सीमा पर महिलाओं को तैनात किया तो जवानों पर लगाएंगी ताक-झांक के आरोप: सेना प्रमुख

सीमा पर महिलाओं को तैनात किया तो जवानों पर लगाएंगी ताक-झांक के आरोप: सेना प्रमुख

Bhaskar Hindi
Update: 2018-12-15 07:13 GMT
सीमा पर महिलाओं को तैनात किया तो जवानों पर लगाएंगी ताक-झांक के आरोप: सेना प्रमुख
हाईलाइट
  • आर्मी चीफ ने कहा
  • महिलाएं जंग के लिए तैयार नहीं
  • कपड़े बदलने में खुद को असहज महसूस करेंगी महिलाएं
  • हमारे पास सेना में काफी महिला इंजीनियर: सेना प्रमुख

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय सेना के प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने सेना में महिलाओं की सहभागिता पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि महिलाएं अभी सीमा पर जंग के लिए तैयार नहीं हैं, उन पर घर परिवार के साथ ही बच्चों की भी जिम्मेदारी होती है। रावत ने कहा कि फ्रंट लाइन में कपड़े बदलने के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं होती है, ऐसे में वो कपड़े चेंज करने में खुद को असहज महसूस करेंगी और साथी जवानों पर ताक-झांक करने का आरोप लगाएंगी। 

सेना प्रमुख ने एक निजी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि एक समय ऐसा भी था, जब वो युद्ध में महिलाओं को भेजने की पेशकश करने तैयार हो गए थे, फिर उन्हें खयाल आया कि ज्यादातर सैनिक ग्रामीण इलाकों से ताल्लुक रखते हैं, जो महिला अधिकारियों का आदेश मानने में असहज महसूस करेंगे। मातृत्व अवकाश के मुद्ददे पर उन्होंने कहा कि सेना के कमांडिंग ऑफिसर को लंबी छुट्टी नहीं दी जा सकती, छह महीने तक उन्हें अपनी यूनिट छोड़ने की भी इजाजत नहीं होती है। ऐसे में छुट्टी के मामले में भी विवाद खड़ा हो सकता है। 

सेना प्रमुख रावत ने कहा कि हमारे पास महिला इंजीनियर काफी तादाद में हैं। उन्हें कागजी कार्रवाई के साथ ही खनन का काम भी सौंपा जाता है। महिलाकर्मी सेना के हथियारों का मैनेजमेंट भी संभाल रही हैं। अभी सेना कश्मीर में प्रॉक्सी वॉर में व्यस्त है, इसलिए हमने महिलाओं को फ्रंटलाइन में रखने पर विचार नहीं किया है। जनरल रावत ने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि कोई महिला अधिकारी किसी बटालियन का नेतृत्व करती है तो उसे मुठभेड़ में जाना होगा और आतंकियों से भी निपटना होगा। ऐसी स्थितियों में कमांडिग ऑफिसर की मौत भी हो जाती है, यानि महिला अधिकारियों की भी मौत हो सकती है। 

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