ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लगाया गले, मध्यप्रदेश में बढ़ा इमरती देवी का कद 

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लगाया गले, मध्यप्रदेश में बढ़ा इमरती देवी का कद 

Juhi Verma
Update: 2021-07-09 12:14 GMT
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लगाया गले, मध्यप्रदेश में बढ़ा इमरती देवी का कद 
हाईलाइट
  • मुलाकात के जरिए एमपी की सत्ता को बड़ा मैसेज
  • सिंधिया को बधाई देने पहुंची पूर्व मंत्री इमरती देवी

डिजिटल डेस्क, भोपाल। तकरीबन 15 महीने पहले जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी ज्वाइन की थीं। तब अटकलों का बाजार गर्म था। हर तरफ यही बातें थीं कि पार्टी बदलकर सिंधिया ने अपने करियर के साथ खिलवाड़ किया है। कांग्रेस में महाराज थे। पर बीजेपी में बैक बेंचर बन कर रह जाएंगे। पर सिंधिया ने ये साबित कर दिया कि उन्होंने हवाई वादों पर रेत के महल नहीं सजाए हैं। बल्कि सोच समझ कर बड़ा राजनीतिक फैसला लिया है। सिंधिया अब मोदी कैबिनेट का हिस्सा हैं। देर आए पर दुरुस्त आए की तर्ज पर सिंधिया फिर मंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। नागरिक अड्डयन मंत्री बने हैं। जो मंत्रालय कभी उनके पिता के पास था वही मंत्रालय संभाल रहे हैं। 

अब समर्थकों की बारी है
सिंधिया के मंत्री पद पर काबिज होते ही वो सारे दावे हवा हो गए कि उन्हें बीजेपी में कुछ नहीं मिलेगा। अब बारी समर्थकों की है। जिन्हें अपने महाराज पर भरोसा और मजबूत हो चुका है। जश्न तो तब से ही मन रहा है जब से सिंधिया मध्यप्रदेश का दौरा अधूरा छोड़ कर दिल्ली रवाना हो गए थे। अब ये यकीन और पक्का हो गया है कि महाराज की पैठ नई पार्टी में मजबूत हो चुकी है। महाराज का सुरक्षित होना यानि उनका भी सियासी भविष्य मुकम्मल होना है। ऐसी ही एक समर्थक हैं इमरती देवी। जिन्हें विधानसभा उपचुनाव में हार के बाद अब भी राजनीतिक पुनर्वास का इंतजार है।

इमरती को गले लगाने के क्या मायने?
केंद्रीय मंत्री सिंधिया को बधाई देने कई लोग पहुंचे। समर्थक इमरती देवी भी उन्हीं में से एक हैं। मध्यप्रदेश में सिंधिया के पीछे बीजेपी में शामिल होने वाले विधायकों में से एक इमरती देवी भी थीं। डबरा से लगातार दो बार जीतीं इमरती पार्टी बदलने के कारण इस बार हार गईं। खबरें आती रहीं कि महाराज ने वादा किया है कि जीत न सही पर कोई बड़ा पद जरूर दिलवा देंगे। पर अब तक तो सिंधिया खुद ही पदविहिन थे पद भला कैसे दिलवाते। पर अब सारे संशय दूर हो चुके हैं। कैबिनेट मंत्री सिंधिया से इमरती का सामना हुआ तो खुशी के मारे आंसु नहीं थमे। महाराज को बधाई देते देते इमरती रो पड़ीं। महाराज ने अपनी सच्ची समर्थक को गले लगाकर चुप करवाया। पर ये महज महाराज का बड़प्पन या सुखद जश्चर ही नहीं था। ये साफ संदेश था एमपी के नेताओं के लिए कि इमरती उनकी छोटी मोटी समर्थक नहीं। इस एक तस्वीर ने पूरे ग्वालियर चंबल में इमरती का कद बढ़ा दिया।

बड़े महाराज का अंदाज, बना सिंधिया का स्टाइल
ऐसे कुछ किस्से आज भी मशहूर हैं। बड़े महाराज यानि कि माधव राव सिंधिया जब किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में होते थे। तब वहां मौजूद लोग उनकी बातों से ज्यादा हाव भाव और बॉडी लेंग्वेज पर नजर रखते थे। वो मुस्कुरा कर जिसका अभिवादन स्वीकार कर लें और धन्यवाद अदा करें उसका कद ग्वालियर चंबल की राजनीति में बढ़ जाता था। इमरती के साथ सिंधिया की इस मुलाकात और इन तस्वीरों ने भी पावर लेस इमरती को नई ऑक्सीजन दी है। कागजों पर पद मिले या न मिले पर ये तय है कि ग्वालियर चंबल में अब इमरती को कम समझने की गलती कोई नहीं करेगा। 

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