हनीट्रैप कांड : क्या एसआईटी ने ही लीक किए वीडियो?
हनीट्रैप कांड : क्या एसआईटी ने ही लीक किए वीडियो?
भोपाल, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में हनीट्रैप कांड की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) के नौ दिन में तीन मुखिया बदले जाने को लेकर छिड़ी बहस के बीच एक मंत्री का कहना है कि बदलाव की वजह वीडियो का लीक किया जाना है। मंत्री के इस बयान ने एसआईटी को ही संदेह के घेरे में ला दिया है।
राज्य में कुछ समय पहले इस बात का खुलासा हुआ था कि कुछ महिलाओं द्वारा नेताओं, अधिकारी व प्रभावशाली लोगों को अपने प्रेमजाल में फांसकर उन्हें ब्लैकमेल किया गया। इंदौर के एक इंजीनियर हरभजन सिंह की शिकायत पर पांच महिलाओं और एक पुरुष को गिरफ्तार किया गया। इस गिरोह के तार बड़े नेताओं से जुड़े होने के सबूत भी सामने आए, जिसके बाद यह मामला एसआईटी को सौंपा गया। अब पिछले नौ दिनों में ही एसआईटी के तीन मुखिया बदले जा चुके हैं।
बीते कुछ दिनों में राज्य में कई लोगों के अश्लील वीडियो से लेकर आरोपी महिला की डायरी के पन्ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। इसे वायरल कराने में पुलिस और सरकार से जुड़े लोगों का हाथ होने की बात लगातार सामने आ रही है।
एसआईटी प्रमुखों में हुए बदलाव पर राज्य के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, वीडियो लीक तो नहीं होने चाहिए, लेकिन हो रहे हैं। यह बात शायद मुख्यमंत्री और डीजीपी के संज्ञान में आई है, इसलिए मैंने यह कदम उठाया। यह बहुत ही बड़ा खुलासा है और इसमें मुख्य बात यह है कि इस गिरोह ने बड़े-बड़े अधिकारियों और नेताओं को जाल में फंसाया है। इसकी जांच हो रही है और उनकी संपत्ति की भी जांच की जा रही है।
राजपूत का आगे कहा कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होना चाहिए, पूरी तरह पर्दाफाश होना चाहिए।
राज्य के गृहमंत्री बाला बच्चन का कहना है, मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारी को जांच का जिम्मा सौंपा गया है। उनके अनुभव का लाभ मिलेगा और आने वाले समय में सभी के नाम उजागर होंगे।
वहीं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार हुए बदलाव पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि एसआईटी में जिस तरह से रोजाना बदलाव हो रहे हैं, वह शुभ संकेत नहीं है। उन्होंने कहा कि कानून को अपना काम करना चाहिए और अगर रोजना ऐसे ही टीम बदली जाएगी तो संदेह के सवाल तो उठेंगे ही।
एसआईटी जांच के लिए 23 सितंबर को पुलिस महानिरीक्षक डी. श्रीनिवास वर्मा को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वह इंदौर के लिए रवाना हो पाते, उससे पहले 24 सितंबर को ही दूसरी एसआईटी बना दी गई, जिसका जिम्मा अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक संजीव शमी को दिया गया। शमी ने इस मामले पर तेजी से काम करना शुरू भी कर दिया था। मगर इसके बाद एक अक्टूबर को विशेष पुलिस महानिदेशक राजेंद्र कुमार को एसआईटी प्रमुख बना दिया गया।