बिंदी, काजल GST से बाहर, तो सैनिटरी नैपकिन क्यों नही : दिल्ली हाईकोर्ट

बिंदी, काजल GST से बाहर, तो सैनिटरी नैपकिन क्यों नही : दिल्ली हाईकोर्ट

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-16 06:41 GMT
बिंदी, काजल GST से बाहर, तो सैनिटरी नैपकिन क्यों नही : दिल्ली हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 15 नवंबर से GST की नई दरें लागू कर दी गई हैं। नई दरों के लागू होते ही कई चीजों पर GST लागू होने और होने पर बहस छिड़ गई है। इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने भी सरकार के फैसले पर कई सवाल खड़े किए हैं। बुधवार को हाईकोर्ट ने कहा कि अगर बिंदी, सिंदूर और काजल जैसी चीजें वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे से बाहर रखी जा सकती हैं, तो महिलाओं के लिए बेहद जरूरी सैनिटरी नैपकिन को GST से छूट क्यों नहीं दी जा सकती।

चीफ मजिस्ट्रेट गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने कहा कि सैनिटरी नैपकिन एक जरूरत है, उन पर टैक्स लगाने और अन्य वस्तुओं को टैक्स के दायरे से बाहर करने का कोई स्पष्टीकरण नहीं हो सकता।

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दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में अफ्रीकी अध्ययन की शोधार्थी जरमीना इसरार खान ने याचिका दायर की थी। जरमीना ने सैनिटरी नैपकिनों पर 12 फीसदी GST लगाने के फैसले को चुनौती दी है। याचिका में इस फैसले को गैर-कानूनी और असंवैधानिक करार दिया गया है।

पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, "आप बिंदी, काजल और सिंदूर को छूट देते हैं, लेकिन सैनिटरी नैपकिन पर टैक्स लगा देते हैं। ये महिलाओं के लिए जरूरी वस्तु है और इस पर टैक्स लगाने का क्या कोई स्पष्टीकरण है।" 31 सदस्यीय GST काउंसिल में एक भी महिला सदस्य के नहीं होने पर भी अदालत ने नाराजगी जाहिर की है।

पीठ ने आगे कहा कि,"ऐसा करने से पहले क्या आपने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से इस पर चर्चा की या आपने सिर्फ आयात एवं निर्यात शुल्क ही देखा? व्यापक चिंता को ध्यान में रखते हुए इसे करना है।" आपको बता दें इस मामले की अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी।


 

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