इसलिए चीन की गीदड़-भभकी बर्दाश्त नहीं करता भारत , जानिए क्या है हमारी ताकत
इसलिए चीन की गीदड़-भभकी बर्दाश्त नहीं करता भारत , जानिए क्या है हमारी ताकत
डिजिटल डेस्क, भोपाल। डोकलाम सीमा पर चीन और भारत आमने-सामने खड़े हैं। चालाक चीन की नजर जब से भूटान के डोकलाम हिस्से पर है, तब से ही उसने भारत की नाक में दम कर रखा है। कभी सड़क बनाना तो कभी भारतीय सैनिकों के साथ हाथापाई करना, चीन हर तरह से भारत पर भूटान का साथ छोड़ने का दबाव बना रहा है। लेकिन भारत भी अपने वायदे को निभाते हुए भूटान की सीमा की रक्षा की जिम्मेदारी बखूबी निभा रहा है और हिमालय पर चीन के सामने बुलंदी से खड़ा है। आखिर वो कौन सी ताकत है, जो भारत को इतनी मजबूती दे रही है। और तो और ड्रैगन की युद्ध वाली धमकियों के बीच भी भारत ने अपना संयम बरकरार रखते हुए हौसले बुलंद कर रखे हैं।
मोदी ने दी देश को मजबूती
नरेंद्र मोदी को देश के पिछले तीन दशकों के सबसे मजबूत पीएम माने जाते हैं। ये बात तभी साबित हो गई थी जब उन्होंने आते ही कई नीतियों को बदला था, जिससे चीन हिल गया था। अपने कार्यकाल की शुरुआत में ही मोदी ने चीन से निपटने के लिए उसकी परवाह न करते हुए कुछ रिवाजों को दरकिनार कर दिया था। उन्होंने लंबे समय से चली आ रही परंपरा को तोड़ते हुए तिब्बती सरकार के निर्वासन और ताइवान के आधिकारिक कार्यों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया। उन्होंने ऐसा चीन के सामने अपनी मजबूती दिखाने और इन देशों से ताल्लुक बढ़ाने के लिए किया। 2014 में मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में तिब्बती सरकार के निर्वासन और ताइवान के व्यापार प्रतिनिधि के मंत्री आमंत्रित शामिल थे। इसके बाद 2014 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत की पहली यात्रा के साथ-साथ भारत का नया दृष्टिकोण देखने को मिला। दक्षिण-पूर्वी लद्दाख में चीन के 1,000 सैनिकों की घुस पैठ के बाद भारत ने तेजी से दो दिनों में 9, 000 मजबूत बल का निर्माण किया। भारत के इस कदम से चीन को पीछे हटना पड़ा, वहीं 2015 में अरुणाचल प्रदेश में यांग्से में एक बार फिर भारत के संकल्प का प्रदर्शन किया।
भारत की स्वदेशी विकसित मिसाइलें
भारत के पास हौसले की एक बड़ी मिसाल है स्वदेशी मिसाइलें। ये मिसाइले हैं अग्नि, आकाश, और ब्राह्मो। ये तैनात करने के लिए तैयार हैं या पहले ही सशस्त्र बलों में शामिल हो गए हैं। जो चीन के खिलाफ इस्तेमाल के लिए शक्तिशाली हथियार हैं। पानी में भारत चीन के खिलाफ मजबूती से खड़ा है। उसके पास ऐसी दमदार मिसाइलें हैं, जिनसे चीन का सामना आसानी से किया जा सकता है। भारत के पास बेहतर सबमरीन प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइलों (एसएलबीएम) की के-सीरीज भी है। जो भारत को अपने परमाणु क्षमता को बढ़ाने में समर्थ है।
पानी में भी चीन खिलाफ मजबूत चीन
भारत के पास बेहतर सबमरीन प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइलों (एसएलबीएम) की के-सीरीज भी है । जो भारत को अपने परमाणु क्षमता को बढ़ाने में समर्थ है। चीन के साथ बढ़े तनाव के बीच भारत ने अपनी समुद्री ताकत बढ़ाने के लिए INS कलवरी पनडुब्बी को समुद्र में उतारने की योजना में है। इससे पहले चीन ने भारतीय समुद्री क्षेत्र में पनडुब्बी तैनात कर दी है। युआन क्लास की ये पारंपरिक डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बी क्षेत्र में तैनात की जाने वाली 7वीं पनडुब्बी है। भारत की ओर से इस पनडुब्बी को हाल में भारतीय समुद्री क्षेत्र में प्रवेश करते देखा गया। भारत के समुद्री बेड़े में 15 पनडुब्बियां और चीन के बेड़े में 60 पनडुब्बियां शामिल हैं। चीन की समुद्री ताकत और हिंद महासागर में दिनोदिन बढ़ती दखलंदाजी के चलते भारत की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। लिहाजा भारत चीन से निपटने के लिए यह कदम उठाने जा रहा है। भारतीय नौसेना के एक अधिकारी ने बताया कि मई के महीने में चीन की युआन क्लास की जो डीजल पनडुब्बी हिंद महासागर में दाखिल हुई थी, जो अब भी वहां मौजूद है।
परियोजनाओं पर मोदी की भूमिका
प्रस्तावित माउंटेन स्ट्राइक कोर के खिलाफ प्रारंभिक आरक्षण के बाद मोदी सरकार ने इस परियोजना के लिए अपना समर्थन बहाल किया। स्ट्राइक कोर के लिए दो माउंटेन डिवीजनों का मतलब उत्तरी और पूर्वी कमान में अपनी स्थापना को पूरा करना है। स्ट्राइक कोर के लिए और हवाई संपत्ति की योजना बनाई गई है। वहीं एक विशेष बल डिवीजन और एक साइबर एंड स्पेस एजेंसी का गठन अलग त्रिकोणीय सेवाएं विशेष बल, साइबर एंड स्पेस कमानों के गठन के प्रस्ताव के रूप में, हाल के महीनों में शुरू हो गए हैं। ये भी भारत के लिए मुश्किल वक्त में साथ देंगे। भारत 72 टैंकों की शुरुवात कर लद्दाख में एक पूर्ण "टैंक ब्रिगेड" के लिए अपनी कवच ताकत बढ़ाने की योजना बना रहा है। 2009 में उपर उठाए गए 56 और 71 माउंटेन डिवीजनों को अब और भी मजबूती दी जा रही है।
धैर्य और आत्मविश्वास की ताकत
विवाद शांत करने की भारत की हर कोशिश को चीन नकार देता है। हाल ही में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल बीआरआईसीएस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के सम्मेलन में भाग लेने और अपने चीनी समकक्ष यांग जिची से मुलाकात करने के बाद बीजिंग से लौटे। लेकिन अभी तक डोकलाम पर कोई हल नहीं निकल पाया है। इसके बाद भारत ने चीने से कूटनीतिक तरीका अपनाने की भी कोशिश की लेकिन उल्टे उसने दो हफ्तो के भीतर युद्ध की धमकी भी दे डाली है। भारत ने चीन के हर उकसावे का धैर्यपूर्ण सामना किया। भारत का यही धैर्य और आत्मविश्वास सराहनीय है। गौर करने वाली बात है कि भारत कैसे अब तक हिमालय पर चीन के सामने लगातार डटा हुआ है ?
सैन्य ताकत से बढ़ा हौसला
भारत की सेना विश्व की तीसरी सबसे बड़ी सेना है। जो भारत को अब तक के हर युद्ध में जीत दिलाती आई है। बेहतर सैन्य बल के साथ-साथ ये देश का हौसला भी है, जो अबी तक हिम्मत बटोरे हुए है। हालांकि भारत को चीन के सामने खड़ा करने का सबसे बड़ा कारण ये भी है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एशिया में चीन-केंद्रित आदेश को लागू करने के लिए एक बड़ा प्रयास किया। एक प्रस्ताव के मुताबिक नई दिल्ली में कोई भी सरकार किसी भी परिस्थिति में सहमत नहीं हो सकती।