IGP डी रूपा ने पेश की ईमानदारी की मिसाल, अवॉर्ड लेने से किया इनकार 

IGP डी रूपा ने पेश की ईमानदारी की मिसाल, अवॉर्ड लेने से किया इनकार 

Bhaskar Hindi
Update: 2018-03-25 08:41 GMT
IGP डी रूपा ने पेश की ईमानदारी की मिसाल, अवॉर्ड लेने से किया इनकार 

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। बेंगलुरु DIG (जेल) रहते हुए शशिकला को मिल रहे वीवीआईपी ट्रीटमेंट की बात उजागर करने वाली डी रूपा एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार उन्होने "नम्मा बेंगलुरु अवॉर्ड" लेने से इनकार कर दिया है। बता दें, कि "नम्मा बेंगलुरु फाउंडेशन" एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन है। नम्मा बेंगलुरु फाउंडेशन कई कैटेगरी में दिया जाता है। इस पुरुस्कार में भारी कैश रिवॉर्ड भी शामिल होता है, जिसके चलते डी रुपा ने यह अवॉर्ड लेने से मना किया है। जिसके लिए उन्होने बकायदा फाउंडेशन को पत्र लिखा है।

अवॉर्ड में कैश रिवॉर्ड के कारण किया इनकार
कर्नाटक काडर की IPS अधिकारी डी रूपा ने बेंगलुरू फाउंडेशन को पत्र लिखकर इस पुरुस्कार को लेने से मना कर दिया। उन्होने लिखा कि नम्मा फाउंडेशन पुरस्कार के नाम पर भारी नगद इनाम में देता है, जो उनकी साफ-सुथरी छवि और करियर पर दाग लगा सकती है। नम्मा बेंगलुरू फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने नाम पत्र लिखकर उन्होने कहा कि आपने मुझे इस पुरस्कार के लिए चुना, जिसके लिए मैं आपका शुक्रिया अदा करती हूं। मैं आपके पुरस्कार को नहीं स्वीकार सकती हूं क्योंकि इसमे नगद राशि इनाम में दी जाती है, जो मेरे करियर पर दाग लगा सकता है। उन्होने कहा कि सभी सरकारी कर्मचारी को हमेशा इन राजनैतिक और एसोसिएट लोगों से उचित दूरी बनाकर रखनी चाहिए। अगर सभी सरकारी कर्मचारी ऐसा करेंगे तो ही अपनी साफ-सुथरी छवि लोगों के नजर में प्रस्तुत कर सकते हैं।

 

 

क्या है नम्मा बेंगलुरु फाउंडेशन?
नम्मा बेंगलुरु फाउंडेशन एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन है। यह ऑर्गनाइजेशन बीजेपी से राज्यसभा सांसद और बिजनेसमैन राजीव चंद्रशेखर का है। इस साल अवॉर्ड का यह नौवां एडिशन है। इस अवॉर्ड में भारी नगद इनाम दिया जाता है। जिसको लेकर ही डी रुपा ने इस अवॉर्ड को लेने से इनकार कर दिया है।

 

 

कौन है डी रुपा?
डी रूपा कर्नाटक काडर की 2000 बैच की IPS अधिकारी हैं, बेंगलुरु में DIG (जेल) रहते हुए रूपा ने शशिकला को मिल रहे वीवीआईपी ट्रीटमेंट की पोल खोली थी, जिसके बाद वह सुर्खियों में आई थीं। वहीं पिछले दिनों रिटायर्ड DGP एच एन सत्यनारायण राव को फेयरवेल देने का विरोध करने के कारण भी चर्चा में रही थीं। डी रूपा इस साल की सरकारी अधिकारी कैटेगरी में नॉमिनेट हुई थीं। इसमें उनके अलावा 8 अधिकारियों को शॉर्टलिस्ट किया गया था।

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