हेलीकॉप्टर कामोव-31 के अधिग्रहण की रक्षा मंत्रालय से मंजूरी, 3,600 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट

हेलीकॉप्टर कामोव-31 के अधिग्रहण की रक्षा मंत्रालय से मंजूरी, 3,600 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट

Bhaskar Hindi
Update: 2019-05-03 14:37 GMT
हेलीकॉप्टर कामोव-31 के अधिग्रहण की रक्षा मंत्रालय से मंजूरी, 3,600 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को रूस से 10 कामोव -31 हेलीकॉप्टर के अधिग्रहण को मंजूरी दे दी। इस प्रोजेक्ट की लागत लगभग 3,600 करोड़ रुपये है। कामोव -31  हेलीकॉप्टरों  का उपयोग एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग की भूमिकाओं में किया जाएगा। बता दें कि नौसेना के पास पहले से ही 12 कामोव-31 चॉपर का एक बेड़ा है, जो खुले समुद्र में चलने वाले भारतीय एरक्राफ्ट कैरियर और डिस्ट्रॉयर्स की रक्षा करता है।

 

 

कामोव -31 हेलीकॉप्टरों की खास बात यह है कि वह काफी हल्के हैं और इन पर नियंत्रण रखना काफी आसान होता है। इसी के साथ ये दुश्मन पर सटीक निशाना लगाने में माहिर हैं। भारत की जरुरतों को ध्यान में रखते हुए इन चॉपर में कुछ बदलाव भी किए गए हैं। हेलीकॉप्टर का मुख्य मिशन खतरे की पहचान करना है, जिसमें फिक्स्ड-विंग एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर जैसे एयरबोर्न थ्रेट शामिल हैं।

कामोव - 31 नौसैनिक हेलीकॉप्टर में को-एक्जियली माउंटेड कॉन्ट्रा रोटेटिंग प्रोपेलर हैं। के-31 की एयरफ्रेम  बेहद सफल के-27 पर आधारित है। इसमें एक अर्ली वॉर्निंग रडार का बड़ा एंटीना लगा है। रडार के साथ हस्तक्षेप को रोकने के लिए लैंडिंग गियर पीछे हो जाता है। हेलीकॉप्टर में दो Klimov TV3-117VMAR टर्बोशाफ्ट इंजन लगे हैं जो कि 1,633kW पर रेटेड है। इसके फ्यूल टैंक फायर सप्रेसेंट लो डेंसिटी पॉलीयूरेथेन फोम मटेरियल से भरे होते हैं। इसकी टॉप स्पीड 250 किमी प्रति घंटा है।

भारतीय नौसेना ने 1999 में चार के -31 राडार पिकेट एयरबोर्न अर्ली वार्निंग (AEW) हेलीकॉप्टर और 2001 में पांच और हेलीकॉप्टरों ऑर्डर दिया था। 2002 में हेलीकॉप्टर का पूर्ण पैमाने पर उत्पादन शुरू हुआ। चार हेलीकॉप्टरों का पहला बैच भारतीय नौसेना में अप्रैल 2003 मे शामिल हुआ जबकि दूसरा बैच 2005 में नौसेना को मिला। एंटी-सबमरीन वॉरफेयर ऑपरेशन के लिए नौसेना के पास सीकिंग चॉपर्स के साथ-साथ रूसी कामोव-28 चॉपर का एक बेड़ा है, जो 1980 के दशक में खरीदे गए थे।

बता दें कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने सैन्य आधुनिकीकरण की योजनाओं पर चुनाव का कोई प्रभाव नहीं पड़ने दिया। रक्षा अधिग्रहण परिषद और कैबिनेट कमेटी सुरक्षाबलों के लिए महत्वपूर्ण अधिग्रहण को लेकर सिक्यॉरिटी मीटिंग नियमित रूप से की जा रही है। नौसेना को मजबूत करने के लिए भारत ने हाल ही में 16 एंटी-सबमरीन का भी सौदा किया है। रक्षा मंत्रालय ने पब्लिक सेक्टर की शिपयार्ड कंपनी कोचीन शिपयार्ड से आठ एंटी-सबमरीन वाटर क्राफ्ट के लिए अनुबंध किया है। भारतीय नौसेना के लिए नयी एंटी सबमरीन शैलो वॉटर क्राफ्ट के लिए ये सौदा 6,311 करोड़ में हुआ है। 

भारत की 7516.6 किलोमीटर कोस्ट लाइन में 12 प्रमुख बंदरगाह, 184 छोटे बंदरगाह, 1197 द्वीपीय क्षेत्र स्थित होने के कारण एंटी सबमरीन वॉरफेयर ऑपरेशनों के लिए कोस्टल सर्विलांस को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। कम ड्रैफ्ट के इन विशेष जहाजों के नौसेना में शामिल होने से भारतीय नौसेना की तटीय उथले पानी में एंटी सबमरीन वारफेयर क्षमता में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी होगी। 

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