पुलिस मेडल से शेख अब्दुल्ला के नाम के बाद अब तस्वीर भी हटी, गृह विभाग ने किया आदेश जारी 

जम्मू कश्मीर पुलिस मेडल से शेख अब्दुल्ला के नाम के बाद अब तस्वीर भी हटी, गृह विभाग ने किया आदेश जारी 

Anchal Shridhar
Update: 2022-05-24 14:28 GMT
पुलिस मेडल से शेख अब्दुल्ला के नाम के बाद अब तस्वीर भी हटी, गृह विभाग ने किया आदेश जारी 
हाईलाइट
  • नेशनल कॉफ्रेंस ने इतिहास मिटाने वाला फैसला बताया
  • बीजेपी ने बताया गुलामी का प्रतीक

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर पुलिस मेडल पर अब शेख अब्दुल्ला नहीं दिखेंगे। केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए शेख अब्दुल्ला की तस्वीर को मेडल से हटाने का निर्णय लिया है। सरकार के आदेशानुसार मेडल पर शेख अब्दुल्ला की जगह अब अशोक स्तंभ का चिंह लगाया जाएगा। मेडल पर अशोक स्तंभ का चिन्ह लगाने का आदेश गृह विभाग ने जारी कर दिया है।
    
सोमवार को गृह सचिव आरके गोयल की तरफ से जारी आदेश में कहा गया कि, जम्मू-कश्मीर पुलिस पदक योजना के पैरा-4 में संशोधन किया गया है एवं नए प्रावधान के तहत मेडल में शेर-ए-कश्मीर शेख अब्दुल्ला की जगह अब भारत का राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ लेगा। अब मेडल के एक तरफ जम्मू-कश्मीर का चिन्ह जबकि दूसरी तरफ अशोक स्तंभ होगा। बता दें कि, इससे पहले सरकार ने पुलिस पदक के नाम में भी बदलाव किया था। पहले पदक का नाम ‘शेर-ए-कश्मीर पुलिस पदक’ था, जिसे बाद में ‘जम्मू कश्मीर पुलिस पदक’ कर दिया गया।

सरकार के इस फैसला पर जहां नेशनल कॉन्फ्रेंस ने विरोध किया, वहीं बीजेपी ने समर्थन किया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता इमरान नबी ने इसे इतिहास को मिटाने वाला फैसला बताया। तो बीजेपी के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री रहे कविंद्र गुप्ता ने कहा कि, गुलामी के ऐसे प्रतीकों को समाप्त कर देना चाहिए।
     
बेटे फारुख ने लगवाई थी तस्वीर

शेर-ए-कश्मीर उपनाम से प्रसिद्ध शेख अबदुल्ला फारुख अब्दुल्ला के पिता थे। अपने पिता की मृत्यु के बाद सीएम बने फारुख अब्दुल्ला ने पिता की याद में पुलिस मेडल पर शेख अब्दुल्ला की तस्वीर लगा दी थी।

जम्मू-कश्मीर में पीएम और सीएम पद पर रहे

नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के संस्थापक शेख अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री भी रहे। वह साल 1948 से 1953 तक प्रधानमंत्री और साल 1975 से 1982 तक सूबे के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने जिन्ना के द्वि-राष्ट्र सिद्धांत को खारिज करते हुए कश्मीर को भारत में विलय करने के पक्ष में रहे। शेख अब्दुल्ला के उपनाम पर आज भी राज्य में कई इमारतों और सड़कों के नाम हैं। गौरतलब है कि साल 2019 में जम्मू-कश्मीर राज्य प्रशासन ने शेख अब्दुल्ला की जयंती को सरकारी आवाश की सूची से हटा दिया था।


 

    
 

   

 
 

Tags:    

Similar News