कावेरी जल विवाद: कमस हासन का रजनीकांत पर तंज, कहा-'बाहरी हैं फिर भी अपने हैं'

कावेरी जल विवाद: कमस हासन का रजनीकांत पर तंज, कहा-'बाहरी हैं फिर भी अपने हैं'

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-08 03:04 GMT
कावेरी जल विवाद: कमस हासन का रजनीकांत पर तंज, कहा-'बाहरी हैं फिर भी अपने हैं'

डिजिटल डेस्क, चेन्नई। कावेरी नदी के जल को लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच जारी विवाद पर अब राजनीति भी तेज हो गई है। ये विवाद राजनेताओं के लिए एक दूसरे पर निशाना साधने का एक जरिया बन गया है। अभिनेता से राजनेता बने कमल हासन ने कावेरी जल विवाद के बहाने रजनीकांत पर निशाना साधा है। कमल हासन ने ट्वीट कर रजनीकांत को बाहरी करार कर दिया। इससे पहले भी दोनों नेताओं के रिश्ते में थोड़ी खटास देखने को मिली थी।

 


वाइस चांसलर की नियुक्ति को लेकर तंज
सुपरस्टार कमल हासन मक्कल नीधि मैयम (MNM) नाम से नई पार्टी बनाने के बाद से राजनीतिक दांवपेंच में काफी माहिर हो गए हैं। जिसे उनके ट्विटर अकाउंट पर देखा जा सकता है। कमल हासन ने तमिलनाडु की अन्ना युनिवर्सिटी में कर्नाटक निवासी को वाइस चांसलर नियुक्त किए जाने को लेकर तंज कसते हुए कहा था कि तमिलनाडु ने नदी के पानी की मांग की थी और हमें वाइस चांसलर दे दिया गया। शुक्रवार को कमल हासन ने एक और ट्वीट किया जिसमें उन्होंने कहा कि वो सिर्फ सरकार पर तंज कस रहे थे। उन्होंने अपने गुरु, सहयोगियों के साथ ही रजनीकांत के नाम का जिक्र करते हुए कहा कि ये सभी बाहरी होने के बावजूद भी मेरे अपने हैं।
 

 

रजनीकांत- कमल हासन के बीच पहले से जारी है जंग
राजनीति में दोनों सुपरस्टार्स के कदम रखने के बाद से राजनीतिक दांवपेंच और दिलचस्प हो गया है। दोनों ने ही राज्य विधानसभा में उतरने का ऐलान किया है। हालांकि कमल हासन ने अपनी पार्टी की लॉन्चिंग से पहले रजनीकांत से मुलाकात कर एकता का संदेश देने का प्रयास किया था लेकिन पिछले कुछ दिनों से दोनों के बीच आंतरिक घमासान जारी है। ये विवाद उस वक्त सबके सामने आ गया था जब कमल हासन ने साफतौर पर कह दिया था कि वो रजनीकांत की आलोचना से पीछे नहीं हटेंगे। 
 



राजनीति में स्थानीयता का मुद्दा हावी
तमिलनाडु की राजनीति में हमेशा ही स्थानीयता का मुद्दा हावी रहता है। कावेरी जल विवाद को लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच का रिश्ता भी असामान्य हो गया है। ऐसे में कमल हासन ने तमिलनाडु की राजनीति में रजनीकांत को साइडलाइन करने का प्रयास किया है। 

जानिए कावेरी जल विवाद के बारे में 
सुप्रीम कोर्ट ने 16 फरवरी को अपने आदेश में कावेरी जल में कर्नाटक का हिस्सा 14.75 टीएमसी फुट बढ़ाकर उसे 270 टीएमसी फुट कर दिया था। नदी जल में तमिलनाडु का हिस्सा घटा दिया गया था।आदेश के डेढ़ महीने के भीतर केंद्र सरकार कावेरी प्रबंधन बोर्ड का गठन करने से विफल रही थी। बोर्ड गठित करने की समयसीमा 29 मार्च को समाप्त होने के बाद तमिलनाडु में प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया है। हालांकि केंद्र सरकार ने कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन के संदर्भ में कर्नाटक विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से तीन महीने की मोहलत मांगी है।
 

 

केंद्र का मानना है कि विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया के दौरान अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम की धारा 6A के तहत किसी योजना के गठन और उसकी अधिसूचना से जनता में आक्रोश पैदा होगा। चुनावी प्रक्रिया में बाधा आएगी और कानून-व्यवस्था बिगड़ने की समस्या पैदा होगी। केंद्र सरकार पर कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन को लेकर दबाव बनाने के लिए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीस्वामी और डिप्टी सीएम पनीरसेल्वम भी भूख हड़ताल पर बैठ चुके हैं।

 

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