मोदी-केजरीवाल पर बनी डाक्यूमेंट्री में अपमानजनक शब्द, सेंसर से हुई पास

मोदी-केजरीवाल पर बनी डाक्यूमेंट्री में अपमानजनक शब्द, सेंसर से हुई पास

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-15 06:19 GMT
मोदी-केजरीवाल पर बनी डाक्यूमेंट्री में अपमानजनक शब्द, सेंसर से हुई पास

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर बनी डॉक्यूमेंट्री "बैटल फॉर बनारस" को सेंसर बोर्ड ने पास कर दिया है। लोकसभा चुनाव 2014 में बनारस सीट को लेकर हुए चुनावी अभियानों पर आधारित इस डॉक्यूमेंट्री को हाईकोर्ट के फैसले के बाद फिल्म सर्टिफिकेशन अपीलेट ट्रिब्यूनल से पास किया गया है। फिल्म में पीएम मोदी और सीएम केजरीवाल के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां भी की गई हैं। जिस पर ट्रिब्यूनल का कहना है कि उन्हें दर्शकों की समझ पर पूरा भरोसा है। 

2015 में सेंसर बोर्ड ने खारिज कर दी थी डॉक्यूमेंट्री 

गौरतलब है कि पीएम मोदी और केजरीवाल दोनों ही नेताओं ने बनारस सीट से चुनाव लड़ा था और चुनाव प्रचार के दौरान खूब रैलियां भी की थीं। फिल्म के लिए प्रचार के समय के 44 दिनों की स्पीच को रिकॉर्ड किया गया। आपत्तिजनक टिप्पणियों के कारण ही सेंसर बोर्ड ने अक्टूबर 2015 में इस डॉक्यूमेंट्री को खारिज कर दिया था।

 


HC के आदेश के बाद मिला सर्टिफिकेट

हालांकि सेंसर बोर्ड ने दलील दी थी कि चुनाव के दौरान उम्मीदवार कई तरह की आपत्तिजनक बाते भी कहते हैं। फिल्म सर्टिफिकेशन अपीलेट ट्रिब्यूनल ने भी बोर्ड के इस फैसले को सही बताया था, लेकिन इस साल जनवरी में दिल्ली हाईकोर्ट ने बोर्ड के तर्कों को नहीं माना और ट्रिब्यूनल को फिल्म पर दोबारा गौर करने को कहा। जिसके बाद ट्रिब्यूनल के फिल्म को U/A सर्टिफिकेट के साथ पास कर दिया है।

ये थीं आपत्तिजनक टिप्पणियां

फिल्म में पीएम मोदी और केजरीवाल पर की गई कुछ टिप्पणियों पर सेंसर बोर्ड को आपत्ति थी। जिस पर जस्टिस मनमोहन सरीन की अध्यक्षता में ट्रिब्यूनल ने सफाई मांगी गई थी। डॉक्यूमेंट्री के एक सीन में एक किन्नर पीएम मोदी पर कमेंट करते नजर आ रहा है। ट्रिब्यूनल ने केजरीवाल को लेकर किए गए कमेंट्स के बारे में भी पूछा। फिल्म में किन्नर एक पत्रकार से बातचीत करते हुए केजरीवाल के बारे में आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करता है।

 


निर्देशक की ओर से क्या कहा गया 

फिल्म के निर्देशक कमल स्वरूप के वकील ने ट्रिब्यूनल से कहा कि बिना किसी बदलाव के किन्नर की बात को डॉक्यूमेंट्री में इस्तेमाल किया गया है। इसमें अपनी और से न तो कुछ जोड़ा गया है और न ही कुछ हटाया गया। निर्देशक के मुताबिक ये बातें असल में कही गई थीं। ये वास्तविक बयान पर बेस्ड है। फिलहाल फिल्म को पास कर दिया गया है, लेकिन ट्रिब्यूनल ने फिल्म में एक इंट्रोडक्शन और एक डिसक्लेमर जोड़ने के लिए कहा है।

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