... जब मुन्ना बजरंगी ने बीजेपी विधायक के सीने में उतार दी थी 100 गोलियां

... जब मुन्ना बजरंगी ने बीजेपी विधायक के सीने में उतार दी थी 100 गोलियां

Bhaskar Hindi
Update: 2018-07-09 07:43 GMT
... जब मुन्ना बजरंगी ने बीजेपी विधायक के सीने में उतार दी थी 100 गोलियां

डिजिटल डेस्क, लखनई। फिल्मी दुनिया का खुमार हर किसी के सिर पर चढ़ता है। ऐसा ही कुछ प्रेम प्रकाश सिंह के साथ भी था। फिल्मों में विलेन बनने की चाहत ने प्रेम प्रकाश सिंह को कुख्यात मुन्ना बजरंगी बना दिया। मुन्ना का जन्म 1967 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरा दयाल गांव में हुआ था। पिता पारसनाथ सिंह उसे पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाना चाहते थे। मगर प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी को यह मंजूर नहीं था। मुन्ना को उसके शौकिया मिजाज ने उसे कोई फिल्मस्टार तो नहीं, लेकिन जुर्म की दुनिया का एक ऐसा डॉन बना दिया जिसने भाजपा विधायक के सीने में 100 गोलियों दागकर लोगों में दहशत फैली दी। 

 

 

 

प्रेम प्रकाश से मुन्ना बनने की कहानी पूरी फिल्मी है। मुन्ना फिल्मों के विलेन की तरह हमेशा अपने साथ एक कट्टा रखता था। महज 17 साल की उम्र में उसके खिलाफ पुलिस ने आपराधिक मुकदमे दर्ज होना शुरू हो गए थे। जौनपुर थाना में उसके खिलाफ अवैध असलहा रखने का पहला मामला दर्ज हुआ। इसके बाद मुन्ना ने कभी पलटकर नहीं देखा और जुर्म के दलदल में धंसता चला गया। धीरे-धीरे मुन्ना के सिर पर जुर्म का बादशाह बनने का जुनून सवार होने लगा था। वो दुनिया का डॉन बनना चाहता था, इसलिए उसने जौनपुर के स्थानीय दबंग माफिया गजराज सिंह का संरक्षण हासिल कर लिया था। मुन्ना ने गजराज के लिए काम करना शुरू कर दिया था। बदले में मुन्ना को गजराज ने पैसा और आधुनिक हथियार दिए। गजराज के कहने पर मुन्ना ने कई हत्या की सबसे पहले उसने 1984 में लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या की थी। खून देखकर उसका चेहरा खिल जाता था| 

 

 

 

भाजपा विधायक के सीने में दागी थी 100 गोलियां 
पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार करने वाले मुख्तार अंसारी के कहने पर मुन्ना बजरंगी ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या की थी। विधायक कृष्णानंद अपने दौर के तेजी से उभरते विधायक थे। विधायक कृष्णानंद मुख्तार अंसारी के दुश्मन ब्रिजेश सिंह के खास थे, इसलिए मुख्तार ने विधायक की हत्या का जिम्मा बजरंगी को दिया। मुख्तार से फरमान मिल जाने के बाद मुन्ना बजरंगी ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय को खत्म करने की साजिश रची। 29 नवंबर 2005 को माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के कहने पर मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय को दिन दहाड़े मौत की नींद सुला दिया। उसने अपने साथियों के साथ लखनऊ हाइवे पर कृष्णानंद राय की दो गाड़ियों पर AK47 से 400 गोलियां बरसाई थी। करीब 100 गोलियां कृष्णानंद के सीने में दागी गई थी। जिनमें पचास से ज्यादा गोलियां तो पोस्टमॉर्टम के दौरान निकाली गई थी। 

 

 

 

भाजपा नेता रामचन्द्र सिंह की हत्या
मुन्ना बजंरगी ने दबंग माफिया गजराज के इशारे पर भाजपा नेता रामचन्द्र की बेहरमी से हत्या कर दी थी। रामचन्द्र सिंह उस दौरे में दबंग माफिया गजराज सिंह के गले की फांस बना हुआ था। गजराज के सारे काले करनामों की खबर रामचन्द्र को थी। इसलिए अपने रास्ते से रामचन्द्र को हटाने के लिए गजराज ने मुन्ना को इसकी जिम्मेदारी सौंपी और बजरंगी ने रामचन्द्र को मौत के घाट उतार दिया।  

 

 

40 से ज्यादा हत्याओं का आरोपी था मुन्ना
मुन्ना बजरंगी के खिलाफ उत्तरप्रदेश के ज्यादातर थानों में आपराधिक मामले दर्ज हैं। 20 साल के आपराधिक जीवन में मुन्ना ने 40 से ज्यादा मर्डर किए। जिनमें दो भाजपा के दबंग नेता भी शामिल रहे। खौफ का पर्याय रहे मुन्ना बजरंगी की हत्या से उसका खौफ आज खत्म हो गया। पुलिस और कानून भले ही उसको सजा न दे पाए लेकिन बागपत जेल के अंदर अपराधियों ने उसे सजा दे दी। 

 

 

 

सात लाख का इनामी था मुन्ना
भाजपा विधायक की हत्या के अलावा कई मामलों में उत्तर प्रदेश पुलिस, एसटीएफ और सीबीआई को मुन्ना बजरंगी की तलाश थी, इसलिए उस पर सात लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया। उस पर हत्या, अपहरण और वसूली के कई मामलों में शामिल होने के आरोप हैं। उसके ऊपर करीब 40 हत्याओं के मामले दर्ज हैं। वह अपना लगातार लोकेशन बदलता रहा। पुलिस का दबाव भी बढ़ता जा रहा था।

 

 

 

अंडरवर्ल्ड जाने के लिए मुंबई में ली पनाह
यूपी पुलिस और एसटीएफ लगातार मुन्ना बजरंगी को तलाश कर रही थी। उसका यूपी और बिहार में रह पाना मुश्किल हो गया था। उसने खुद को अंडरवर्ल्ड में जाने का मन बना लिया था| वह मुंबई पहुंच गया। उसने एक लंबा अरसा वहीं गुजारा। इस दौरान उसका कई बार विदेश जाना भी होता रहा। उसके अंडरवर्ल्ड के लोगों से रिश्ते भी मजबूत होते जा रहे थे। वह मुंबई से ही फोन पर अपने लोगों को दिशा निर्देश दे रहा था।

 

 

 

राजनीति में भी जाना चाहता था मुन्ना
मुन्ना ने लोकसभा चुनाव में गाजीपुर लोकसभा सीट पर अपना डमी उम्मीदवार खड़ा करने की कोशिश की। मुन्ना बजरंगी एक महिला को गाजीपुर से भाजपा का टिकट दिलवाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन कामयाबी नहीं मिली| बीजेपी से निराश होने के बाद मुन्ना बजरंगी ने कांग्रेस का दामन थामा। वह कांग्रेस के एक कद्दावर नेता की शरण में चला गया। कांग्रेस के वह नेता भी जौनपुर जिले के रहने वाले थे, मगर मुंबई में रहकर सियासत करते थे। मुन्ना बजरंगी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नेता जी को सपोर्ट भी किया था। बजरंगी और उसकी पत्नी ने 2012 और 2017 में जौनपुर की मड़ियाहूं सीट से निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर यूपी विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था।

 

 

मुंबई से हुई थी गिरफ्तारी 
उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में मुन्ना बजरंगी के खिलाफ मुकदमे दर्ज थे। वह पुलिस के लिए परेशानी का सबब बन चुका था। उसके खिलाफ सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हैं, लेकिन 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया था। माना जाता है कि मुन्ना को अपने एनकाउंटर का डर सता रहा था, इसलिए उसने खुद एक योजना के तहत दिल्ली पुलिस से अपनी गिरफ्तारी कराई थी।

 

 

 

गिरफ्तारी पर रहा विवाद
मुन्ना की गिरफ्तारी के इस ऑपरेशन में मुंबई पुलिस को भी ऐन वक्त पर शामिल किया गया था। बाद में दिल्ली पुलिस ने कहा था कि दिल्ली के विवादास्पद एनकाउंटर स्पेशलिस्ट राजबीर सिंह की हत्या में मुन्ना बजरंगी का हाथ होने का शक है। इसलिए उसे गिरफ्तार किया गया। तब से उसे अलग-अलग जेलों में रखा जा रहा था। इस दौरान उसके जेल से लोगों को धमकाने, वसूली करने जैसे मामले भी सामने आते रहे हैं।

 

 

 

जेल में हुआ खौफ का अंत
बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी का खौफ खत्म हो चुका है। उसको गोली माकर मौत के घाट उतार दिया गया है। जिला प्रशासन इसकी तहकीकात कर रहा है कि आखिर जेल में हथियार कैसे पहुंच गया। कई जज और इलाहाबाद कोर्ट के वकील तक बागपत जेल पहुंच चुके हैं।

 

 

 

 

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