900 साल के सूखे के कारण हुआ था सिंधु घाटी सभ्यता का अंत

900 साल के सूखे के कारण हुआ था सिंधु घाटी सभ्यता का अंत

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-16 12:18 GMT
900 साल के सूखे के कारण हुआ था सिंधु घाटी सभ्यता का अंत

डिजिटल डेस्क, खड़गपुर। विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी की सभ्यता के अंत के कारण को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान (IIT), खड़गपुर के वैज्ञानिकों ने सिंधु घाटी की सभ्यता के खत्म होने का कारण बने सूखे की अवधि पता लगाने का दावा किया है। सिंधु घाटी सभ्यता पर काफी समय से शोध कर रहे वैज्ञानिकों का कहना है कि 4,350 साल पहले आए एक असाधारण सूखे की वजह से इस प्राचीन सभ्यता का अंत हो गया था, और इस सूखे की अवधि करीब 900 साल की थी। इस सूखे के कारण ही वहां के लोगों को घाटी से पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा।

शोधकर्ताओं ने 5000 साल पुराने मानसून पैटर्न का किया अध्ययन
भूगर्भशास्त्र और भूभौतिकी विभाग के शोधकर्ताओं ने शोध के दौरान लगभग 5000 साल पुराने मानसून पैटर्न का अध्ययन किया जिसके बाद उन्हें यह परिणाम हासिल हुए। उन्होंने शोध में पाया कि 900 साल तक उत्तर पश्चिम हिमालय में बिलकुल भी बारिश नहीं हुई थी। जिसके कारण जो नदियां बारिश के सहारे भरी रहती थीं उसमें सूखा पड़ गया। बता दें इन्ही नदियों के किनारे सिंधु घाटी की सभ्यता का बसाव था। नदियों में पानी खत्म होने के कारण घाटी के लोग पूर्व और दक्षिण के इलाकों की तरफ चले गए जहां अच्छी बारिश होती थी। शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने लेह-लद्दाख की झीलों में 5000 साल तक रहे मॉनसून के पैटर्न्स को विस्तृत रूप से पढ़ा।

गुजरात और राजस्थान के इलाकों में भी मिलते हैं सभ्यता के अवशेष 
शोध के दौरान शोधार्थियों ने पाया कि  2,350 BC (4,350 साल पहले) से 1,450 BC तक, मॉनसून सिंधु सभ्यता वाले इलाके में काफी कमजोर होने लगा था। जिसके बाद धीरे-धीरे पूरे क्षेत्र पर सूखा हावी हो गया। ऐसे में लोगों ने अच्छी बारिश वाले और हरे-भरे इलाके की तरफ पलायन करना शुरू कर दिया था। गौरतलब है कि सिंधु और इसकी सहायक नदियों के रावी, चिनाब, व्यास और सतलज के किनारे बसने के कारण ही इस सभ्यता का नाम सिंधु घाटी की सभ्यता पड़ा था। लेकिन इस सभ्यता के साक्ष्य तटीय गुजरात और राजस्थान तक के इलाकों में भी मिलते हैं। जिसके कारण से इस सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी पुकारा जाने लगा था। इन घाटियों से पलायन कर रहे लोग गंगा-यमुना घाटी की ओर पूर्व और केंद्रीय यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, विंध्याचल और गुजरात में जाकर बस गए थे। 

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