राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाला विधेयक संसद से पास, ये होगा बदलाव

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाला विधेयक संसद से पास, ये होगा बदलाव

Bhaskar Hindi
Update: 2018-08-06 13:11 GMT
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाला विधेयक संसद से पास, ये होगा बदलाव
हाईलाइट
  • NCBC आयोग को संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद वह जातियों को केंद्रीय सूची में शामिल करने के प्रस्तावों पर भी फैसला ले सकेगा।
  • आयोग को दंड देने का भी अधिकार मिल जाएगा।
  • राज्यसभा में सर्वसम्मति से पारित हुआ 123वां संविधान संशोधन विधेयक।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) को संवैधानिक दर्जा देने का रास्ता साफ हो गया है। लोकसभा में 123वां संविधान संशोधन विधेयक 2017 पास होने के बाद इसे सोमवार को राज्यसभा में रखा गया, जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। सदन में मौजूद 156 सदस्यों ने बिल के समर्थन में वोट किया। NCBC आयोग को संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद वह जातियों को केंद्रीय सूची में शामिल करने के प्रस्तावों पर भी फैसला ले सकेगा। साथ ही आयोग को दंड देने का भी अधिकार मिल जाएगा। अभी तक आयोग को ऐसे मामलों में सिर्फ विचार करने का अधिकार था।

 

 

किसने क्या कहा?
राज्यसभा में बिल पास होने के बाद बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह ने पीएम मोदी को बधाई दी। अमित शाह ने कहा कि " मैं पिछड़ा वर्ग और बीजेपी कार्यकर्ताओं की तरफ से पीएम मोदी को बधाई देता हूं।

 


केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत ने राज्यसभा में कहा कि सभी सांसदों ने इस बिल का समर्थन किया और 3 सदस्यों ने बिल में संशोधन की मांग की है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार गरीबों और पिछड़े वर्ग को समर्पित सरकार है, यह बात पीएम ने अपने पहले संबोधन में की थी। मंत्री ने कहा कि बीजेपी आरक्षण की पक्षधर थे, हैं और आगे भी रहेंगे। उन्होंने कहा कि विपक्ष को शंका नहीं करनी चाहिए। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने कई बार दोहराया कि हम आरक्षण के पक्षधर हैं और आगे भी रहेंगे।

केंद्रीय मंत्री रामदास उठावले ने कहा कि ओबीसी के साथ मोदीजी ने न्याय किया, यह बिल कांग्रेस को लाना चाहिए था लेकिन इतने लंबे वक्त बाद भी वह लेकर नहीं आई। उन्होंने कहा कि आरक्षण की मांग को लेकर देशभर में आंदोलन तेज हो रहे हैं। अठावले ने कहा कि आरक्षण की सीमा को 50 से बढ़ाकर 75 किया जाना चाहिए।

शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में मराठा समाज आरक्षण की मांग को लेकर सड़क पर उतरा है। उन्होंने कहा कि तमाम बिल पर चर्चा की बात जाति से शुरू होकर आरक्षण पर खत्म हो जाती है। राउत ने कहा कि देश में सिर्फ अमीर और गरीब जाति हैं जब तक उसका अंतर खत्म नहीं होगा तब तक ऐसे कितने भी आयोग आ जाएं कभी न्याय नहीं मिलेगा।

लोकसभा में गुरुवार को हुआ था पास
बिल में सरकार की तरफ से कुछ संशोधन किए गए थे जिसके बाद इसे गुरुवार को लोकसभा में पेश किया गया था। इन संशोधनों में आयोग में महिला सदस्य को भी शामिल किया गया है। आयोग की सिफारिशों पर राज्यपाल की जगह राज्य सरकार से सुझाव लिया जाएगा। आयोग भी पिछड़ा वर्ग के उत्थान में भागीदारी करेगा यानी नीतियों को बनाने में भी मदद देगा। पहले सिर्फ मशविरा देने की बात थी। इस विधेयक के पारित होने के बाद संवैधानिक दर्जा मिलने की वजह से संविधान में अनुच्छेद 342 (क) जोड़कर प्रस्तावित आयोग को सिविल न्यायालय के समकक्ष अधिकार दिये जा सकेंगे। इससे आयोग को पिछड़े वर्गों की शिकायतों का निवारण करने का अधिकार मिल जायेगा।

लोकसभा में जब इस बिल को रखा गया था तब सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा था कि सरकार के संशोधनों के साथ आया विधेयक अत्यधिक सक्षम है और आयोग को संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद आयोग पूरी तरह सशक्त होगा। उन्होंने कहा था कि यह आयोग केंद्रीय सूची से संबंधित ही निर्णय लेगा। राज्यों की सूची बनाने का काम राज्यों के आयोग का ही होगा।

आपतो बता दें कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन 1993 में किया गया था। फिलहाल इसके पास सीमित अधिकार हैं। NCBC समुदाय की शिकायतों के निपटारे और उनके हितों की रक्षा के लिए अनुसूचित जाति आयोग ही काम करता है। 

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