कोर्ट से अनुमति के बाद इस महिला ने किया सबरीमाला मंदिर में प्रवेश

कोर्ट से अनुमति के बाद इस महिला ने किया सबरीमाला मंदिर में प्रवेश

Bhaskar Hindi
Update: 2018-10-19 07:32 GMT
कोर्ट से अनुमति के बाद इस महिला ने किया सबरीमाला मंदिर में प्रवेश
हाईलाइट
  • कोर्ट से अनुमति लेकर तत्तकालीन कलेक्टर केबी वत्सला ने मंदिर में किया था प्रवेश
  • भगवान अयप्पा की विशेष पूजा अर्चना
  • सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर घमासान जारी है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर घमासान जारी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महिलाएं मंदिर में प्रवेश की पूरी कोशिश कर रही है। वहीं समर्थक महिलाओं को प्रवेश करने से रोक रहे है। मंदिर की पंरपरा के अनुसार कोई भी महिलाआ मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती है, लेकिन आज से दो दशक पहले एक महिला केबी वत्सला मंदिर में प्रवेश कर चुकी है। 

बता दें कि साल 1994-95 में उन्होंने बिना किसी रोक-टोक के भगवान अयप्पा के दर्शन किए थे। तब उनकी उम्र 41 वर्ष थी। दरअसल केबी वत्सला उस वक्त पथानमथिट्टा की कलेक्टर हुआ करती थीं। कोर्ट के आदेश के बावजूद उन्हें मंदिर में प्रवेश को लेकर बहुत सी धमकियां मिली थीं। केबी वत्सला के प्रवेश के पीछे सबसे बड़ी वजह जरूरी सरकारी कामकाज बताई जाती है। दरअस पहाड़ी पर स्थित सबरीमाला मंदिर में दुर्गम सफर तय करके जाते हैं। इस मंदिर और उसके आस-पास होने वाले बहुत से कामों के लिए राज्य की संस्थाएं भी जिम्मेदार होती हैं। ऐसे में किसी सरकारी काम से केबी वत्सला का मंदिर के अंदर जाना आवश्यक था,  लेकिन जब उनके जाने की बात सामने आई तो लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया। इसके बाद उन्हें मंदिर में प्रवेश के लिए केरल हाईकोर्ट से बाकायदा अनुमति लेनी पड़ी।

प्रवेश से पहले महिला को माना पुरुष
केबी वत्सला के प्रवेश से ठीक पहले केरल में लोग अफवाह फैलाने लगते थे कि एक दिन के लिए इस महिला को पुरूष माना जाएगा। आक्रोशित समर्थकों को शांत कराने के लिए केरल हाईकोर्ट ने कहा था कि केबी वत्सला का मंदिर में जाना बिल्कुल ऑफिशियल ड्यूटी की तरह होगा, जिसे एक कलेक्टर को निभाना है। साथ ही केबी वत्सला को मंदिर में स्थित 18वीं सोने की सीढ़ी, जिसे पथीनेट्टम पदी चढ़ने को भी मना किया गया था, जिसके जरिए मंदिर के गर्भगृह में जाया जाता है। हालांकि मंदिर से लौटकर आने के बाद उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था, कोर्ट के आदेश का शुक्रिया कि मैं उस उम्र में सबरीमाला जा सकी। अब सुप्रीम कोर्ट ने सभी महिलाओं के लिए मंदिर के द्वार खोल दिए हैं। यह फैसला वाकई अच्छा है।

 

 

 

 

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