हिंदुत्व कार्ड के चलते अयोध्या केस से कपिल सिब्बल को किया जा रहा है अलग

हिंदुत्व कार्ड के चलते अयोध्या केस से कपिल सिब्बल को किया जा रहा है अलग

Bhaskar Hindi
Update: 2018-03-27 05:09 GMT
हिंदुत्व कार्ड के चलते अयोध्या केस से कपिल सिब्बल को किया जा रहा है अलग

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में चल रही अयोध्या केस की सुनवाई से कांग्रेस के सीनियर लीडर और सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल अलग हो सकते हैं। सिब्बल कोर्ट में सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से कोर्ट में पैरवी कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कर्नाटक चुनाव और लोकसभा चुनावों को देखते हुए कांग्रेस हाईकमान ने सिब्बल को इस केस से खुद को अलग करने को कहा है। हालांकि इस बारे में अभी तक कोई औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है। बताया जा रहा है कि पिछली कुछ सुनवाईयों में सिब्बल मौजूद नहीं रहे हैं और माना जा रहा है कि अब वो इस से अलग हो सकते हैं। 

क्या कांग्रेस ने ही किया है मना?

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कपिल सिब्बल को अयोध्या केस से अलग करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने ही मना किया है। ऐसा इसलिए क्योंकि कपिल सिब्बल के पैरवी करने से पार्टी को चुनावों में नुकसान झेलना पड़ सकता है। पिछले साल अयोध्या केस की सुनवाई के दौरान सिब्बल ने सुनवाई को 2019 तक टालने के लिए कहा था, जिसका खामियाजा कांग्रेस को गुजरात चुनावों में भुगतना पड़ा था। लिहाजा पार्टी अब इस तरह के विवादों से बचने की कोशिश कर रही है और यही कारण है कि सिब्बल को अलग करने के लिए कहा गया है। हालांकि मुस्लिम पिटीशनर्स का कहना है कि सिब्बल अभी सिर्फ कुछ दिनों के लिए ही ब्रेक पर हैं और वो जल्द ही सुनवाई पर लौटेंगे।

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अगली सुनवाई पर नजर

बताया जा रहा है कि कपिल सिब्बल पिछली कुछ सुनवाईयों से सुप्रीम कोर्ट में मौजूद नहीं हुए हैं। इससे उनके केस से अलग होने की अटकलों को और जोर मिल गया है। हालांकि अभी तक पार्टी की तरफ से, पिटीशनर्स की तरफ से और न ही सिब्बल की तरफ से इस बारे में कुछ कहा गया है। इन अटकलों के बीच अब नजरें अगली सुनवाई पर हैं। अब देखना है कि सिब्बल अगली सुनवाई में मौजूद रहते हैं या नहीं। अगर सिब्बल मौजूद रहे तो इन अटकलों पर विराम लग जाएगा और नहीं रहे तो ऐसे कयास सियासी गलियारों में भी लगने शुरू हो सकते हैं।

ऐसा क्यों कर रही कांग्रेस?

दरअसल, माना जा रहा है कि कांग्रेस ये सब चुनावों को देखते हुए कर रही है। हाल ही में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने हैं और उसके बाद मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनाव हैं। जबकि अगली साल लोकसभा चुनाव हैं। ऐसे में बीजेपी की "हिंदुत्व की राजनीति" को चुनौती देने के लिए कांग्रेस भी अब पूरा जोर लगा रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बीजेपी को टक्कर देने के लिए "सॉफ्ट हिंदुत्व" को अपना रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस नहीं चाहती कि बीजेपी किसी भी हिंदुओं के मुद्दे पर उसको घेरे। हाल ही में यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने भी कहा था कि बीजेपी कांग्रेस को एक मुस्लिम पार्टी के तौर पर पेश करने में कामयाब हो गई है। ऐसे में साफ है कि कांग्रेस अब अपनी इस छवि को तोड़ने की कोशिश कर रही है। 

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सिब्बल ने क्या कहा था? 

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद को लेकर सुनवाई के दौरान कांग्रेस लीडर और सुन्नी वक्फ बोर्ड के एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कोर्ट से इस मामले की सुनवाई को 2019 के लोकसभा चुनावों तक टालने की मांग की थी। हालांकि कोर्ट ने सिब्बल की इस दलील को खारिज कर दिया था। इसके बाद पीएम मोदी ने एक रैली में कहा था कि "मुझे इस पर कोई आपत्ति नहीं है कि कपिल सिब्बल मुस्लिम समुदाय की तरफ से लड़ रहे हैं, लेकिन वो ये कैसे कह सकते हैं कि अगले चुनाव तक अयोध्या मामले का हल नहीं होना चाहिए? इसका संबंध 2019 के लोकसभा चुनाव से कैसे है? आखिर 2019 में कांग्रेस चुनाव लड़ेगी या फिर सुन्नी वक्फ बोर्ड लड़ेगा।"

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