370 हटाने का फैसला ऐतिहासिक, अब वक्त सच्चा इतिहास लिखने का: अमित शाह

370 हटाने का फैसला ऐतिहासिक, अब वक्त सच्चा इतिहास लिखने का: अमित शाह

Bhaskar Hindi
Update: 2019-09-29 08:49 GMT
हाईलाइट
  • अमित शाह ने रविवार को कहा
  • पांच से सात वर्ष के अंदर जम्मू-कश्मीर देश का सबसे विकसित राज्य बनेगा
  • 370 के कारण कश्मीर में आतंकवाद का दौर चालू हुआ था
  • जिसमें अब तक 41
  • 800 लोग मारे गए

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को आतंकवाद का जिक्र करते हुए कहा कि, कश्मीर की जनता पर गोली नहीं चलेगी लेकिन अगर कोई आतंकी आता है तो उस पर गोली जरूर चलेगी। फिर वह कश्मीर में हो या देश के किसी अन्य हिस्से में। इतना ही नहीं शाह ने कहा, कश्मीर का इतिहास तोड़-मरोड़कर देश के सामने रखा गया, क्योंकि जिनकी गलतियां थीं उनके हिस्से में इतिहास लिखने की जिम्मेदारी आई। उन्होंने अपनी गलतियों को सील्ड करके जनता के सामने रखा। अब समय आ गया है इतिहास सच्चा लिखा जाए और सच्ची जानकारी जनता के सामने रखी जाए।

अनुच्छेद 370 का जिक्र करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, बहुत सारी भ्रांतियां और गलतफहमियां 370 और कश्मीर के बारे में आज भी फैली हुई हैं, उनका स्पष्ट होना जरूरी है। जितना स्पष्ट कश्मीर की जनता के सामने होना जरूरी है उतना ही स्पष्ट भारत की जनता में भी होना जरुरी है। सबसे पहले जब देश आजाद होता है तो उसके सामने सुरक्षा का प्रश्न, संविधान बनाने का प्रश्न ऐसे कई प्रकार के प्रश्न होते हैं, लेकिन हमारे सामने 630 रियासतों को एक करने का प्रश्न आ गया। 630 रियासतों को एक करने में कोई दिक्कत नहीं आई लेकिन जम्मू-कश्मीर को अटूट रूप से एक करने में 5 अगस्त, 2019 तक का समय लग गया।

शाह ने कहा, जम्मू-कश्मीर ऐसा राज्य था जहां ऐंटी करप्शन ब्यूरो नहीं था। वहां इसको 5 अगस्त 2019 को लाया गया। कश्मीर में मानवाधिकार अधिनियम भी लागू नहीं था। मोदी जी की सरकार आने के बाद वहां इसे लाया गया। सरकार देश की जनता को जिन योजनाओं का लाभ पहुंचाना चाहती थी, वह पूरे देश में तो पहुंचती थी लेकिन 370 की वजह से कश्मीर की जनता को इसका लाभ नहीं मिलता था। 

शाह ने कहा, जो लोग हम पर आरोप लगाते हैं कि ये राजनीतिक स्टैंड है उनको मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि ये हमारा स्टैंड तब से है जब से हमारी पार्टी बनी। ये हमारी मान्यता है कि जब अनुच्छेद 370 था, तब देश की एकता और अखंडता के लिए ठीक नहीं था। कश्मीर में कुछ समय के लिए फोन बंद हुए तो मानवाधिकार की बात करने लगे, लेकिन अनुच्छेद 370 की वजह से अब तक जो 41,800 लोग मारे गए क्या उनके परिवारों का कोई मानवाधिकार नहीं है। 

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