Farmers Protest: किसान संगठनों ने NIA के समन की निंदा की, 26 जनवरी को दिल्ली आउटर रिंग रोड पर परेड

Farmers Protest: किसान संगठनों ने NIA के समन की निंदा की, 26 जनवरी को दिल्ली आउटर रिंग रोड पर परेड

Bhaskar Hindi
Update: 2021-01-17 11:36 GMT
Farmers Protest: किसान संगठनों ने NIA के समन की निंदा की, 26 जनवरी को दिल्ली आउटर रिंग रोड पर परेड

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की बॉर्डर पर डटे किसानों के आंदोलन का आज आज 53वां दिन है। इसी बीच किसान संगठनों ने NIA के समन भेजे जाने की निंदा की है। किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार अत्याचार कर रही है। उसने किसानों का दमन शुरू कर दिया है। केंद्रीय कृषि मंत्री NIA मामले में देखने की बात कही थी। उनके आश्वशन के बाद भी NIA ने समन भेजा।

इससे पहले कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था, सरकार किसानों के खिलाफ NIA का इस्तेमाल कर रही है। NIA, ED, IT को बीजेपी ने अपना मुखौटा संगठन बना दिया है। खेदजनक बात ये है किसान बीजेपी के लिए आतंकवादी, एंटी नेशनल, पाकिस्तानी, चीनी और अर्बन नक्सल हो गए हैं, लेकिन किसान सरकार के सामने नहीं झुकेंगे। सीबीआई और ईडी नोटिस से किसान चुप नहीं बैठने वाले हैं। 

उधर, किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी के सामने नहीं जाएंगे और सरकार को कृषि कानून वापस लेना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा। एक अन्य किसान नेता ने कहा, तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ हम 26 जनवरी को दिल्ली के अंदर परेड करेंगे। दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर परेड की जाएगी। किसान शांतिपूर्ण ढंग से परेड करेंगे, उम्मीद है कि दिल्ली, हरियाणा पुलिस रोक नहीं लगाएगी।

बता दें कि किसान और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत होने के बाद भी ये मसला अब तक नहीं सुलझ पाया है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों को लेकर दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए चार सदस्यीय कमेटी के गठन किया था। इसमें कोर्ट ने अशोक गुलाटी, प्रमोद कुमार जोशी, अनिल घनवंत और भूपेंद्र सिंह मान को शामिल किया था। हालांकि किसानों के विरोध के चलते भूपेंद्र सिंह मान ने अपना नाम वापस ले लिया। किसानों का कहना था कि कमेटी के चारों सदस्य पहले से ही कृषि कानूनों के समर्थन में है।

वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का 19 जनवरी की बैठक से पहले बयान सामने आया है। तोमर ने कहा, अधिकांश किसान और विशेषज्ञ कृषि कानूनों के पक्ष में हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, कानूनों को लागू नहीं किया जा सकता है। अब हम उम्मीद करते हैं कि किसान 19 जनवरी को कानून पर क्लॉज वाइज चर्चा करेंगे और सरकार को बताएंगे कि वे कानूनों को निरस्त करने के अलावा क्या चाहते हैं?

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