SC में सरकार की दलील दुश्मनों से निपटने के लिए हर मौसम, हर स्थिति में सतर्क रहना होगा

चौड़ी चारधाम राजमार्ग परियोजना SC में सरकार की दलील दुश्मनों से निपटने के लिए हर मौसम, हर स्थिति में सतर्क रहना होगा

ANAND VANI
Update: 2021-11-12 07:54 GMT
SC में सरकार की दलील दुश्मनों से निपटने के लिए हर मौसम, हर स्थिति में सतर्क रहना होगा
हाईलाइट
  • तमाम चिंताओं को दूर कर सड़क निर्माण जरूरी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रणनीतिक रूप से  चारधाम परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड के चार पवित्र शहरों- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को हर मौसम में संपर्क के लिये तैयार करना है। केंद्र सरकार और कई एनजीओ की लगी याचिका पर  न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए रक्षा मंत्रालय की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है।

मंत्रालय ने सड़क चौड़ीकरण को लेकर न्यायालय के पहले के आदेश और एक गैर सरकारी संगठन सिटीजन फॉर ग्रीन दून की याचिका में संशोधन का अनुरोध किया है। न्यायालय ने उनसे क्षेत्र में भूस्खलन को कम करने के लिए उठाए गए कदमों और उठाए जाने वाले कदमों पर जवाब पेश करने को कहा है।  एक  केंद्र सरकार का कहना है कि एक तरफ देश का दुश्मन लगातार विवादित क्षेत्रों के आसपास सड़क निर्माण कर रहा है,  ऐसे में हमें भी सतर्क रहने होगा जिसके लिए सडकों का विस्तार करने की समय के अनुरूप जरूरत है। सुरक्षा की दृष्टि  से हमें तमाम चिंताओं को दूर कर सड़क का निर्माण करना होगा।

चौड़ी चारधाम राजमार्ग परियोजना के निर्माण के कारण हिमालयी क्षेत्रों में भूस्खलन की चिंताओं को दूर करने पर केंद्र सरकार ने कहा कि आपदा को कम करने के लिए सभी आवश्यक प्रयास किए गए है और कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में भूस्खलन हुआ है और विशेष रूप से सड़क निर्माण से ही ऐसा नहीं होता है।

गैर सरकारी संगठन की ओर से पेश अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि सड़क चौड़ीकरण परियोजना को रोकना होगा। यह सैनिकों और लोगों के जीवन को खतरे में डालेगा क्योंकि ऐसा होने के लिए हिमालय में कुछ करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा ऐसी गतिविधियों की हिमालय द्वारा अनुमति नहीं दी जा सकती है। ये ईश्वर की देन हैं। यदि आप इसे जबरदस्ती करने की कोशिश करते हैं, तो पहाड़ इसे खारिज कर देंगे। 

केंद्र सरकार ने गुरुवार को शीर्ष कोर्ट में कहा कि अगर सेना अपने मिसाइल लॉन्चर, भारी मशीनरी उत्तरी भारत-चीन सीमा तक नहीं ले जा सकती और अगर जंग छिड़ जाती है तो उस स्थिति में वह सीमा की सुरक्षा कैसे करेगी, लड़ेगी कैसे? हमारे रक्षा मंत्री ने भारतीय सड़क कांग्रेस में भाग लिया था और कहा था कि सेना को आपदा प्रतिरोधी सड़कों की जरूरत है। हमें  सदैव सावधान और सतर्क रहना होगा। हमें तैयार रहना  होगा। वेणुगोपाल ने कहा कि संवेदनशील क्षेत्रों में भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, आकृति विज्ञान और मानव गतिविधियों सहित उपयुक्त अध्ययन किए गए हैं और ढलान स्थिरीकरण, वनीकरण, वैज्ञानिक कचरा निस्तारण जैसे कदम उठाए गए हैं। 

 

केंद्र सरकार की तरफ से पेश अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा ये दुर्गम इलाके हैं जहां सेना को भारी वाहन, मशीनरी, हथियार, मिसाइल, टैंक, सैनिकों और खाद्य आपूर्ति को लाने-ले जाने की आवश्यकता होती है।हमारी ब्रह्मोस मिसाइल 42 फीट लंबी है और इसके लॉन्चर ले जाने के लिए बड़े वाहनों की जरूरत है। अगर सेना अपने मिसाइल लॉन्चर और मशीनरी को उत्तरी चीन की सीमा तक नहीं ले जा सकती है। और अगर युद्ध होता है तो वह युद्ध कैसे लड़ेगी।उन्होंने कहा सीमा के दूसरी तरफ केवल इन पहाड़ों के दर्रों के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। चारधाम परियोजना की निगरानी कर रही उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) ने अपनी रिपोर्ट में सेना की इन चिंताओं का समाधान नहीं किया। एचपीसी की रिपोर्ट सेना की जरूरतों से कोसों दूर है।  उन्होंने कहा कि आज ऐसी स्थिति है जहां देश की रक्षा करने की जरूरत है और देश की रक्षा के लिए सभी उपलब्ध संसाधनों और बलों को एकजुट करने की जरूरत है।
 

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