अयोध्या विवाद: मौलाना पर आरोप लगाने पर मिश्रा को न्यास ने किया सस्पेंड

अयोध्या विवाद: मौलाना पर आरोप लगाने पर मिश्रा को न्यास ने किया सस्पेंड

Bhaskar Hindi
Update: 2018-02-17 10:00 GMT
अयोध्या विवाद: मौलाना पर आरोप लगाने पर मिश्रा को न्यास ने किया सस्पेंड

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के एग्जीक्यूटिव मेंबर रहे मौलाना सलमान नदवी पर "रिश्वत" लेने का आरोप लगाने वाले अमरनाथ मिश्रा को राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास से सस्पेंड कर दिया गया है। न्यास के चेयरमैन महंत जन्मेजय शरण की ओर से जारी लेटर में कहा गया है कि, अमरनाथ मिश्रा ने न्यास की नीतियों के खिलाफ काम किया है, इसलिए उन्हें न्यास से सस्पेंड कर दिया गया है। अयोध्या समन्वय समिति के चेयरमैन अमरनाथ मिश्रा को श्रीश्री रविशंकर का करीबी माना जाता है और हाल ही में उन्होंने मौलाना नदवी पर 5000 करोड़ की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है। 

मिश्रा राम मंदिर निर्माण न्यास से सस्पेंड

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास के चेयरमैन महंत जन्मेजय शरण ने बकायदा लेटर जारी कर इस बात की जानकारी दी है कि अमरनाथ मिश्रा को न्यास से सस्पेंड कर दिया गया है। लेटर के मुताबिक, अमरनाथ मिश्रा को न्यास की नीतियों के खिलाफ काम करने के कारण सस्पेंड किया गया है। इस पर महंत शरण का कहना है कि "मिश्रा खुद को न्यास का महासचिव बताते हैं, लेकिन वो अब न्यास में नहीं है, इसलिए मिश्रा के बयान को उनकी निजी राय ही माना जाए।"

मिश्रा ने क्या लगाए थे आरोप? 

अयोध्या समन्वय समिति के अध्यक्ष अमरनाथ मिश्रा ने मौलाना नदवी पर आरोप लगाते हुए कहा कि "मैंने 5 फरवरी को नदवी से मुलाकात की थी। उस दौरान हम दोनों ने अयोध्या विवाद पर चर्चा की थी। नदवी अयोध्या में मक्का की तरह ही मस्जिद बनाना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने 200 एकड़ जमीन और 5 हजार करोड़ रुपए की मांग की थी।" मिश्रा ने ये भी बताया कि नदवी राज्यसभा में एक सीट मांग रहे थे। इसके साथ ही अमरनाथ मिश्रा ने कहा कि "मंदिर निर्माण के सेटलमेंट का फॉर्मूला लेकर मैं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मेंबर्स के पास गया था। मैंने ये फॉर्मूले सलमान नदवी को भी दिया था, ताकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मीटिंग में इस पर चर्चा हो सके।" मिश्रा ने कहा कि "इन फॉर्मूलों पर बोर्ड में चर्चा करने के बजाय मौलाना नदवी सीधे श्रीश्री रविशंकर के पास चले गए और वहां उन्होंने इन फॉर्मूलों को बता दिया।" मिश्रा ने ये भी कहा कि नदवी ने उनके साथ डील की थी और इस बात के उनके पास पुख्ता सबूत भी हैं।

मिश्रा के आरोपों पर क्या बोले नदवी? 

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से निकाले गए मौलाना सलमान नदवी ने अमरनाथ मिश्रा के इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि वो किसी मिश्रा को नहीं जानते हैं। नदवी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि "हम देश में शांति और समृद्धि का संदेश फैलाना चाहते हैं। मिश्रा ने ये आरोप इसलिए लगाए हैं, ताकि हिंदू और मुस्लमानों के बीच तनाव बनाया जा सके।" उन्होंने ये भी कहा कि "मुझे दुबई और कुवैत नहीं खरीद सका तो ये लोग क्या खरीदेंगे। मैं उन बाबाओं में से नहीं हूं जो जेल जाते हैं। बल्कि हमारा काम तो इंसानियत का काम है।"

 

                                                                               मौलाना सलमान नदवी

AIMPLB से निकाले जा चुके हैं नदवी

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सुलह का फॉर्मूला देने वाला मौलाना सैयद सलमान हुसैनी नदवी को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने निकाल दिया है। बोर्ड के मेंबर कासिम इल्यास ने नदवी को निकाले जाने की जानकारी देते हुए कहा था कि "बोर्ड अपने पुराने रुख पर कायम रहेगा। मस्जिद को न तो किसी को गिफ्ट किया जा सकता है, न बेचा जा सकता है और न ही शिफ्ट किया जा सकता है। क्योंकि मौलाना नदवी बोर्ड के रुख के खिलाफ गए, इसलिए उनको बोर्ड से निकाला जाता है।" बता दें कि हाल ही में मौलाना नदवी ने कुछ दिन पहले आर्ट ऑफ लिविंग के फाउंडर श्रीश्री रविशंकर के साथ बेंगलुरु में मीटिंग की थी।

मौलाना नदवी ने दिए थे ये 3 प्रपोजल्स : 

1. पहले प्रपोजल में कहा गया है कि 10 एकड़ की विवादित जमीन जो निर्मोही अखाड़े के कब्जे में है, वो मुसलमानों को दे दी जाए और उसके बदले में हिंदुओं को विवादित जमीन दे दी जाए।

2. दूसरे प्रपोजल में कहा गया है कि गोरखपुर हाईवे पर बहादुर शाह जफर के नाम से एक इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी बनाई जाए और उसी के कैंपस में मस्जिद को जगह दी जाए।

3. आखिरी प्रपोजल में कहा गया है कि विवादित जमीन के पास जहां लकड़ी काटने की यूनिट लगी है, वहां पर मस्जिद बनाई जाए।

अयोध्या को लेकर क्या है विवाद?

अयोध्या विवाद इस देश का सबसे बड़ा विवाद है, जिस पर राजनीति भी होती रही है और सांप्रदायिक हिंसा भी भड़की है। हिंदू पक्ष ये दावा करता है कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है और इस जगह पर पहले राम मंदिर हुआ करता था। जिसे बाबर के सेनापति मीर बांकी ने 1528 में तोड़कर यहां पर मस्जिद बना दी थी। तभी से हिंदू-मुस्लिम के बीच इस जगह को लेकर विवाद चलता रहा है। अयोध्या विवाद ने 1989 के बाद से तूल पकड़ा और 6 दिसंबर 1992 को हिंदू संगठनों ने अयोध्या में राम मंदिर की जगह बनी विवादित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया। जिसके बाद ये मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में गया और अब सुप्रीम कोर्ट में है।

14 मार्च को होगी अगली सुनवाई

अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 8 फरवरी को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस केस में पहले सभी मुख्य पक्षकारों की दलील सुनी जाएगी, उसके बाद दूसरी पिटीशंस पर सुनवाई होगी। इस दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा ने कहा कि इस मामले को सिर्फ एक जमीन विवाद की तरह ही देखा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को 2 हफ्ते के अंदर सभी डॉक्यूमेंट्स तैयार करने को कहा है और इसी के साथ अब इस मामले की सुनवाई अब 14 मार्च को की जाएगी।

 

 

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