछले एक साल से टीबी से पीड़ित है। नजदीकी रिश्तेदार तो इस परिवार का नाम न तो शादी के कार्ड में नाम छपवाना पसंद करते हैं और न ही इन्विटेशन देना। क्योंकि उन्हें लगता है कि आतंकियों को पता चल गया तो बिना वजह परेशानी में जाएंगे। 26/11 के आतंकी हमले के समय देविका 9 साल की थी। अब वह 18 साल की हो चुकी है। देविका के पिता बताते हैं कि वो बताते हैं कि परिवार मूल रूप से राजस्थान के पाली जिले का है, लेकिन 30 साल पहले मुंबई गया था। यहां केसर और ड्राईफ्रूट्स का बिजनेस था। आतंकी हमले के बाद हम बेटी की सेवा में लग गए और उधर सारा काम-धंधा चौपट हो गया। व्यापारी पैसे खा गए। अब सबसे बड़ा बेटा यानी देविका का सबसे बड़ा भाई पुणे में किराने की दुकान पर काम करता है।

IPS बनना चाहती हैं देविका

                           

संघर्ष के बीच भी देविका ने हार नहीं मानी है। वो आईपीएस बनकर आतंक का खात्मा करना चाहती है। देविका को 25 मोमेंटो मिल चुक हैं, लेकिन घर के हालात में सम्मान से सुधार नहीं आ पाया है। देविका के पिता नटवरलाल बताते हैं कि वे महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडनवीस से कई बार मिल चुके हैं। घटना के बाद से अभी तक उन्हें मात्र सरकारी मदद के 3 लाख 25 हजार रुपए ही मिले हैं। 

उन्होंने कहा कि स्पेशल कोर्ट ने कहा था कि सरकार इस परिवार के रहने और बच्ची को पढ़ाने का बंदोबस्त कराएगी। अब सरकार के अफसर बोलते हैं कि हमको कोर्ट के आदेश की कॉपी दिखाओ। देविका ने कहा कि पिछले साल 12 से 18 फरवरी के बीच मोदी और पीएमओ के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पर कई ट्‌वीट किए थे। पौने दो साल बाद भी पीएम मोदी की तरफ से मुझे कोई रिप्लाई नहीं आया।

6 रिश्तेदारों को खो चुके रहीम अंसारी 

26/11 हमले में अपने 6 रिश्तेदारों को खोने वाले रहीम अंसारी कहते हैं कि उस घटना के बाद मैं डिप्रेशन में चला गया था। मेरे रिश्तेदारों के पास बचने का कोई मौका नहीं था। मैं खुश हूं कि अपराधियों को या तो मार दिया गया या उन्हें सजा दी गई। हाफिज सईद पाकिस्तान में है। ये ठीक होगा कि भारत सरकार उसे यहां लाए और सजा दें। 26/11 जैसे संगठित और सुनियोजित हमले को अंजाम देने वाले आतंकी अजमल कसाब को 21 नवंबर 2012 को फांसी पर लटका दिया गया, वहीं इस हमले का मास्टरमाइंड आतंकी हाफिज सईद आज भी पाकिस्तान में आजाद घूम रहा है।
 

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