आजादी के बाद भी दलितों पर अत्याचार, पुलिस सुरक्षा के बीच निकली दलित की बारात

आजादी के बाद भी दलितों पर अत्याचार, पुलिस सुरक्षा के बीच निकली दलित की बारात

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-24 05:16 GMT
आजादी के बाद भी दलितों पर अत्याचार, पुलिस सुरक्षा के बीच निकली दलित की बारात

डिजिटल डेस्क, अजमेर। देश में रिजर्वेशन कोटे को बढ़ाने की जब-जब मांग उठती है, तो अन्य या सामान्य वर्ग के लोग इसे गलत ठहराने लगते हैं, लेकिन देश में आज भी दलितों के साथ जाति को लेकर दुर्व्यव्हार होता है, उन्हें दलित होने की वजह से कई बार अपमानित भी होना पड़ता है। हाल ही में राजस्थान के अजमेर के अंराई कस्बे के पास सरवर गांव में दलित समाज के युवक की बारात निकलना दबंगों को रास नहीं आई और उन्होंने दलित को घोड़ी तक नहीं चढ़ने दिया। 

घटना को लेकर दलित बैरवा समाज ने जिला कलेक्टर से शिकायत की। जिसके बाद कलेक्टर के निर्देश पर पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी हरकत में आए। इसके बाद नसीराबाद और किशनगढ उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार, पुलिस उपाधीक्षक सहित दो थानों की पुलिस मौके पर पहुंची और सुरक्षा के बीच दलित की बारात निकाली गई। बता दें कि दलित युवक की बारात निकले से पहले ही दंबगों ने परिवार को धमकाना शुरू कर दिया था। उन्हें दलित की बारात और दूल्हे को घोड़ी पर बैठाने पर आपत्ति थी। बात ना मानने पर दबंगों ने बारात को गांव से निकलने नहीं दिया। 

ये पहली बार नहीं जब दलित की बारात निकलने को लेकर विवाद हुआ हो। इससे पहले भी इस तरह कई मामले सामने आए हैं जब दलितों को धूमधाम से शादी करना दबंगों को रास नहीं आया है। इससे पहले 12 नवंबर को भी राजस्थान की राजधानी जयपुर के नजदीक ही ऐसा मामला सामने आया था। जयपुर से कुछ ही दूरी पर स्थित बराला गांव में एक दलित युवक भगवान सहाय रैगर की बारात निकलनी थी। तब भी दबंगों के डर से दलित परिवार ने पहले ही पुलिस से सुरक्षा की मांग की थी और पुलिस निगरानी में ही दलित की बारात निकाली गई थी। सवाल ये है कि ऐसा कब तक होता रहेगा। भारत को आजाद हुए 70 साल बाद भी देश में दलितों पर अत्याचार किसी ना किसी रूप में सामने आ ही जाते हैं। 

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