सियासत में साध्वी की एंट्री, दिग्विजय के खिलाफ लडे़ंगी चुनाव, इंदौर पर सस्पेंस बरकरार

सियासत में साध्वी की एंट्री, दिग्विजय के खिलाफ लडे़ंगी चुनाव, इंदौर पर सस्पेंस बरकरार

Bhaskar Hindi
Update: 2019-04-16 12:52 GMT
सियासत में साध्वी की एंट्री, दिग्विजय के खिलाफ लडे़ंगी चुनाव, इंदौर पर सस्पेंस बरकरार
हाईलाइट
  • बीजेपी ने इस सीट से दिग्विजय सिंह के खिलाफ कट्टर हिंदूवादी नेता साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मैदान में उतारा है।
  • भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश की हाईप्रोफाइल लोकसभा सीट भोपाल से उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया है।
  • साध्वी के नाम के ऐलान के बाद अब इस सीट पर हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण देखने को मिल सकता है।

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश की हाईप्रोफाइल लोकसभा सीट भोपाल से साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बीजेपी ने मैदान में उतारा है। आज (बुधवार) शाम को इसकी आधिकारिक घोषणा की गई। बीजेपी इस सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ कट्टर हिंदूवादी नेता साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाम पर लंबे समय से विचार कर रही थी। साध्वी के नाम के ऐलान के बाद अब इस सीट पर हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण देखने को मिल सकता है। भाजपा के गढ़ कह जाने वाले भोपाल लोकसभा क्षेत्र में साध्वी और परिक्रमावासी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। इसके अलावा बीजेपी ने गुना, सागर और विदिशा लोकसभा सीट से भी उम्मीदवार का ऐलान किया है। बीजेपी ने गुना से केपी यादव, सागर से राज बहादुर सिंह और विदिशा से रमाकांत भार्गव को मैदान में उतारा है। हालांकि हाईप्रोफाइल सीट इंदौर पर अभी भी सस्पेंस बरकरार है। 

नाम के ऐलान से पहले साध्वी आज सुबह मिठाई लेकर मध्य प्रदेश बीजेपी मुख्यालय पहुंची थी जहां उन्होंने म.प्र बीजेपी अध्यक्ष राकेश सिंह से मुलाकात कर बीजेपी की सदस्यता ली। इसके बाद ही ये साफ हो चुका था कि बीजेपी दिग्विजय सिंह के खिलाफ साध्वी को ही मैदान में उतारेगी और इसकी घोषणा जल्द ही की जाएगी। बीजेपी कार्यालय में साध्वी ने पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, सांसद प्रभात झा और पार्टी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामलाल के साथ भी बैठक की थी। इसके बाद मीडिया से बात करते हुए साध्वी ने कहा, "मैं दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने की लिए पूरी तरह से तैयार हूं और ये चुनाव मैं जीतूंगी भी।"  

कौन है साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर?
2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में गिरफ्तारी के बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का नाम पहली बार चर्चाओं में आया था। 9 सालों तक जेल में रहने के बाद उन्हें जमानत दी गई है। साध्वी प्रज्ञा ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम ने "हिंदू आतंकवाद" का जुमला गढ़ा और इस नैरेटिव को सेट करने के लिए उन्हें झूठे केस में फंसाया है। प्रज्ञा सिंह ठाकुर आरएसएस प्रचारक सुनील जोशी की हत्या की भी आरोपी थी। सुनील जोशी समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले में अभियुक्त थे और उनकी 2007 में देवास में हत्या कर दी गई थी। हालांकि बाद में अदालत ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया। साध्वी प्रज्ञासिंह आरएसएस की छात्र इकाई एबीवीपी की भी संगठन मंत्री रही है। वे मूल रूप से भिंड जिले के लहार की रहने वाली हैं। 90 के दशक में वे भोपाल की स्टूडेंट पॉलिटिक्स में भी सक्रीय रहीं। प्रयागराज कुंभ के दौरान साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को भारत भक्ति अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर बनाया गया था। सन्यास के बाद उन्हें आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी पूर्णचेतनानंद गिरी के नाम से जाना जाता है। वे देश के प्रसिद्व संत अवधेशानंद गिरी की शिष्या हैं। 

दिग्विजय सिंह Vs साध्वी प्रज्ञा सिंह 
हिंदू आतंकवाद शब्द के जरिए देश की सियासत में खलबली मचा देने वाले दिग्विजय सिंह के नाम के ऐलान के बाद से ही बीजेपी के लिए बाज़ी पलटी हुई नजर आ रही थी। कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारकर ऐसा पासा फेंका था कि बीजेपी चारों खाने चित हो गई। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और केंद्रीय मंत्री उमा भारती के इस सीट से चुनाव लड़ने से मना करने के बाद बीजेपी के लिए उम्मीदवार तय कर पाना मुश्किल होता जा रहा था। ऐसे में संघ को बीच में आना पड़ा और संघ ने कट्टर हिंदूवादी छवि वाली नेता साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का नाम सुझाया। गहन मंथन के बाद बीजेपी ने साध्वी प्रज्ञा के नाम का ऐलान कर दिया।

बीजेपी की हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश
कट्टर हिंदूवादी नेता साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मैदान में उतारकर बीजेपी ने सीधा संदेश दे दिया है कि वह हिंदू वोटरों के एक बड़े तबके को अपने पाले में करना चाहती है। ऐसे में इस सीट पर हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण देखने को मिल सकता है। बीजेपी के पास इस बार अपनी सरकार की उपलब्धियां बताने के अलावा दूसरा चारा नजर नहीं आ रहा था, लेकिन उपलब्धि ऐसी नहीं है, जो कांग्रेस को बैकफुट पर धकेल सके। ऐसे में सिर्फ और सिर्फ एक ही तारणहार मुद्दा बचा था हिंदुत्व। जिसे भुनाने के लिए साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मैदान में उतार दिया।  कांग्रेस को हिंदू विरोधी और पाकिस्तान परस्त बता कर भाजपा फ्रंटफुट पर खेलना चाहती है, जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी ने की है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह आसान है?

सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर दिग्विजय
भोपाल को बीजेपी का गढ़ माना जाता है। इस गढ़ में सेंध लगाने के लिए सीएम कमलनाथ की सलाह पर दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा गया है। दिग्विजय सिंह के बयानों को निशाना बनाकर विरोधी दल उन्हें हिंदू विरोधी कहते रहे हैं, लेकिन दिग्विजय ने अपनी इस छवि को तोड़ने के लिए सबसे पहले नर्मदा परिक्रमा यात्रा की और उसके बाद अब वह मंदिरों के चक्कर लगाकर पूरी तरह हिंदुत्व की लीक पर चल रहे हैं। चुनाव मैदान में उतरने से पहले उन्होंने शंकराचार्य व जैन मुनि का आशीर्वाद लिया था और फिर रायसेन की प्रसिद्ध और मन्नत वाली दरगाह पर सजदा कर अपने धर्म निरपेक्ष होने का संदेश दिया। उसके बाद से उन्होंने मंदिरों के दर्शन शुरू किए। दिग्विजय सिंह 21 दिन में 50 से ज्यादा हिंदू धार्मिक आयोजन में शामिल हो चुके हैं। यह उनके सॉफ्ट हिंदुत्व की धार को तेज कर रहा है।

किन बयानों को लेकर निशाने पर रहे हैं दिग्विजय?
दिग्विजय सिंह ने कहा था अभियुक्त जो मालेगांव, समझौता एक्सप्रेस और मक्का मस्जिद बॉम्ब ब्लास्ट में शामिल थे, वे संघ की विचारधारा से प्रेरित थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) हिंसा और नफरत फैलाता है।" "सभी हिंदू आतंकवादी, जो पकड़े गए हैं उनके संबंध आरएसएस से हैं। नाथूराम गोडसे, जिसने महात्मा गांधी को मारा, वह भी आरएसएस का हिस्सा था।" उन्होंने संघ को निशाने पर लेते हुए कहा था, "यह विचारधारा नफरत फैलाती है, नफरत से हिंसा होती है और वहीं से आतंकवाद की शुरुआत होती है।" हालांकि बाद में उन्होंने अपने इस बयान पर सफाई पेश करते हुए कहा था "मैंने कभी हिंदू आतंकवाद नहीं कहा है। मैंने हमेशा संघ टेररेजम टर्म का इस्तेमाल किया है।" इससे पहले दिग्विजय सिंह ने अपने एक बयान में आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को ओसामा जी कहकर संबोधित किया था। इसे लेकर भी वह विपक्षी दलों के निशाने पर आ गए थे।

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