कर्नाटक चुनावों के बीच लखनऊ क्यों पहुंचे अमित शाह?

कर्नाटक चुनावों के बीच लखनऊ क्यों पहुंचे अमित शाह?

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-11 04:15 GMT
कर्नाटक चुनावों के बीच लखनऊ क्यों पहुंचे अमित शाह?

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बुधवार को एक दिन के दौरे पर लखनऊ पहुंचे। शाह दोपहर में लखनऊ पहुंचे, वो देर रात तक दिल्ली के लिए रवाना भी हो जाएंगे। इस दौरान शाह उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ और विधायकों समेत सहयोगी दलों के नेताओं के साथ मीटिंग कर रहे हैं। अमित शाह का ये दौरा है तो सिर्फ एक दिन का, लेकिन इसके पीछे कई तरह के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। पहला तो यही कि कर्नाटक चुनावों के बीच अमित शाह का लखनऊ पहुंचना, इस बात को दर्शाता है कि सूबे में बीजेपी के लिए कुछ ठीक नहीं चल रहा है। इसके साथ ही दलितों के मुद्दे को लेकर सरकार लगातार घिरती जा रही है। ऐसे में पार्टी को इस संकट से निकालने के लिए भी अमित शाह बुधवार को मीटिंग करेंगे। 

मीटिंग को पूरी तरह से रखा जाएगा गुप्त

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह बुधवार को जो मीटिंग करेंगे, उसे पूरी तरह से गुप्त रखा जाएगा। बताया जा रहा है कि मीटिंग की बातें बाहर न जाएं, इसके लिए मीटिंग बीजेपी ऑफिस के बजाय सीएम योगी के सरकारी बंगले में रखी गई है। इस मीटिंग यूपी बीजेपी के बड़े नेता, सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या समेत सहयोगी दलों के नेता मौजूद रहेंगे। माना जा रहा है कि मीटिंग में दलितों के मुद्दों समेत हालिया राजनीतिक हालात पर भी चर्चा हो सकती है। इसके साथ ही यूपी में बीजेपी के 4 सांसद पहले ही दलितों के मुद्दों पर सरकार से नाराजगी जता चुके हैं, साथ ही कई विधायकों में भी नाराजगी देखने की बात कही जा रही है। इस दौरे के जरिए शाह पार्टी के सभी नाखुश नेताओं को मनाने की कोशिश करेंगे।

 



क्यों कर रहे हैं अमित शाह लखनऊ का दौरा?

1.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का दौरा ऐसे समय हो रहा है, जब पार्टी और सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं। इसके साथ ही 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भी शाह का ये दौरा काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी की जीत के पीछे यूपी का अहम रोल था। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं और पार्टी भी अब उतनी मजबूत नहीं दिख रही है, जितनी 2014 में थी। इसके साथ ही पार्टी के नेताओं में भी नाराजगी देखने को मिल रही है, जिसका असर लोकसभा चुनावों में देखने को मिलेगा। लिहाजा शाह के दौरे के दौरान अगले लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति पर चर्चा हो सकती है।

2. उत्तर प्रदेश की 13 विधान परिषद सीटों पर कुछ ही दिनों में चुनाव होने हैं। 13 में से 11 सीटों पर तो बीजेपी की जीत तय है। हालांकि अभी तक पार्टी ने अपने कैंडिडेट्स के नामों की घोषणा नहीं की है। ऐसे में शाह मीटिंग के दौरान विधान परिषद के कैंडिडेट्स के नामों को लेकर भी बात कर सकते हैं।

3. उत्तर प्रदेश के चार सांसद दलितों के मुद्दे को लेकर मोदी सरकार से नाराज चल रहे हैं। इसके लिए बकायदा सांसदों ने प्रधानमंत्री मोदी को भी चिट्ठी लिखी है। इसके अलावा पार्टी के कुछ विधायकों में भी असंतोष की बातें सामने आ रही हैं, साथ ही सहयोगी दल भी बीजेपी से नाराज बताए जा रहे हैं। ऐसे में अमित शाह अपने दौरे में सभी नाराज नेताओं को मना सकते हैं।

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4. उन्नाव गैंगरेप केस में योगी सरकार लगातार घिरती नजर आ रही है। प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह इस केस में बारीकी से नजर बनाए रखे हैं। जबकि विपक्षी दल गैंगरेप केस में सीएम योगी से इस्तीफा की मांग कर रही है। इसके साथ ही यूपी पुलिस पर दवाब में काम करने का आरोप लग रहा है। ऐसे में जो योगी सरकार अभी तक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट मानी जा रही थी, वो अभी तक पीड़िता को न्याय नहीं दिला सकी है। उन्नाव गैंगरेप केस में आरोपी बनाए गए बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर भी कोई कड़ा एक्शन लिया जा सकता है। ऐसा माना जा रहा है। 

5. इन सबके अलावा अमित शाह के इस दौरे में फेरबदल पर भी चर्चा हो सकती है। बताया जा रहा है कि योगी सरकार के कुछ मंत्री बदले जा सकते हैं। माना जा रहा है कि योगी कैबिनेट में कई मंत्रियों को हटाकर उनकी जगह पिछड़ी और दलित जाति के नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसके साथ ही यूपी बीजेपी में भी कुछ बड़े बदलाव होने की संभावना है। माना जा रहा है कि अमित शाह के दौरे के बाद पार्टी में कई बड़े पदों पर दलित और पिछड़ी जाति के नेताओं को जगह दी जा सकती है, ताकि संदेश जा सके कि पार्टी दलितों और पिछड़ों के साथ है।

गोरखपुर-फूलपुर हार के बाद पहला दौरा

हाल ही में गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनावों में बीजेपी की हार के बाद अमित शाह का ये पहला यूपी दौरा है। गोरखपुर सीट से पहले योगी आदित्यनाथ और फूलपुर सीट से केशव प्रसाद मौर्या सांसद थे, लेकिन यूपी सरकार में सीएम और डिप्टी सीएम बनाए जाने के बाद ये दोनों सीटें खाली हो गई थी। 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने इन दोनों सीटों पर 3 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। इसके बाद हुए उपचुनावों में गोरखपुर से समाजवादी पार्टी के प्रवीण निषाद और फूलपुर सीट से समाजवादी पार्टी के ही नागेंद्र सिंह पटेल ने जीत दर्ज की थी।

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