आंदोलन का 51वां दिन : सरकार के साथ बैठक फिर बेनतीजा रही, लंच ब्रेक में पहुंचा किसानों का लंगर, सरकार का नमक फिर नहीं खाया

आंदोलन का 51वां दिन : सरकार के साथ बैठक फिर बेनतीजा रही, लंच ब्रेक में पहुंचा किसानों का लंगर, सरकार का नमक फिर नहीं खाया

Bhaskar Hindi
Update: 2021-01-15 05:20 GMT

नई दिल्ली (आईएएनएस)। कृषि कानूनों पर गतिरोध को खत्म करने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों के संगठनों और केंद्रीय मंत्रियों के बीच 9वें दौर की वार्ता फिर बेनतीजा रही। इस बीच दिल्ली के विज्ञान भवन में जब दोपहर के भोजन का समय हुआ तो दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी की ओर से किसान नेताओं के लिए में लंगर भेजा गया। कमेटी की तरफ से किसान नेताओं के लिए मिक्स वेज, चावल, रोटी, चाय, बिस्किट और मूंग की दाल का हलवा भेजा गया।  हालांकि तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन किए जाने के बाद किसान नेता पहली बार केंद्रीय मंत्रियों से मिलें हैं।

नौवें दौर की वार्ता से एक दिन पहले गुरुवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार यूनियन के नेताओं के साथ खुले मन से बातचीत के लिए तैयार है और उन्हें अगले दौर की वार्ता सकारात्मक रहने की उम्मीद है। वार्ता के लिए सिंघु बॉर्डर से प्रस्थान करने से पहले शुक्रवार को भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लाखोवाल ने आईएएनएस से कहा कि किसान नेता भी सकारात्मक वार्ता की उम्मीद करते हैं। उन्होंने कहा कि वह सरकार से पहले तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर बातचीत करना चाहेंगे, इसके बाद एमएसपी के मसले पर भी चर्चा होगी।

किसान यूनियनों के नेता केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं।

इससे पहले सरकार के साथ किसान नेताओं के बीच इस मसले को लेकर आठ दौर की वातार्एं बेनतीजा रही हैं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने नये कृषि कानूनों और किसानों के आंदोलन को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई के बाद मंगलवार को इन कानूनों के अमल पर रोक लगा दी और शीर्ष अदालत ने मसले के समाधान के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन कर दिया जिसमें चार सदस्यों को नामित किया गया है। हालांकि कमेटी में शामिल एक सदस्य भाकियू नेता भूपिंदर सिंह मान ने खुद को कमेटी से अलग करने की घोषणा की है। दोलनकारी किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के सामने जाने से मना कर दिया है। 

वहीं, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत कहा कि "26 जनवरी को किसान देश का सिर ऊंचा करेंगे। दुनिया की सबसे ऐतिहासिक परेड होगी। एक तरफ से जवान चलेगा और एक तरफ से किसान चलेगा। इंडिया गेट पर हमारे शहीदों की अमर ज्योति पर दोनों का मेल मिलाप होगा"।  

दूसरी तरफ राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि "देश के अन्नदाता अपने अधिकार के लिए अहंकारी मोदी सरकार के ख़िलाफ़ सत्याग्रह कर रहे हैं। आज पूरा भारत किसानों पर अत्याचार व पेट्रोल-डीज़ल के बढ़ते दामों के विरुद्ध आवाज़ बुलंद कर रहा है। आप भी जुड़िये और इस सत्याग्रह का हिस्सा बनिये"।

 

 

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