कांग्रेस के लिए उथल-पुथल भरा रहा साल 2017, नए साल से उम्मीदें

कांग्रेस के लिए उथल-पुथल भरा रहा साल 2017, नए साल से उम्मीदें

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-29 08:50 GMT
कांग्रेस के लिए उथल-पुथल भरा रहा साल 2017, नए साल से उम्मीदें

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल 2017 अपने अंतिम पड़ाव पर है। ऐसे में अगर हम कांग्रेस पार्टी की बात करें तो यह साल इस पार्टी के लिए बहुत उथल-पुथल भरा रहा। इस साल देश के 7 राज्यों में चुनाव हुए। जिसमें उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड में पार्टी को हार का स्वाद चखना पड़ा। हालांकि पंजाब में पार्टी ने जबरदस्त कमबैक किया। वैसे अगर कहें तो इस बार गुजरात की जीत बीजेपी के लिए बेस्वाद खाने से कम नहीं थी। पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात में 22 सालों से सत्ता पर काबिज बीजेपी को कड़ी चुनावी टक्कर देकर कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं में भविष्य में और बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद जगाई है। वहीं 16 दिसंबर को राहुल गांधी के कांग्रेस की कमान संभालने के बाद पार्टी के नेता एवं कार्यकर्ताओं में नया जोश भरा है। 

 

 

2 जी मामले में आरोपियों की रिहाई ने कांग्रेस को दिया बूस्टर

 

कांग्रेस ने गुजरात चुनाव के दौरान अपनी जी-जान से प्रचार किया था। राहुल गांधी की अगुवाई में पार्टी के आक्रामक प्रचार और राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पार्टी के अच्छे प्रदर्शन का ही नतीजा है जो गुजरात में कांग्रेस एक पावरफुल विपक्ष के रूप में उभर कर सामने आई है। बीजेपी के 150 सीट के सपने को राहुल गांधी की कड़ी मेहनत ने एक ही बार में चकनाचूर कर दिया। वहीं साल के खत्म होने के चंद दिन पहले ही कांग्रेस की झोली में एक बहुत बड़ी खुशखबरी आकर गिर गई। देश के सबसे बड़े घोटालों में से एक 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में विशेष CBI अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ए. राजा सहित सभी आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया। बता दें कि होने वाले 2019 के लोकसभा चुनावों में यह फैसला पार्टी के लिए मददगार साबित होगा। कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार पर भ्रष्टाचार के बहुत से आरोप लगे थे, जिनमें 2जी घोटाले का मामला सबसे प्रमुख था। इसके अलावा आदर्श सोसायटी घोटाले के मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण पर मुकदमा चलाने की राज्यपाल की मंजूरी को दरकिनार करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश ने भी पार्टी को बड़ी राहत दी है।


2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन

साल 2017 की शुरुआत 5 राज्यों- उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा उत्तराखंड और मणिपुर में विधानसभा चुनाव के साथ हुई। कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर राज्य विधानसभा चुनाव लड़ा। राज्य की 403 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस 105 सीटों पर चुनाव लड़ी किंतु उसे महज 7 सीटों पर ही सफलता मिली। इसी प्रकार गोवा की 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए पार्टी 36 सीटों पर चुनाव लड़ी और राज्य में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी। बावजूद इसके वह सरकार नहीं बना पाई और बीजेपी वहां बाजी मार ले गई।

 

 

कुछ ऐसे ही हालात मणिपुर में बने,  जहां 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में 28 सीटें जीतकर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी तो बनी पर सरकार बनाने का मौका बीजेपी ने लपक लिया। गोवा और मणिपुर में सरकार बना पाने में नाकाम रहने पर कांग्रेस नेतृत्व को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के लिए राहत की खबर पंजाब से आई जहां 10 साल बाद पार्टी सत्ता में लौटी। राज्य की 117 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 77 पर जीत दर्ज कर कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में अपनी सरकार बनाई। 

बीते 18 दिसंबर को हिमाचल प्रदेश एवं गुजरात विधानसभा के नतीजे आए। हिमाचल की कुल 68 सीटों में से 21 ही कांग्रेस को मिली और पार्टी सत्ता से बाहर हो गई। गुजरात की 182 सीटों के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस ने सत्ताधारी बीजेपी को कड़ी टक्कर दी। बीजेपी इस बार 99 सीटों पर ही सिमट गई। गुजरात में सरकार तो बीजेपी की ही बनी, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, 77 सीटें जीतने वाली कांग्रेस का राज्य में यह पिछले कई सालों में बेहतरीन प्रदर्शन है।

 

कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर दिखाया जलवा



कांग्रेस ने इस साल सोशल मीडिया में बेहतरीन तरीके से अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। इसके अलावा, सोशल मीडिया के जरिए मोदी सरकार पर किए जाने वाले अपने हमलों की धार को और पैना बनाया है। इस मामले में बड़ी पहल राहुल की ओर से ही हुई जिनके ट्विटर फॉलोअर्स की तादाद पिछले कुछ महीनों में 50 लाख के आंकड़े को पार कर चुकी है।

 

 

वहीं इस बार चुनावी माहौल में लोगों ने राहुल गांधी में एक मैच्योर नेता को देखा। उन्होंने अपनी छवि के उलट पूरे साल भर विभिन्न मुद्दों पर मोदी सरकार पर तीखे वार किए। फिर चाहे सितंबर में BHU में छात्राओं पर लाठी बरसाने का मुद्दा हो, चाहे जून में मध्य प्रदेश के मंदसौर में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस फायरिंग का मामला हो, फ्रांसीसी लड़ाकू विमान राफेल का खरीद सौदा हो या नोटबंदी का मुद्दा हो। राहुल ने जीएसटी को "गब्बर सिंह टैक्स" का नाम देकर साबित करने की कोशिश की कि वह भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह ही शब्द-बाण चलाने में माहिर हैं।

 

राहुल के अमेरिका दौरा का पड़ा सकारात्मक प्रभाव

 

 

सितंबर महीने में राहुल का अमेरिका दौरा भी काफी चर्चित रहा। इसमें यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले में अपने संबोधन के दौरान उन्होंने अन्य बातों के अलावा भारतीय राजनीति में वंशवाद का बचाव किया, जिसके कारण वह राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के निशाने पर आए। अक्टूबर में उन्होंने नई दिल्ली में उद्योग संगठन पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के समारोह में व्यापार से लेकर अपने विवाह और मार्शल आर्ट के शौक सहित तमाम विषयों पर एक सधे हुए नेता की तरह बेबाकी से अपनी राय रखी।

 

राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष बने

साल 2017 की 16 तारीख आने वाले कई सालों तक याद रखी जाएगी। इस दिन 19 साल के बाद कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिला। 19 साल तक पार्टी की कमान संभालने के बाद सोनिया गांधी ने यह जिम्मेदारी अपने बेटे राहुल गांधी को सौंप दी। बता दे कि राहुल को 11 दिसंबर को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया। जिसके बाद 16 दिसंबर को उन्होंने पार्टी मुख्यालय में अपनी जिम्मेदारी संभाली।

 

 

132 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी में 2017 में अध्यक्ष पद पर हुए बदलाव के बाद राजनीतिक विश्लेषकों को उम्मीद है कि शीर्ष स्तर पर हुए इस बदलाव की गूंज निचले स्तर पर भी सुनाई देगी। लेकिन कांग्रेस का भविष्य 2018 में होने वाले विधानसभा चुनावों के नतीजे ही तय करेंगे। अगले साल राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम और नगालैंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

 

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