गुजरात चुनाव: मोदी जी की रैलियों से 'विकास' कहां चला गया? 

गुजरात चुनाव: मोदी जी की रैलियों से 'विकास' कहां चला गया? 

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-13 06:03 GMT
गुजरात चुनाव: मोदी जी की रैलियों से 'विकास' कहां चला गया? 

डिजिटल डेस्क, अहमदाबाद। गुजरात में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अब पूरी तरह से थम गया है। 14 दिसंबर को दूसरे फेज की वोटिंग के बाद 18 दिसंबर को प्रदेश में नई सरकार भी बन जाएगी। चुनावों में बीजेपी की तरफ से इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही मोर्चा संभाला। उन्होंने अपने पूरे इलेक्शन कैंपेन के दौरान कई ताबड़तोड़ रैलियां की। आखिरी में तो पीएम मोदी ने एक के बाद एक 4 रैलियां भी की। आखिरी दिन "सी-प्लेन" से उड़ान भर मोदी जी ने "विकास" के दर्शन भी करा दिए। मोदी जी ने इस दौरान कई रैलियां की, कांग्रेस और राहुल गांधी पर जोरदार हमला बोला, लेकिन उनकी रैली से कुछ गायब था तो वो था "विकास"। ये वही विकास था, जिसके दम पर मोदी ने 2014 का लोकसभा का चुनाव जीता। लोकसभा में जिस गुजरात के "विकास मॉडल" को दिखाकर चुनाव जीता गया, वही विकास मॉडल गुजरात से आखिर क्यों गायब हो गया? क्यों पीएम मोदी ने अपनी रैलियों में विकास का जिक्र नहीं किया।    

 


2014 में दिखा था "विकास"

साल 2014 का वक्त था। देश में लोकसभा चुनाव होने थे। पूरे देश में कांग्रेस को लेकर गुस्सा था और देश मोदी को एक उम्मीद की तरह देख रहा था। पीएम मोदी ने उस वक्त देश को "विकास" की उम्मीद दिखाई। पूरे देश के सामने गुजरात को "विकास मॉडल" की तरह पेश किया गया। जो इंसान कभी गुजरात भी नहीं गया था, उसे गुजरात का विकास दिखने लगा। इसके बाद गूंजा "अच्छे दिन आने वाले हैं" नारा। इस नारे ने जनता की उम्मीदों को और बढ़ा दिया। लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी ने कई रैलियां की, रोड शो किए और हर जगह "विकास" की बात कही। अब तक देश को भरोसा हो गया था कि, देश में बहुत जल्द विकास आने वाला है। बीजेपी के "सबका साथ, सबका विकास" और "सुशासन संकल्प, भाजपा विकल्प" जैसे नारों ने विकास को एक बार फिर से जिंदा कर दिया। इसका नतीजा ये हुआ कि लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने पहली बार 282 सीटें जीतकर अपने दम पर सरकार बनाई।



उत्तरप्रदेश में भी दिखा "विकास"

इसके बाद 3 साल बाद "विकास" उत्तरप्रदेश चुनावों में भी देखने को मिला। यूपी चुनावों में बीजेपी ने भ्रष्टाचार, महिला सुरक्षा और गुंडागर्दी जैसे मुद्दे उठाए और अखिलेश यादव, राहुल गांधी पर हमला किया। "बहुत हुआ नारी पर वार, अबकी बार भाजपा सरकार" "न गुंडागर्दी न भ्रष्टाचार, अबकी बार भाजपा सरकार" जैसे नारों से यूपी में भी विकास के दर्शन कराए गए। इसका नतीजा ये हुआ कि जो विकास बिहार में फेल हो गया था, वही विकास यूपी में पास हो गया और बीजेपी ने 325 सीटें जीती।.



गुजरात में नहीं दिखा "विकास"? 

यूपी समेत 5 राज्यों में घुमने के बाद विकास गुजरात की तरफ आने वाला था, लेकिन इस बार बीजेपी ने विकास को दूर कर दिया। नोटबंदी, जीएसटी जैसे जिन फैसलों पर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही थी, वही फैसले गुजरात में नजरअंदाज किए गए। अगर एकाध रैलियां छोड़ दी जाए, तो बाकी रैलियों में मोदी सरकार की उपलब्धियां नहीं गिनाई गई। जिस गुजरात को "विकास के मॉडल" के रुप में देश में पेश किया गया था, वही विकास गुजरात से गायब हो चुका था। 22 सालों से बीजेपी की यहां सरकार है, लेकिन उसके बावजूद पीएम मोदी ने अपनी रैलियों में अपनी सरकार के कामकाजों का उल्लेख तक नहीं किया। इसके पीछे बताया जा रहा है कि गुजरात में असल मायने में वो विकास हुआ ही नहीं है, जिसे लोकसभा चुनाव में पेश किया गया था। गुजरात का विकास, गुजरात में ही फेल हो गया। पीएम ने अपनी रैलियों में राहुल के मंदिर जाने की बात उठाई, तो कांग्रेस और पाकिस्तान की मिलीभगत की बात कही। इसके अलावा खुदको गुजरात का बेटा बताकर एक बार फिर से गुजरातियों से वोट देने की अपील करते रहे, लेकिन विकास इन सबके पीछे कहीं छुपकर ही बैठा रहा।



आखिर गुजरात से क्यों गायब हुआ "विकास"?

गुजरात चुनावों में विकास इसलिए नहीं दिखा, क्योंकि यहां पर विकास हुआ ही नहीं है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुजरात का राजकोषिय घाटा कम हुआ है, जो विकास का एक पैमाना है। वहीं साक्षरता दर में भी गुजरात काफी पिछड़ा हुआ है। एक तरफ जहां गुजरात की साक्षरता दर 78.03 फीसदी है, वहीं केरल जैसे राज्य में ये 94 फीसदी और महाराष्ट्र में 82.34 फीसदी है। इसके अलावा गुजरात उच्च शिक्षा के मामले में भी कई राज्यों से पीछे हैं। अगर ये सब मुद्दे गुजरात में अभी भी हैं, तो विकास की बात कैसे होगी? यही कारण है, कि बीजेपी और पीएम मोदी ने इस बार विकास की बात तक नहीं की। पीएम ने अपनी चुनावी रैलियों में उन मुद्दों को उठाया, जिसका कोई मतलब नहीं था। कभी पाकिस्तान को यहां पर घसीटा, तो कभी राहुल गांधी के मंदिर जाने पर सवाल उठाए, तो कभी इमोशनल होकर जनता से वोट मांगे।



अगले साल कैसे लड़ेंगे चुनाव? 

पीएम मोदी ने गुजरात में विकास की बात न कहकर बड़ी भूल की है। गुजरात में पिछले 22 सालों से बीजेपी की सरकार है, 12 साल मोदी खुद यहां मुख्यमंत्री रहे। गुजरात के बेटे को लोगों ने भी बहुत प्यार दिया, लगातार गुजरात में तीन बार जीताकर और लोकसभा में जीताकर इसे साबित भी कर दिया। फिर भी पीएम मोदी ने यहां पर विकास की बात नहीं की। अगली साल मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनाव होने हैं। इसमें से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में लंबे समय से बीजेपी की सरकार है। राजस्थान में हर 5 साल में सत्ता परिवर्तन होता रहता है। इसके बाद 2019 में फिर लोकसभा चुनाव हैं। अगर विकास 2 साल पहले ही गायब होने लगा है, तो फिर अगले साल पीएम मोदी और बीजेपी चुनाव कैसे लड़ेंगे? गुजरात की जीत मोदी और बीजेपी के लिए काफी मायने रखती है। इसे लोकसभा से पहले सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। मोदी को प्रधानमंत्री बने हुए 3 साल से ज्यादा हो गया और अगर विकास गायब हो गया है, तो फिर विधानसभा और लोकसभा चुनावों में बीजेपी और मोदी किस हक से जनता से वोट मांगेंगे। अगर, 18 दिसंबर को बीजेपी हार गई, तो क्या मान लिया जाए कि "विकास" पूरी तरह से फेल हो गया है, लेकिन वहीं अगर बीजेपी जीत जाती है, तो "विकास" एक बार फिर से पैदा हो सकता है, जिसका फायदा बीजेपी को ही होना है। 

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