हिंद महासागर सुरक्षा पर भारत और फ्रांस की पार्टनरशिप मजबूत
हिंद महासागर सुरक्षा पर भारत और फ्रांस की पार्टनरशिप मजबूत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंद महासागर में पार्टनरशिप मजबूत करने पर शुक्रवार को फ्रांस और भारत के बीच बातचीत हुई। फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां वेस लध्रियां ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात कर बातचीत की। हिंद महासागर इलाके में चीन का दबदबा लगातार बढ़ता ही जा रहा है, जिसे लेकर दोनों ही देश चिंतित हैं। इसी के चलते हिंद महासागर में भारत और फ्रांस की पार्टनरशिप को मजबूत करने पर दोनों विदेश मंत्रियों के बीच बातचीत हुई।
दोनों देश इस इलाके में चीन के दबदबे को बढ़ता हुआ देख रहे हैं। इस इलाके के लिए भारत को हाल में अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का भी साथ मिला है। बता दें कि चीन को ध्यान में रखते हुए भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी ताकत बढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी है। फारस की खाड़ी से लेकर मलक्का स्ट्रेट तक अब नौसेना के युद्धपोत दिन-रात गश्ती करेंगे ताकि पारंपरिक खतरों की तरफ से किसी भी तरह की घटना की आशंका और समुद्री आतंकवाद, लूट की घटनाओं से निपटने के साथ ही मानवीय आपदा राहत का काम भी किया जा सके।
यहां दोनों देशों की मौजूदगी बेहद अहम है
भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बताया कि भारत और फ्रांस ने समुद्री सुरक्षा पर हिंद महासागर में बढ़ते सहयोग पर चर्चा की, जहां दोनों देशों की मौजूदगी बेहद अहम है। सुषमा ने यहां चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच बहुध्रुवीय विश्व और नियम आधारित व्यवस्था की अपनी बात रखी। उन्होंने कहा इस सहयोग का मकसद निर्बाध व्यापार और आवाजाही के लिए अंतरराष्ट्रीय समुद्री गलियारे की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
हिंद महासागर में सहयोग पर हमारे साझा विचार हैं
फ्रांस के विदेश मंत्री ने कहा कि 1998 से भारत के साथ जारी रणनीतिक भागीदारी को और मजबूत करना चाहते हैं। आतंकवाद से लड़ाई, समुद्री सुरक्षा के साथ हिंद महासागर में सहयोग पर हमारे साझा विचार हैं। फ्रांस के विदेश मंत्री अपने प्रेजिडेंट मैक्रों की यात्रा की नींव तैयार करने के लिए आए हैं, जो अगले साल की शुरुआत में इंटरनैशनल सोलर अलायंस की बैठक के दौरान होने की उम्मीद है। दोनों पक्षों के बीच महाराष्ट्र में जैतापुर ऐटमी प्लांट को जल्द शुरू करने के ठोस उपायों पर भी बात हुई। यह प्रॉजेक्ट स्थानीय लोगों के विरोध और फ्रांस की कंपनी अरेवा की वित्तीय मुश्किलों के बीच 2010 से अटका हुआ है।