चंबल प्रोग्रेस-वे के ठंड बस्ते में होने की वजह बताएं कांग्रेसी : भाजपा

चंबल प्रोग्रेस-वे के ठंड बस्ते में होने की वजह बताएं कांग्रेसी : भाजपा

IANS News
Update: 2020-08-26 15:00 GMT
चंबल प्रोग्रेस-वे के ठंड बस्ते में होने की वजह बताएं कांग्रेसी : भाजपा

भोपाल, 26 अगस्त (आईएएनएस)। भारतीय जनता पार्टी के मध्यप्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने कांग्रेस नेताओं से कहा कि वे भाजपा से सवाल पूछने की बजाय ग्वालियर-चंबल की जनता को बताएं कि पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंबल एक्सप्रेस-वे (अटल बिहारी वाजपेयी चंबल प्रोग्रेस-वे) की जो सौगात दी थी, वह ठंडे बस्ते में क्यों थी।

राज्य के कांग्रेस के नेताओं ने बुधवार को ग्वालियर-चंबल अंचल में जाकर भाजपा से सवाल कर रहे हैं, इस पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस नेताओं को भाजपा से सवाल पूछने की बजाय जनता को यह बताना चाहिए कि प्रधानमंत्री मोदी ने मध्यप्रदेश को चंबल एक्सप्रेस-वे की जो सौगात दी थी, कमल नाथ ने उसे ठंडे बस्ते में क्यों डाल दिया था? प्रदेश में भाजपा सरकार आते ही चंबल एक्सप्रेस-वे को प्रोग्रेस-वे के रूप में आगे बढ़ाने का काम हुआ और अब उसे केंद्र सरकार की मंजूरी भी मिल गई है।

उन्होंने कहा कि कमल नाथ जब मुख्यमंत्री थे, तब उन्हीं के मंत्री गोविंद सिंह ने रेत के अवैध उत्खनन का आरोप लगाते हुए पैसा नीचे से ऊपर तक जाने की बात कही थी। कमल नाथ बताएं कि इस ऊपर तक में क्या सोनिया गांधी और 10, जनपथ भी शामिल थे?

कांग्रेस द्वारा पिछले दिनों भाजपा के सदस्यता अभियान को लेकर किए जा रहे सवालों पर प्रदेशाध्यक्ष शर्मा ने कहा कि ग्वालियर में हुए भाजपा के सदस्यता अभियान की धमक दिल्ली तक पहुंच गई है, जिसको लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं और स्वयं सोनिया गांधी को विचार करना पड़ रहा है। कांग्रेस को अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए मंथन करना पड़ रहा है और पूरी कांग्रेस में खलबली है।

उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस के पास अब ग्वालियर-चंबल अंचल में कोई नेता नहीं बचा है। यही कारण है कि कांग्रेस को दूसरे अंचल के तीन पूर्व मंत्रियों को ग्वालियर भेजना पड़ रहा है। भाजपा के सदस्यता ग्रहण समारोह के दौरान 76 हजार 361 कांग्रेस कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हुए, जिससे कमल नाथ और दिग्विजय सिंह के पैरों तले जमीन खिसक गई है। कांग्रेस के नेता भयभीत हैं और इसलिए व्यर्थ के सवाल उछाल रहे हैं।

एसएनपी/एसजीके

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